अब जल्द ही राजधानी पटना की गंदगी का सफाया होने वाला है. इतना ही नहीं राजधानी पटना सहित आस पास के 13 नगर निकायों में फैले कचरे की सफाई का प्रबंध कर लिया है. जल्द ही पटना स्वच्छ और साफ सुथरी राजधानी बनेगा. इसके लिए बिहार सरकार ने कचरा प्रबंधन की तैयारी कर ली है.
सरकार के कचरा प्रबंधन से अब गंदगी ओर दुर्गंध फैलाने वाली गंदगी उपयोगी होगी. इससे न सिर्फ बिजली बनेगी और घरों में चूल्हा भी जलेगा. दरअसल, नीतीश सरकार ने कैबिनेट के फैसले में लोक-निजी भागीदारी (PPP) मोड में 514.59 करोड़ रुपये की लागत से ठोस कचरा प्रबंधन परियोजना को मंजूरी दे दी है.
नीतीश कैबिनेट ने बुधवार को इस प्रोजेक्ट को मंजूर कर लिया है जिससे पटना, दानापुर, फतुहा, खगौल, फुलवारीशरीफ, संपतचक, मनेर, मसौढ़ी, बिहटा, बख्तियारपुर, नौबतपुर, पुनपुन और खुसरूपुर का कचरा एक जगह इकट्ठा कर रामचक बैरिया में वैज्ञानिक तरीके से निस्तारित किया जाएगा. इससे न केवल राजधानी पटना चकाचक होगी बल्कि 12 नगर निकायों की बदबू और गंदगी भी साफ होगी.
बताते चलें कि ऐसा पहली बार हो रहा है जब केंद्र सरकार ने किसी राज्य को सामाजिक आधारभूत परियोजना के तहत ठोस कचरा प्रबंधन के लिए वीएबिलिटी गैप फंडिंग (VGF) देने का फैसला किया है. इसके तहत बिहार को 154.38 करोड़ रुपये का अनुदान भी दिया जाएगा. खास बात यह है कि अगर परियोजना में 30 फीसद से अधिक VGF की जरूरत पड़ी, तो अंतर की राशि राज्य सरकार अपने रिंगफेंस खाते से देगी.
कचरा प्रबंधन के लिए संयंत्र रामचक बैरिया में लगाया जाएगा. जहां हर दिन 1600 टन कचरे की प्रोसेसिंग की जाएगी. यह संयंत्र न सिर्फ कचरे का निस्तारण करेगा बल्कि 15 मेगावाट बिजली भी तैयार करेगा. इससे राजधानी पटना की जरूरतों को पूरा किया जाएगा.
इस कचरा प्रबंधन संयंत्र के लगने के बाद कचरा इतना उपयोगी हो जाएगा कि यह न बिजली उत्पादित करेगा बल्कि बायोगैस अभी बनाएगा. यह संयंत्र 100 टन प्रतिदिन बायो-मिथेनेशन करेगा. इससे बनी बायो गैस को घरों तक पहुंचाया जाएगा. इसके अलावा खेतों के लिए खाद भी तैयार होगा जिसे खेती में उपयोग किया जाएगा. सरकार का मानना है कि यह प्रोजेक्ट पटना और उसके आसपास के इलाकों को साफ-सुथरा रखने के साथ-साथ, कचरे से कमाई का रास्ता भी खोलेगा.
15 मेगावाट का ऊर्जा संयंत्र, जो कचरे से बिजली बनाएगा.
100 टन प्रतिदिन क्षमता का बायो-मिथनेशन होगा.
इस संयंत्र से खाद भी तैयार होगी, जिससे खेतों में डाला जाएगा.
शहरों में सड़कों और गलियों में फैला कचरा खत्म होगा.
गंदगी और दुर्गंध से मिलेगी राहत.
बिजली और बायोगैस उत्पादन से ऊर्जा की अतिरिक्त आपूर्ति होगी.
पटना और आसपास के शहरों की स्वच्छता रैंकिंग में सुधार होगा.
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