बिहार की पहचान कई ऐसी चीजों के लिए है जो दुनिया भर में मशहूर हैं. इसमें बिहार के लिट्टी चोखा से लेकर बिहार का मखाना तक शामिल है. वहीं बिहार के किसानों के लिए एक और खुशखबरी है. दरअसल, बिहार की एक और उपज को अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी. बिहार के पश्चिम चंपारण के उत्पाद मर्चा धान को शनिवार को केंद्र सरकार ने जियोग्राफिकल इंडिकेशन (GI) टैग दे दिया है. इस वजह से मर्चा धान को अब अंतरराष्ट्रीय बाजार में पहचान मिलेगी. जीआई टैग मिलने से यहां के किसानों को भी अब काफी लाभ मिलेगा. किसानों को अब मर्चा धान का बेहतर दाम मिल पाएगा.
बता दें कि मर्चा धान की आकृति अन्य धान से काफी अलग काली मिर्च की तरह होता है. इसलिए इसको मिर्चा या मर्चा धान के नाम से जाना जाता है. धान से निकलने वाले चावल के दाने और गुच्छे में एक खास सुगंध होती है, जो इसे अलग बनाती है.
मर्चा धान से पहले बिहार के पांच कृषि उत्पादों को जीआई टैग मिल चुका है, जिसमें मुजफ्फरपुर की शाही लीची, भागलपुर का जर्दालु आम, भागलपुर का कतरनी चावल, मिथिला का मखाना और मगध का मगही पान शामिल है. अब मर्चा धान को जीआई टैग मिलने के बाद बिहार के कृषि उत्पादों की संख्या पांच से बढ़ कर छह हो गई है
ये बात रही कृषि उत्पादों की. इसके अलावा बिहार में हस्तशिल्प के लिए मंजूषा कला, सूजनी कढ़ाई, एप्लिक खटवा वर्क, सिक्की घास के प्रोडक्ट, मधुबनी पेंटिंग, भागलपुरी सिल्क और सिलास के खाजा भी जीआई टैग हासिल कर चुके हैं.
केंद्र सरकार के जीआई रजिस्ट्रार, चेन्नई की ओर से जारी प्रमाण पत्र में शनिवार को समाहरणालय के सभागार में आयोजित कार्यक्रम में मर्चा धान उत्पादक सहयोग समिति के अधिकारियों और सदस्यों को जीआई टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया. वहीं, जीआई रजिस्ट्रार ने जिला प्रशासन को भी इसका प्रमाण पत्र प्रेषित किया है, जिसे जिलाधिकारी को समर्पित किया गया.
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जिलाधिकारी ने बताया कि यह पश्चिम चंपारण जिले के लोगों विशेष रूप से किसानों के लिए गौरव का क्षण है. आज के दिन चंपारण की शान मर्चा धान से विश्व स्तर पर इस जिले को पहचान मिल गई. इससे मर्चा धान की खेती में लगे किसानों को उनके उत्पादों के लिए ज्यादा मूल्य मिलेगा. साथ ही आधारित कई उद्योग भी लगेंगे.
पश्चिम चंपारण के विशिष्ट उत्पाद मर्चा धान को जीआई टैग मिल जाने से यहां के किसानों में खुशी है. जीआई टैग मिल जाने से अब यहां के मर्चा धान उत्पादकों को बेहतर दाम मिल पायेगा. पश्चिम चंपारण का मर्चाधान अपने स्वाद, पोषक तत्व और प्राकृतिक रूप से एक विशेष क्षेत्र में उत्पादन के लिए मशहूर है. कहावत है कि यदि पैरवी और पैसे से कोई काम नहीं बन रहा हो तो मर्चा धान का चूड़ा उपहार में दे दीजिए काम बन जायेगा.
किसी भी उत्पादन को भौगोलिक सांकेतिक यानी जीआई टैग मिलने से विश्वव्यापी पहचान मिल जाती है. लोग जीआई टैग उत्पादों को क्वालिटी में बेस्ट मानते हैं, इसलिए अंतर्राष्ट्रीय बाजार में इनकी मार्केटिंग का ज्यादा आसार होते हैं. एक तरीके से देखा जाए तो स्थान विशेष से ताल्लुक रखने वाले उत्पादों को जीआई टैग मिलने से न सिर्फ उत्पाद का निर्यात बढ़ जाता है, बल्कि इससे किसानों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार आता है.
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