भारत के लिए बड़ी चिंता की खबर है. यह खबर वर्ल्ड मेटरोलॉजिकल ऑर्गेनाइजेशन यानी कि WMO की तरफ से आई है. इसमें बताया गया है कि आने वाले वर्षों में तापमान इस कदर बढ़ेगा कि भारत में खेती की उपज में भारी कमी आ सकती है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि आने वाले वर्षों में तापमान में ऐसी बढ़ोतरी होगी जो 1991-2020 के मुकाबले अधिक होगी. रिपोर्ट ये भी कहती है कि 2024-2028 के बीच तापमान में बढ़ोतरी 1.1 डिग्री से लेकर 1.9 डिग्री तक पहुंच सकती है. 2024-2028 के बीच एक साल ऐसा भी रह सकता है जिस दौरान तापमान में बढ़ोतरी 1.5 डिग्री तक दर्ज की जा सकती है. इसका असर खेती-बाड़ी पर देखने को मिल सकता है.
2020 से दुनिया में ला-नीना का प्रभाव देखा गया. इसका सबसे बुरा असर एशिया में भारी बारिश और बाढ़ के रूप में देखा गया. खासकर भारत में हालात बहुत खराब रहे. जून 2023 के बाद अल-नीनो का दौर शुरू हो गया जिससे एशिया, खासकर भारत में सूखे की स्थिति पैदा हो गई. अल-नीनो ने स्थिति ऐसी बिगाड़ी कि भारत का एक चौथाई हिस्सा भारी सूखे की चपेट में चला गया.
क्लाइमेट चेंज से पैदा हुई अल-नीनो की स्थिति ने भारत में खेती-बाड़ी को बड़े पैमाने पर प्रभावित किया. इस दौरान भारत के अधिकांश इलाकों में बेमौसमी बारिश और लू की लहरें देखी गईं. इससे अनाज, दालों और तिलहन का उत्पादन प्रभावित हुआ. WMO की रिपोर्ट बताती है कि उसके पूर्वानुमानों को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार को बड़ी तैयारी करनी चाहिए. किसानों को इस बात के लिए प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे खेती के काम में बदलाव ले आएं. रिपोर्ट बताती है कि 2023-24 में अल-नीनो अपने चरम पर है और इसी साल ला-नीना में तब्दील हो जाएगा.
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WMO की एक रिपोर्ट बताती है कि जून-अगस्त 2024 के दौरान ला-नीना एक्टिव हो सकता है. जुलाई से सितंबर के बीच ला-नीना के एक्टिव होने की संभावना 60 परसेंट है और अगस्त-नवंबर के बीच 70 परसेंट एक्टिव होने की संभावना है. रिपोर्ट यह भी कहती है कि अभी अल-नीनो के दोबारा एक्टिव होने की संभावना न के बराबर है. भारत में ला-नीना अगर प्रचंड रूप लेता है तो इससे खेती बुरी तरह से प्रभावित हो सकती है. ला-नीना से भारी बारिश और बाढ़ की संभावना बनती है जो खेती के लिए लिहाज से ठीक नहीं है.
जलवायु परिवर्तन की बात करें तो इसने भारत सहित पूरी दुनिया को परेशानी में डाल रखा है. अल-नीनो इसी का बाईप्रोडक्ट है. अब गर्मी पहले से अधिक गर्म होती है, इसका असर पहले से अधिक असहनीय होता जा रहा है. साल 2023 में दुनिया के उत्तरी हिस्से में 2,000 साल का सबसे गर्म मौसम रिकॉर्ड किया गया. कनाडा में इतनी गर्मी रही कि जंगलों की आग को बुझाना बेकाबू हो गया. अमेरिका के टेक्सास से लेकर एरिजोना तक इतनी गर्मी रही कि सैकड़ों लोगों की जान चली गई. ऐसे में सोचा जा सकता है कि खेती पर इसका कैसा असर रहा होगा और आगे क्या हालात बनेंगे.
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