Agri Quiz: किस फसल की किस्म है नवभारती, इसकी 5 उन्नत वैरायटी कौन सी हैं?

Agri Quiz: किस फसल की किस्म है नवभारती, इसकी 5 उन्नत वैरायटी कौन सी हैं?

मार्केट में पूरे साल हरी सब्जियों की डिमांड रहती है. साथ ही कई सब्जियों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस फसल की किस्म है नवभारती? और इसकी उन्नत वैरायटी कौन-कौन सी हैं?

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Agri Quiz: किस फसल की किस्म है नवभारती, इसकी 5 उन्नत वैरायटी कौन सी हैं?किस फसल की किस्म है नवभारती

भारत में उगाई जाने वाली फसलें अपने अलग-अलग स्वाद और पहचान के लिए जानी जाती हैं. कई फसलें अपने आयुर्वेदिक गुणों और फायदों के लिए भी जानी जाती हैं. ऐसी ही एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम नवभारती है. दरअसल, ये करेले की एक खास किस्म है. सब्जी वाली फसलों में करेला एक महत्वपूर्ण फसल है. वहीं, करेले की सब्जी बहुत ही फायदेमंद मानी जाती है. इसे लोग सब्जी के रूप में खाने के अलावा जूस और अचार बनाकर भी इस्तेमाल करते हैं. साथ ही किसान करेले की खेती कर बेहतर मुनाफा भी कमा सकते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं करेले की किस्म नवभारती की खासियत. इसके अलावा करेले की 5 उन्नत वैरायटी कौन सी हैं?

करेले की 5 उन्नत वैरायटी 

नवभारती किस्म: करेले की इस किस्म की खेती देश के लगभग सभी राज्यों में आसानी से की जा सकती है. वहीं इस किस्म के फलों का रंग गहरा हरा होता है. करेले की इस किस्म की पहली तुड़ाई 52 दिनों बाद की जा सकती है. साथ ही इस किस्म की ये खासियत है कि कई दिनों तक खराब नहीं होती. इस करेले की खेती का समय जून-जुलाई और नवंबर-अप्रैल होता है.

क्वीन किस्म: करेले की क्वीन किस्म की खेती उत्तर भारत के मैदानी क्षेत्रों में फरवरी से जुलाई महीने तक की जाती है. वहीं, इस किस्म के फल मोटे और गहरे चमकीले हरे रंग के होते हैं. अगर बात करें इसके उत्पादन की तो इस किस्म से प्रति एकड़ 60 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है. ये किस्म 50 से 60 दिनों में फल देने लगती है.

पूसा हाइब्रिड 1: करेले की ये किस्म देश के उत्तरी मैदानी क्षेत्रों में खेती करने के लिए उपयुक्त है. इसके फल हरे और थोड़े चमकदार होते हैं. वहीं, इसकी खेती वसंत ऋतु, गर्मी और बारिश तीनों मौसम में आसानी से की जा सकती है. करेले की इस किस्म की पहली तुड़ाई 55 से 60 दिनों में की जा सकती है.

अर्का हरित: करेला की इस किस्म के फल मध्यम आकार के होते हैं. हालांकि, अन्य किस्मों की तुलना में अर्का हरित करेले कम कड़वे होते हैं. वहीं, इस किस्म के फलों में बीज भी कम होते हैं. इसकी खेती गर्मी और बारिश के मौसम में आसानी से की जा सकती है. इस किस्म से प्रति एकड़ लगभग 36 से 48 क्विंटल तक पैदावार प्राप्त की जा सकती है.

पूसा हाइब्रिड 2: करेले की इस किस्म की खेती बिहार, झारखंड, उत्तर प्रदेश, पंजाब, छत्तीसगढ़, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, गुजरात, हरियाणा और दिल्ली में आसानी से की जा सकती है. वहीं, इस किस्म के फलों का रंग गहरा हरा होता है. करेले की इस किस्म की पहली तुड़ाई 55 से 60 दिनों बाद की जा सकती है.

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