समय के साथ-साथ मिट्टी के मटके की डिजाइन में भी बदलाव देखने को मिला है. गुजरात के कारीगरों द्वारा मिट्टी के डिजाइनर मटके तैयार किए जा रहे हैं, जिन्हें ज्यादा पसंद किया जा रहा है. यह देखने में भी काफी आकर्षक हैं. वहीं इनकी कीमत भी ज्यादा नहीं है. बच्चों को मिट्टी के मटकों के पानी के सेवन की आदत विकसित करने के लिए इस तरह के प्रयोग किए गए हैं. लखनऊ में कार्टून मटका बेचने वाले कृष्णा प्रजापति ने किसान तक को बताया की गर्मी के सीजन शुरू होने से पहले ही उन्होंने इस तरह के मटके गुजरात से मंगाए थे, जिनकी अच्छी खासी डिमांड है. अब तक उन्होंने सबसे ज्यादा मटके बेच दिए हैं. बच्चे और महिलाएं भी इस तरह की मटकों को खरीदने में काफी रुचि दिखा रही हैं. यह मटके 500 रुपये से लेकर 700 रुपये तक बिकते हैं. इन मटकों में 8 लीटर तक पानी भरा जा सकता है.
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मिट्टी के बर्तन एक बार फिर से चलन में आ गए हैं. समय के साथ-साथ मिट्टी के बर्तन में बदलाव देखने को मिले हैं. वर्तमान समय में उत्तर प्रदेश में बढ़ती हुई गर्मी को देखते हुए इन दिनों मटकों की मांग में काफी ज्यादा इजाफा हुआ है. अब लोग फ्रिज का पानी नहीं पीना पसंद कर रहे हैं, बल्कि मिट्टी के मटकों के पानी को पीने में ज्यादा दिलचस्पी दिखा रहे हैं. पहले खुले मुंह वाला मटका ज्यादा बिकता था, लेकिन अब मटकों में डिजाइन के साथ-साथ टोटी भी लगा दी गई है, जिसके चलते अब इनको उपयोग करना ज्यादा आसान हो गया है.
मिट्टी के मटके बनाने वाले सुभाष प्रजापति बताते हैं कि कोरोना के बाद मिट्टी के बर्तनों को लेकर लोगों का झुकाव बढ़ा है. अब लोग फ्रिज का ठंडा पानी नहीं पीना चाहते हैं. आयुर्वेद में भी मिट्टी के घड़े के पानी को शरीर के लिए फायदेमंद बताया गया है. इससे पेट की बीमारी नहीं होती है. वही शरीर का तापमान भी संतुलित रहता है .
मिट्टी के बर्तन स्वास्थ्य के लिए लाभदायक माने जाते हैं. गर्मी में मिट्टी के मटके के पानी का सेवन करना कई रोगों से छुटकारा भी दिलाता है. मिट्टी के घड़े बेचने वाले कृष्णा प्रजापति बताते हैं कि मिट्टी के मटके में रखा हुआ पानी शुद्ध होता है. इससे गला खराब नहीं होता है. मटके के अंदर पानी के दूषित कणों को मिट्टी सोख लेती है. इस पानी को पीने से पाचन तंत्र दुरुस्त रहता है और शरीर भी तरोताजा रहता है.
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