भारत में उगाई जाने वाली फसलें अपनी अलग-अलग पहचान और स्वाद के लिए जानी जाती हैं. कई फसलें अपने अनोखे गुणों और आयुर्वेदिक फायदों के लिए तो भी जानी जाती हैं. ऐसी है एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम थार प्रिया है. दरअसल, ये चिरौंजी की एक खास किस्म है. ड्राई फ्रूट्स वाली फसलों में चिरौंजी एक महत्वपूर्ण फसल है. वहीं, चिरौंजी का इस्तेमाल मिठाई और सूखे मेवे में खूब किया जाता है. स्वाद में भी यह मजेदार होता है. साथ ही चिरौंजी से मिलने वाले उत्पाद की बाजार में बेहतर कीमत मिलती है. चिरौंजी का फल 1000 रुपये किलो बिकता है. ऐसे में आइए जानते हैं चिरौंजी की किस्म थार प्रिया की खासियत.
चिरौंजी की किस्म थार प्रिया को 2014 में केंद्रीय शुष्क बागवानी संस्थान, बीकानेर द्वारा जारी किया गया था. थार प्रिया किस्म के फूल और फल की क्वालिटी बेहतर होती है. इस किस्म के पेड़ की ऊंचाई 3.43 मीटर होती है. यह जल्दी पकने वाली किस्म है. साथ ही ये किस्म नियमित फल देने वाली और अर्ध-बौनी है. यह फल चौथे वर्ष के दौरान फूलना शुरू कर देती है, वहीं, फरवरी के दूसरे सप्ताह में इसका फूल और अप्रैल के तीसरे सप्ताह में फल पकना शुरू हो जाता है.
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चिरौंजी की खेती करने के लिए किसान मार्च-अप्रैल महीने में में बारिश शुरू होने से पहले 1 मीटर x 1 मीटर x 1 मीटर आकार के गड्ढे 10 मीटर x 10 मीटर की दूरी पर तैयार करें. गड्ढों को ऊपरी मिट्टी और 20-30 किलोग्राम अच्छी तरह से सड़ी हुई गोबर की खाद के मिश्रण से भर दें. वहीं, पौधों को दीमक के हमले से बचाने के लिए गड्ढों को क्लोरपायरीफॉस 3 मिलीलीटर पानी से भिगोया जा सकता है. इसके बाद पौधों को लगा दें.
चिरौंजी में भरपूर प्रोटीन पाया जाता है. इसलिए शरीर में अगर प्रोटीन की कमी हो, तो चिरौंजी उसे पूरा करने में मदद करता है. चिरौंजी को मिठाई में और सूखे मेवे में इस्तेमाल किया जाता है. जिन्हें कमजोरी हो, वे चिरौंजी के सेवन से इसे दूर कर सकते हैं. अगर सर्दी-जुकाम की शिकायत हो, तो चिरौंजी को दूध के साथ पकाकर खाने से राहत मिलती है. सौंदर्य उत्पाद में भी चिरौंजी बड़ा रोल निभाता है. तभी इसे फेशियल या क्रीम आदि में प्रयोग किया जाता है. इसे चेहरे पर लगाने से चमक आती है और कील-मुहांसे की समस्या दूर होती है. चिरौंजी के गोंद का प्रयोग कई रोगों के इलाज में होता है.
अगर आप चिरौंजी की बागवानी करना चाहते हैं तो इसमें अधिक मेहनत नहीं होती क्योंकि इसे आसानी से बोया जा सकता है. इसके अलावा देखभाल की जरूरत नहीं होती क्योंकि जंगली जानवर इसे नहीं खाते हैं. साथ ही इसे पानी की अधिक जरूरत नहीं होती है. जमीन उपजाऊ न भी हो या पथरीली जमीन भी हो, तो उस पर चिरौंजी उगाया जा सकता है. इसके पौधे पर कीट, या रोगों का असर नहीं होता है. ऐसे में चिरौंजी कम देखभाल अधिक कमाई देने वाली फसल है. इसके फल 1000 रुपये किलो मिलते हैं.
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