देश के किसान खेतों में अब घास की खेती कर सालाना प्रति एकड़ लाखों रुपए तक मुनाफा कमा सकते है. जी हां सुनने में ये थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन ये सच है. ये घास कोई मामूली घास नहीं बल्कि ये घास बायोफ्यूल के मशहूर लिए है. इस घास का नाम सुएडा न्यूडिफ्लोरा है. इस घास को आमतौर पर सरोडा या सी ब्लाइट कहा जाता है. यह एक मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है. इसकी पत्तियां पतली और रसीली होती हैं.
इसलिए ये घास पशुओं के चारे के लिए भी काफी मशहूर और लाभदायक होती है. इसकी पत्तियों को खिलाने से पशुओं को कई प्रकार के पोषक तत्व मिलते हैं. साथ ही दूध के उत्पादन में बढ़ोतरी भी होती है. आइए जानते हैं इस घास की क्या है खासियत.
सुएडा न्यूडिफ्लोरा घास को रेगिस्तान वाली क्षेत्रों में आसानी से उगाया जाता है. इस घास की खेती भारत के गुजरात, और राजस्थान में किया जाता है. इस घास की खासियत ये हैं कि ये कम और अधिक दोनों ही तापमान में आसानी से उगाई जा सकती है. इस घास को पुरे साल उगाया जा सकता है. इसे उगाने में बहुत ही कम मेहनत और लागत लगता है. इसके अलावा इस घास को उगाने के लिए केवल पानी की जरूरत पड़ती है.
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सुएडा न्यूडिफ्लोरा घास को पशुओं के चारे के तौर पर सबसे अधिक इस्तेमाल किया जाता है. इसके अलावा इस घास में उच्च तेल सामग्री पाई जाती है, जिसका उपयोग जैव ईंधन के तौर पर किया जा सकता है. दरअसल भारत उन देशों में से एक है, जहां पारंपरिक ईंधन जैसे कोयला, पेट्रोलियम आदि का अधिक उपयोग होता है. देश की तेल उत्पादों की मांग का लगभग 85 फीसदी आयात किया जा रहा है, ऐसे में ये घास किसानों और तेल कंपनियों के लिए काफी कारगर है. वहीं भारत के अलावा विदेशों में भी घास का उपयोग ईंधन के तौर पर किया जा रहा है.
किसान अपने खेतों में बायोफ्यूल के लिए नेपियर घास को उगा सकते हैं. ये घास कोई मामूली घास नहीं बल्कि भविष्य में यह ईंधन भी देने वाली है. एक बार इसकी फसल लगाने के बाद हर तीन महीने में 6 साल तक इसे काटा जा सकता है. वो भी बिना किसी दवाई छिड़काव और बिना खाद के इसकी फसल लहलहाने लगती है. इसे केवल पानी चाहिए. नेपियर घास की बुआई के बाद 3 महीने में ही काटने लायक हो जाती है. इसकी लंबाई 10 फीट तक जाती है. जो भविष्य में किसानों के लिए काफी लाभकारी होने वाली है.
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