Agri Quiz: किस फसल की वैरायटी है काशी नंदिनी, 60 दिनों में हो जाती है तैयार

Agri Quiz: किस फसल की वैरायटी है काशी नंदिनी, 60 दिनों में हो जाती है तैयार

भारत में किसान सीजन के हिसाब से कई सब्जियों की खेती करते हैं. ऐसी ही एक फसल है जिसकी खेती रबी सीजन में की जाती है. इस फसल की एक खास किस्म काशी नंदिनी है, जो मात्र 60 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. आइए जानते हैं इसकी खासियत.

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Agri Quiz: किस फसल की वैरायटी है काशी नंदिनी, 60 दिनों में हो जाती है तैयारकिस फसल की वैरायटी है काशी नंदिनी

भारत खेती-किसानी और विविधताओं से भरा देश है. यहां अलग-अलग फसलें अपनी खास पहचान की वजह से मशहूर होती हैं. वहीं, कई फसलें अपने अनोखे नाम के लिए भी जानी जाती हैं. ऐसी ही एक फसल है जिसकी वैरायटी का नाम काशी नंदिनी है. दरअसल, ये वैरायटी रबी की प्रमुख दलहनी फसल मटर की एक खास किस्म है, जिसकी खेती रबी सीजन में की जाती है. मटर की खेती किसानों के लिए काफी लोकप्रिय खेती है. इस फसल की खेती कम सिंचाई और कम लागत में आसानी से हो जाती है. ऐसे में आइए जानते हैं मटर की कौन-कौन सी उन्नत किस्में हैं और कैसे करें इसकी खेती.

मटर की 3 उन्नत किस्में

काशी नंदिनी किस्म: काशी नंदिनी मटर की एक खास किस्म है. अगेती किस्मों में इस किस्म का मुख्य स्थान है. बुवाई के लगभग 60-65 दिनों में इसकी फलियां तुड़ाई योग्य हो जाती हैं. इसकी एक फली में 7-9 दाने बनते हैं. इसकी सबसे बड़ी बात यह है कि पौधे में लगी सभी फलियां एक साथ तैयार हो जाती हैं जिससे बार-बार तुड़ाई की जरूरत नहीं पड़ती है. इससे प्रति हेक्टेयर 110-120 क्विंटल मटर का उत्पादन किया जा सकता है.

अर्ली बैजर किस्म: मटर की ये एक विदेशी किस्म है, जिसके पौधों की फलियों में बनने वाले बीज झुर्रीदार पाए जाते हैं. इस किस्म का पौधा बौना दिखाई देता है. जिसके पौधे बीज रोपाई के लगभग 50 से 60 दिन बाद पहली तुड़ाई के लिए तैयार हो जाते हैं. इस किस्म के पौधों की प्रत्येक फलियों में औसतन 5 से 6 दाने पाए जाते हैं. इस किस्म के पौधों से प्रति हेक्टेयर औसतन उत्पादन 10 टन के आसपास पाया जाता है.

आर्केल किस्म: आर्केल एक मटर की यूरोपियन किस्म है. इसके दाने मीठे होते हैं. यह मटर की जल्दी तैयार होने वाली किस्मों में से एक है. इसकी फलियों की बुवाई के करीब 60 से 65 दिन बाद तुड़ाई शुरू कर सकते हैं. इसकी फलियां आठ से 10 सेमी लंबी तलवार के आकार की होती हैं और इसमें पांच से छह दाने होते हैं.

कैसे करें मटर की खेती

बता दें कि किसान अगर मटर की खेती की प्लानिंग से करें तो इससे बंपर कमाई कर सकते हैं. वहीं, मटर की खेती किसी भी तरह की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. हालांकि गहरी दोमट मिट्टी इसके लिए परफेक्ट मानी जाती है. वहीं, भूमि का P.H. मान 6 से 7.5 मध्य होना जरूरी है. मटर की रोपाई बीजों के माध्यम से की जाती है. इसके लिए ड्रिल विधि का इस्तेमाल सबसे उपयुक्त है. पंक्तियों में बीजों को 5 से 7 सेंटीमीटर की दूरी पर लगाया जाता है. ध्यान रखें कि इस फसल को समय-समय पर सिंचाई और खाद मिलती रहे.

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