भारत में खेती-बाड़ी का अपना एक अलग ही इतिहास रहा है. यहां के किसानों की ये धारणा है कि खेती करने के लिए उपयुक्त मौसम, जलवायु, मिट्टी और लंबी चौड़ी जगहों की जरूरत होती है. लेकिन बदलते समय के साथ हर चीज़ में दिन-ब-दिन बदलाव होते जा रहा है. ऐसे में कृषि क्षेत्र में भी कई आधुनिक बदलाव हुए हैं, जो समय की मांग और आवश्यकता दोनो ही हैं. इस तकनीक का नाम हाइड्रोपोनिक है. इस तकनीक का इस्तेमाल करके महाराष्ट्र के रहने वाले किसान विशाल माने अपने हाइड्रोपोनिक फार्म में सब्जियां उगा रहे हैं. सब्जियों के पौधे को विशाल बिना मिट्टी वाली खेती के जरिए एक ग्रीन हाउस में उगाते हैं. आइए जानते हैं इस तकनीक के फायदे और विशाल कितनी कमाई करते हैं.
विशाल माने ने बताया कि वे अपने छोटे से हाइड्रोपोनिक फार्म में 50 अलग-अलग तरह की पत्तियों वाली सब्जियां उगाते हैं. विशाल माने अपने साथ देश दुनिया के तमाम किसानों को हाइड्रोपोनिक फार्मिंग की ट्रेनिंग देने के लिए एक कंपनी बनाई है. इस कंपनी के माध्यम से वो देश के किसी भी हिस्से में किसानों को बिना मिट्टी की खेती से संबंधित तकनीक, उपकरण और पूरा सेटअप लगाने में मदद करते हैं.
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बिना मिट्टी के की जा रही खेती देश के कई इलाके के किसानों के लिए अब भी एक कौतूहल की तरह है. ऐसे में विशाल लोगों के पास जाकर ग्रीन हाउस और हाइड्रोपोनिक फार्मिंग के फायदे समझा कर उन्हें अपना सेटअप बनाने में मदद करते हैं.
विशाल ने बताया कि शुरुआत में उन्हें इस तकनीक से खेती करने में काफी लागत आई, लेकिन उसके बाद लागत कम होती गई और उपज बढ़ती रही. इसका परिणाम यह हुआ कि आज वह इस प्रकार की खेती करके करीब 3 करोड़ रुपये तक की कमाई कर रहे हैं. वहीं उन्होंने बताया कि ग्रीन हाउस हाइड्रोपोनिक तकनीक स्थापित करने में प्रति एकड़ के क्षेत्र में करीब 50 लाख रुपये तक का खर्च आता है.
हाइड्रोपोनिक एक ग्रीक शब्द है, जिसका मतलब है बिना मिट्टी के सिर्फ पानी के जरिए खेती. यह एक आधुनिक खेती है, जिसमें पानी का इस्तेमाल करते हुए जलवायु को नियंत्रित करके खेती की जाती है. पानी के साथ थोड़े बालू या कंकड़ की जरूरत पड़ती है. इसमें तापमान 15-30 डिग्री के बीच रखा जाता है और आर्द्रता को 80-85 फीसदी रखा जाता है. वहीं पौधों को पोषक तत्व भी पानी के जरिए ही दिए जाते हैं.
हाइड्रोपोनिक फ़ार्मिंग में खेती पाइपों के जरिए होती है. इनमें ऊपर की तरफ से छेद किए जाते हैं और उन्हीं छेदों में पौधे लगाए जाते हैं. पाइप में पानी होता है और पौधों की जड़ें उसी पानी में डूबी रहती हैं. इस पानी में वह हर पोषक तत्व घोला जाता है, जिसकी पौधे को जरूरत होती है.
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