चने पर फिर लागू हुई 10% इंपोर्ट ड्यूटी, फैसले पर किसान खुश मगर उद्योग क्यों नाखुश?

चने पर फिर लागू हुई 10% इंपोर्ट ड्यूटी, फैसले पर किसान खुश मगर उद्योग क्यों नाखुश?

भारत सरकार 1 अप्रैल से चने पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क फिर से लागू करने जा रही है. मगर उद्योग जगत इससे नाखुश दिखाई दे रहा है. इंडस्ट्री का मानना है कि ये आयात शुल्क बहुत कम होगा. इस साल चने की अधिक पैदावार होने की उम्मीद है. हालांकि, सरकार एग्री-इंफ्रा फंड सेस नहीं लगाएगी.

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चने पर फिर लागू हुई 10% इंपोर्ट ड्यूटी, फैसले पर किसान खुश मगर उद्योग क्यों नाखुश?चना पर लागू हुआ आयात शुल्क

चना पर 1 अप्रैल से भारत सरकार फिर से आयात शुल्क लागू करने जा रही है. वित्त मंत्रालय के राजस्व विभाग ने इसको लेकर अधिसूचना जारी की है. इस अधिसूचना के अनुसार, यह इंपोर्ट ड्यूटी फिर से बहाल की जा रही है क्योंकि केंद्र सरकार का मानना है कि यह जनहित में जरूरी है. लेकिन वहीं दूसरी तरफ, उद्योग जगत सरकार के इस फैसले से नाखुश है क्योंकि उन्हें लगता है कि आयात को हतोत्साहित करने के लिए यह टैक्स काफी कम है. इस साल चने की अधिक पैदावार की उम्मीद के बीच इसपर 10 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी लगाई गई है.

कम शुल्क से उद्योग में निराशा

हालांकि, चने पर सीमा शुल्क बहाल करते हुए सरकार ने कोई एग्रीकल्चर इंफ्रास्ट्रक्चर फंड सेस नहीं लगाने का फैसला किया है. जबकि यह टैक्स भी आमतौर पर 10 प्रतिशत होता है. सरकार का कहना है कि लगाई गई 10 प्रतिशत की इंपोर्ट ड्यूटी बहुत मामूली है और कीमत के साथ ही समाहित हो जाएगी. बता दें कि चना उद्योग को उम्मीद थी कि चना आयात पर ज्यादा शुल्क लगाया जाएगा. उद्योग सरकार से कम से कम 25 प्रतिशत आयात शुल्क लगाने की मांग कर रहा है. 

इसको लेकर एक अंग्रेजी अखबार, 'द बिजनेस लाइन' से भारत दलहन एवं अनाज संघ के अध्यक्ष बिमल कोठारी ने कहा, "आयात जारी रहेगा, जबकि उत्पादन बहाल हो रहा है. इससे आस्ट्रेलियाई किसानों को जून में आगामी सत्र में अधिक फसल लगाने का भी संकेत मिलेगा." 

चना उत्पादन में उछाल का अनुमान

गौरतलब है कि पिछले सीजन अल नीनो के कारण असामान्य मौसम से चने की फसल प्रभावित हुई. इस वजह से केंद्र ने मई 2024 से चने पर इंपोर्ट ड्यूटी जीरो कर दी थी. हालांकि, चना इस साल फसल वर्ष 2023-24 में 11.04 मिलियन टन के मुकाबले जून तक 12.61 मिलियन टन अधिक होने का अनुमान लगाया गया है. बढ़िया पैदावार के अलावा, भारत ने अप्रैल 2024 और फरवरी 2025 के बीच मुख्य रूप से ऑस्ट्रेलिया और तंजानिया से 1.25 मिलियन टन से ज्यादा चने का आयात किया. एक साल पहले इसी समय के दौरान यही आयात मात्र 0.16 मिलियन टन था.

फैसले से किसानों को फायदा

बता दें कि चने पर 10 प्रतिशत का आयात शुल्क लगाने का निर्णय ऐसे समय में लिया गया है जब चना की फसल की कटाई चल रही है और इसका भार-औसत मूल्य 5,461 रुपये प्रति क्विंटल है, जबकि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) 5,650 रुपये है. हालांकि, ज्यादातर कृषि-उत्पाद विपणन समिति यार्ड, खासकर मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र में चने की कीमतें एमएसपी से नीचे चल रही हैं. सरकार के इस फैसले से चने की कीमतों में गिरावट रुकने की संभावना है और किसानों के हितों की रक्षा होगी.

सरकार ने 2025 रबी सीजन के लिए एमएसपी पर कुल 27.99 लाख टन चना खरीदने को भी मंजूरी दी है. इसने हाल ही में पीली मटर के लिए शुल्क-मुक्त आयात विंडो को 31 मई, 2025 तक बढ़ा दिया है. पीली मटर का शुल्क मुक्त-आयात दिसंबर 2023 में खोला गया था.

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