भारत का एग्रीकल्चर सेक्टर और इससे जुड़े क्षेत्र तेजी से आगे बढ़ रहे हैं और इसमें ग्रोथ की अपार संभावनाएं है. यही वजह है कि कई एग्रीबिजनेस और एग्रोटेक कंपनियां भी अपना दायरा बढ़ा रही हैं और व्यापार का विस्तार कर रही है. विस्तार के क्रम में हरियाणा की अरोमा एग्रोटेक का नाम भी जुड़ गया है. यह कंपनी एएटी अरोमा ब्रांड के नाम से बाजार में बासमती चावल बेचती है. लेकिन, अब कंपनी विस्तार करते हुए फूड मैन्युफैक्चरिंग में गेहूं का आटा और इससे जुड़े उत्पाद, कपड़ा और नवीकरणीय ऊर्जा सहित विविधता लाने की प्लानिंग कर रही है. कंपनी के डायरेक्टर मयंक गर्ग ने यह जानकारी दी.
बिजनेसलाइन की रिपोर्ट के मुताबिक, मयंक गर्ग ने ऑनलाइन बातचीत के दौरान कहा कि उनकी कंपनी आगामी वित्त वर्ष में अपनी गतिविधियों का विस्तार करना शुरू करेगी. कंपनी फूड प्रोसेसिंग, नवीकरणीय ऊर्जा और कपड़ा उद्योग में कदम रखेगी.
गर्ग ने बताया कि उनकी कपंनी नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र में सोलर फोटोवोल्टिक सेल बनाने तैयारी में है और टेस्टाइल एरिया में वे कंबल बनाने का प्लान बना रहे हैं. गर्ग ने कहा कि भारत के कपड़ा उद्योग में आगे बढ़ने का एक बहुत बड़ा मौका है, क्योंकि क्योंकि चीन कंबल उत्पादन से अपने हाथ खींच रहा है, उसने कंबल बनाना कम कर दिया है और तकनीक से जुड़े कपड़े बनाने पर फोकस कर रहा है. ऐसे में भारत के लिए यह बड़ मौका है.
गर्ग ने बताया कि उनकी कंपनी कंबलों के लिए मध्यपूर्व के साथ-साथ यूरोप के कुछ हिस्सों को टारगेट करेगी. वहीं, फूड सेक्टर में उनकी कंपनी बासमती चावल के अलावा अब गेहूं का आटा बनाने, अरोमा एग्रीटेक सूजी और मैदा तैयार कर बाजार में उतरने की तैयारी में है. गर्ग ने कहा कि कंपनी 80 से ज़्यादा देशों में अपना निर्यात बढ़ाने की प्लानिंग कर रही है और अगले 34 सालों में हम अपने AAT अरोमा ब्रांड को कम से कम 25 से ज़्यादा देशों में पहुंचाने का टारगेट बना रहे हैं.
गर्ग ने बताया कि हमारी कंपनी अरोमा एग्रोटेक की एक खासियत यह है कि यह शून्य कार्बन उत्सर्जन के करीब है. हम बायोफ्लूएंट ट्रीटमेंट प्लांट और सौर ऊर्जा के इस्तेमाल से लगातार उत्सर्जन कम कर रहे हैं. बता दें कि हरियाणा के करनाल से चलने वाली चावल मिल और निर्यातक, अरोमा एग्रोटेक की स्थापना 2004 में हुई थी, यह आज दुनिया के 44 देशों में अपने उत्पाद निर्यात करती है और हर दिन 800 टन चावल का कारोबार है, जिसमें बाजार से खरीदा गया अनाज भी शामिल है.चावल मिल प्रति दिन कम से कम 1,000 टन धान की मिलिंग करती है. कंपनी के पास 5 मिलिंग यूनिट्स हैं, जिसमें मिलिंग से प्राप्त 70 फीसदी चावल का एक्सपोर्ट होता है.
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