सब्जी सेहत के लिए काफी फायदेमंद मानी जाती है. लोग पूरे साल खुद को सेहतमंद रखने के लिए अलग-अलग प्रकार की सब्जियों को खाते हैं. इसलिए मार्केट में भी पूरे साल हरी सब्जियों की डिमांड रहती है. साथ ही कई सब्जियों की ऐसी किस्में हैं जो उनकी खासियत को बढ़ा देती हैं. ऐसे में आइए जानते हैं कि किस सब्जी की किस्म है JADU और कैसे करते हैं इसकी खेती. आपको बता दें, पूरे साल बाजार में मिलने वाली सब्जी कद्दू की किस्म है JADU. कद्दू की इस किस्म की किसानों में खूब डिमांड रहती है. किसान इसकी खेती कर बेहतर उपज और कमाई करते हैं. ऐसे में आइए जानते हैं JADU की क्या है खासियत और कैसे करें इसकी खेती.
कद्दू बेहद लोकप्रिय सब्जी है जिसे देश के अधिकांश हिस्सों में खाया जाता है. इसे कोंहड़ा, कुम्हड़ा, सीताफल और काशीफल जैसे नामों से भी जाना जाता है. इसे लगभग हर भारतीय रसोई में एक महत्वपूर्ण और स्वादिष्ट सब्जी के तौर पर पकाया और खाया जाता है. वहीं, बात करें इसकी उन्नत वैरायटी की तो JADU किस्म के अलावा, काशी हरित किस्म, पूसा विश्वास किस्म, काशी उज्ज्वल किस्म, अरका सूर्यमुखी किस्म, काशी धवन किस्म, अंबली किस्म, पंजाब मगज किस्म इसमें शामिल हैं, जिनकी खेती करके किसान बेहतर कमाई कर सकते हैं.
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जब उपज की बात हो तो कद्दू की JADU वैरायटी का नाम सबसे प्रमुखता से लिया जाता है. सामान्य तौर पर इसका फल चार से छह किलो तक होता है. यही वजह है कि किसानों के लिए यह वैरायटी अच्छी कमाई देने वाली होती है. इसका आकार गोल होता है और फल लगने की शुरुआत 60-80 दिनों में होती है. फल का गूदा क्रीम जैसे पीले रंग का होता है. साथ ही इसकी खेती भारत के कई राज्यों में की जाती है, जिसमें राजस्थान, मध्य प्रदेश, उत्तर प्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, ओडिशा, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, केरल, तेलंगाना, बिहार, झारखंड, असम, पंजाब, हरियाणा और दिल्ली शामिल है. इसके अलावा इसकी बुवाई का सही समय गर्मी और बरसात का मौसम होता है.
कद्दू की खेती सभी प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है. वहीं, अच्छी पैदावार लेने के लिए दोमट या बलुई दोमट मिट्टी सबसे उचित मानी जाती है. कद्दू की खेती करने से पहले खेतों की जुताई करने के बाद पाटा चलाकर मिट्टी को भुरभुरा और समतल करना चाहिए. उसके बाद बीज की बुवाई करनी चाहिए.
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