देश के लगभग सभी राज्यों में मॉनसून ने दस्तक दे दी है. इसके साथ ही खरीफ फसलों की खेती की भी शुरुआत हो चुकी है. धान खरीफ सीजन की मुख्य फसल है. जुलाई की शुरुआत में कई राज्यों के किसान धान की रोपाई शुरू कर देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि धान की किन किस्मों की कब रोपाई की जाती है. दरअसल, धान की रोपाई किस्मों के हिसाब से अलग-अलग डेट पर की जाती है. ऐसे में किसानों के लिए ये जानना बेहद जरूरी है कि किन किस्मों की कब रोपाई करेंगे तो उससे बंपर पैदावार मिलेगी. आइए जानते हैं.
आपको बता दें कि जब पौध 20-25 दिन पुरानी हो जाए और उसमें 4-5 पत्तियां निकल जाएं तो यह रोपाई के लिए उपयुक्त होती है. यदि पौध की उम्र ज्यादा होगी तो रोपाई के बाद कल्ले कम फूटते हैं और उपज में कमी आती है. ऐसे में मध्यम और देर से पकने वाली प्रजातियों की रोपाई जुलाई के प्रथम पखवाड़े तक पूरी कर लेनी चाहिए. वहीं, धान की जल्दी पकने वाली किस्मों की रोपाई जुलाई के दूसरे पखवाड़े तक करनी चाहिए. साथ ही सुगंधित किस्मों की रोपाई माह के अंत में शुरू करनी चाहिए.
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धान की खेती में बंपर पैदावार लेने के लिए हरी खाद या 10-12 टन प्रति हेक्टेयर के हिसाब से सड़ी गोबर का प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा नर्सरी में लगाए गए पौध को उखाड़ने के पहले दिन क्यारियों की अच्छी तरह सिंचाई करके पौध रोपण वाले दिन सुबह ही नर्सरी से कमजोर, रोग मुक्त और अन्य किस्मों की पौध को अलग कर देना चाहिए. उसके बाद पौधों को किसी मुलायम सामग्री से सुविधाजनक बंडलों में बांध लेना चाहिए. पौधों को निकालते समय ध्यान रखें कि पौध की जड़ों को कम से कम नुकसान पहुंचे नहीं तो पौधों के बढ़वार और फुटाव पर गलत प्रभाव पड़ता है. इसके अलावा रोपाई करने में पंक्ति से पंक्ति और पौधे से पौधे की दूरी 20-30×15 सेंमी की होनी चाहिए. धान की रोपाई 3 सेमी की गहराई पर करनी चाहिए. साथ ही एक जगह पर 2-3 पौधे ही लगाएं.
धान की खेती में खाद का प्रयोग मिट्टी परीक्षण के आधार पर करना चाहिए. धान की बौनी प्रजातियों के लिए 100-120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फास्फोरस, 60 किलो पोटाश और 25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए. इसके अलावा बासमती किस्मों के लिए 80-100 किलो नाइट्रोजन, 50-60 किलो फास्फोरस, 40-50 किलो पोटाश और 20-25 किलो जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर की दर से देना चाहिए. साथ ही सिंगल सुपर फॉस्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश और जिंक की पूरी मात्रा आखिरी जुताई के समय देनी चाहिए.
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