सेब किसानों की कमाई का गढ़ बना यह छोटा सा ब्लॉक, 100 करोड़ रुपये का होता है कारोबार

सेब किसानों की कमाई का गढ़ बना यह छोटा सा ब्लॉक, 100 करोड़ रुपये का होता है कारोबार

कश्मीर के कीमोह ब्लॉक में 30,000 लोग रहते हैं जहां दर्जनों घर एक बड़े इलाके में फैले हैं. इस ब्लॉक में लगभग 4000 सेब की नर्सरियां चलती हैं जहां से खेती के सामान घाटी के अलग-अलग इलाकों में सप्लाई होते हैं. इस ब्लॉक के 80-90 परसेंट लोग इसी नर्सरी पर निर्भर हैं जो अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं.

Advertisement
सेब किसानों की कमाई का गढ़ बना यह छोटा सा ब्लॉक, 100 करोड़ रुपये का होता है कारोबारसेब की बागवानी

कश्मीर घाटी में एक छोटा सा ब्लॉक है जिसका नाम है कीमोह. यह श्रीनगर से तकरीबन 60 किलो मीटर दक्षिण में है. आप इस इलाके में जाएंगे तो चारों ओर छोटे-छोटे प्लास्टिक के टेंट दिखेंगे. इसे आप पॉलीहाउस भी कह सकते हैं. इन टेंटों के अंदर झांकें तो आपको सेब की अनगिनत नर्सरियां दिखेंगी. वहां काम करने वाले मजदूरों और किसानों से पूछें तो वे बताएंगे कि सेब के ये छोटे पौधे दूर-दूर तक बिकने जाते हैं जिससे उनकी कमाई कई गुना तक बढ़ गई है.

यहां के किसानों से पूछने पर पता चला कि मध्य फरवरी तक इस ब्लॉक में नर्सरी खरीदने वालों का रेला लग जाता है. जैसे कि ट्रैफिक जाम की स्थिति हो. घाटी के अलग-अलग हिस्सों से किसान यहां सेब के पौधे खरीदने आते हैं. बस दो चार-दिन में किसानों का हुजूम यहां लगना शुरू हो जाएगा.

सेब के लिए मशहूर कीमोह ब्लॉक

कीमोह ब्लॉक में 30,000 लोग रहते हैं जहां दर्जनों घर एक बड़े इलाके में फैले हैं. इस ब्लॉक में लगभग 4000 सेब की नर्सरियां चलती हैं जहां से खेती के सामान घाटी के अलग-अलग इलाकों में सप्लाई होते हैं. इस ब्लॉक के 80-90 परसेंट लोग इसी नर्सरी पर निर्भर हैं जो अपनी रोजी-रोटी चलाते हैं.

यहां इंसाफ नर्सरी चलाने वाले जाहिद सलाम भट्ट ने 'बिजनेसलाइन' से कहा कि वे 20 कनाल क्षेत्र में नर्सरी चलाते हैं. वे बताते हैं कि कई दशकों से यह पूरा इलाका बागवानी की नर्सरी का हब बना हुआ है. यहां की मिट्टी और हवा, जलवायु नर्सरी की खेती के लिए बेहद उपयुक्त है, इसलिए अधिकांश किसान इसी पेशे में लगे हैं.

हाई डेंसिटी तकनीक ने बढ़ाई मांग

भट्ट पारंपरिक किस्मों के अलावा विदेशी सेब की नर्सरी की सप्लाई करते हैं. वे 'हाई डेंसिटी प्लांट मैटेरियल' बेचते हैं जो कि सेब की अधिक उपज के लिए एक नई तकनीक है. इस तकनीक को सेब की खेती में बढ़ावा दिया जा रहा है. इस सप्लाई से जाहिद सलाम भट्ट 30-40 लाख रुपये सालाना कमा लेते हैं. 

पिछले कुछ वर्षों में घाटी में हाई डेंसिटी तकनीक के जरिये सेब की खेती की जा रही है. सरकार इस तकनीक को बढ़ावा भी दे रही है. इसके लिए विदेशों से कई किस्में मंगाई जा रही हैं. सरकार और प्राइवेट एजेंसियां ब्रिटेन, इटली और अमेरिका से सेब की नर्सरी मंगा रही हैं और किसानों को बेच रही हैं जिससे सेब के उत्पादन में वृद्धि देखी जा रही है. साल 2017 में सरकार ने कश्मीर में हाई डेंसिटी सेब की खेती की स्कीम चलाई जिससे किसानों को मदद मिली.

सेब की खेती पर किसानों को सब्सिडी

इस स्कीम को 2021 में संशोधित किया गया और अब नए टारगेट के मुताबिक 2026 तक जम्मू और कश्मीर के 5500 हेक्टेयर इलाके में हाई डेंसिटी सेब की खेती को बढ़ावा दिया जाएगा. मोमिन नर्सरी चलाने वाले हामिद रशीद ने बताया कि पिछले 3-4 साल में सेब की पारंपरिक किस्मों की मांग घटी है. अब किसान हाई डेंसिटी वैरायटी की नर्सरी अधिक खरीदते हैं जो इटली और अमेरिका से मंगाई जाती है.

कुलगाम के जिला उद्यान अधिकारी निसार अहमद ने कहा, इस इलाके की नर्सरियां हर साल 100 करोड़ रुपये का कारोबार करती हैं. उन्होंने बताया कि लगभग 150 नर्सरी सरकार के खाते में रजिस्टर्ड हैं. इसके लिए किसानों को भी सब्सिडी दी जाती है. अगर कोई किसान अपनी नर्सरी में सेब का पौधा उगाता है तो उस पर सरकार की ओर से 80 परसेंट सब्सिडी देने का प्रावधान है.

 

POST A COMMENT