इस समय इजरायल बेशक युद्ध की वजह से चर्चा में है, लेकिन इससे पहले इजरायल अपनी खेती की अनोखी तकनीक की वजह से मिसाल बनता रहा है. दुनिया भर खेती लगातार चुनौतीपूर्ण होती जा रही है. कहीं बहुत ज्यादा गर्मी से तो कहीं बारिश नहीं होने की वजह से तो कहीं जमीनों की कमी तो कहीं जमीन खेती लायक नहीं होने की वजह से. ऐसे में एक ऐसा देश है इजरायल जिसने पूरी दुनिया के सामने नई तरह की खेती की तकनीक को पेश किया है. ये तकनीक धीरे-धीरे दुनिया में लोकप्रिय हो रही है. इजराइल में तो इसे खास तौर पर खेती के लिए उपयोग में लाया जा रहा है. बावजूद इसके कि इजरायल की भूमि का 60 फीसदी क्षेत्रफल रेगिस्तानी है और वहां पानी की भी काफी कमी है.
इजराइल में जमीन की खासी कमी है, इसी समस्या से निजात पाने के लिए वहां के किसानों ने वर्टिकल फार्मिंग का विचार अपनाया. यह आधुनिक कृषि के लिए एक नया क्षेत्र है. दुनिया की आधी से ज्यादा जनसंख्या शहरों में होती है. जहां से खेत दूर होते हैं. घने शहरों में लोगों का ध्यान इस तकनीक पर ज्यादा गया. वर्टिकल फार्मिंग की तकनीक से घर की दीवार को एक छोटा सा फार्म बनाने का विचार कई लोगों को आकर्षित कर रहा है. कई लोग इसके जरिए अपने घर की दीवार को सजावट के तौर पर इस्तेमाल करते हैं तो कुछ लोग इसके जरिए अपनी पसंद की सब्जी उगाने के लिए. इससे बड़ी दीवारों पर गेहूं, चावल, जैसे अनाजों के अलावा कई तरह की सब्जियों को उगाया जा सकता है.
ये भी पढ़ें:- Agri Quiz: किस फसल को वाइट गोल्ड ऑफ इंडिया कहा जाता है, क्या है इसकी खासियत और फायदे?
आपको सुनकर भले हैरानी हो कि रेगिस्तान में मछली पालन भला कैसे संभव है, लेकिन इसे संभव कर दिखाया जीएफए यानि ग्रो फिश एनीव्हेयर की एडवांस टेक्निक ने. इजरायल के जीरो डिस्चार्ज सिस्टम ने मछली पालन के लिए बिजली और मौसम की बाध्यता को खत्म कर दिया है. इस तकनीक में मछलियों को एक टैंकर में पाला जाता है, जिसे हम आज के परिदृश्य में रिसर्कुलेशन एक्वाकल्चर सिस्टम कहते हैं.
वर्टिकल फार्मिंग से पौधों को दी जानी वाली पानी की मात्रा को नियंत्रित होती है साथ ही पानी की बचत भी बहुत अधिक होती है. इस पूरी सिंचाई व्यवस्था को कम्प्यूटर के जरिए नियंत्रित किया जा सकता है. हां यह जरूर है कि इन पौधों को खास समय पर यानी कि थोड़ा विकसित होने पर ही दीवार पर लगाया जाता है.
इजराइल के कृषि तकनीक में वर्टिकल फार्मिंग में सबसे ज्यादा चर्चित हाइड्रोपोनिक्स, एक्वापोनिक्स और एरोपोनिक्स जैसी तकनीकों की खासी चर्चा है. हाइड्रोपोनिक्स तकनीक में मिट्टी का उपयोग नहीं होता है और उसके बिना ही पौधों को एक सोल्यूशन में उगाया जाता है. एरोपोनिक्स में तो केवल हवा में ही पौधों को विकसित किया जाता है. एयरोपॉनिक्स का फिलहाल बहुत ही कम उपयोग देखा गया है, लेकिन हाइड्रोपोनिक्स या एक्वापोनिक्स में लोगों की दिलचस्पी खासी बढ़ रही है.
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today