इस समय देश में गेहूं समेत रबी की बाकी फसलों की कटाई का काम शुरू हो चुका है या फिर शुरू होने वाला है. गेहूं और बाकी फसलों की अच्छी पैदावार के लिए यह बहुत जरूरी है कि इनमें सही खाद और उर्वरकों का प्रयोग किया जाए. कई किसान भाइयों को सही जानकारी ना होने की वजह से वह धड़ल्ले से खाद-उर्वरक का प्रयोग करते है. अक्सर किसानों को इसके नुकसान के बारे में कुछ मालूम नहीं होता है. कृषि विशेषज्ञों की मानें तो ज्यादा खाद-उर्वरक के प्रयोग से मिट्टी को गुणवत्ता कमजोर हो जाती है. वहीं कुछ सालो बाद इनके साइड इफेक्ट्स भी देखने को मिल सकते हैं. ऐसे में यह काफी महत्वपूर्ण है कि हर किसान को इसकी पूरी जानकारी हो कि उसे खाद उर्वरक का प्रयोग कब, कितना और कितने दिनों के अंतराल में करना है. गेहूं की फसल के लिये बलुई दोमट, उर्वरा और अच्छी तरह से पानी सोखने की क्षमता वाली मिट्टी सही रहती है.
इसकी खेती ज्यादातर ऐसे हिस्सों में की जाती है, जो सिंचित होते हैं. हालांकि भारी चिकनी मिट्टी और सही जलधारण क्षमता वाली भूमि में असिंचित परिस्थितियों में भी बोया जा सकता है. खेत को अच्छी तरह तैयार करने के बाद दीमक और जमीन में रहने वाले बाकी कीड़ों की रोकथाम के लिए क्यूनालफॉस 1.5 फीसदी, चूना 25 किग्रा प्रति हैक्टर की दर से बीज बोने से पहले अंतिम जुताई के समय खेत में मिलाना चाहिए.
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सिंचित क्षेत्रो में सामान्य बुवाई हेतु बुवाई का सही समय नवंबर के पहले से तीसरे हफ्ते तक होता है. इसमें बीज दर 125 किग्रा प्रति हेक्टेयर और कतार से कतार की दूरी 20-23 सेमी तक रखनी चाहिए. जबकि देरी से बुवाई के लिए बुवाई का उचित समय नवंबर के आखिरी हफ्ते से दिसंबर दूसरे हफ्ते तक होता है. इसमें बीज दर 150 किग्रा प्रति हेक्टेयर और कतार से कतार की दूरी 20-23 सेमी रखनी चाहिए. कम सिंचित/असिंचित क्षेत्रों में सामान्य बुवाई के लिए बुवाई का उचित समय मध्य अक्टूबर से मध्य नवम्बर तक रहता है.
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गेहूं की खेती के लिए अच्छी सड़ी हुई 8-10 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर बुवाई के एक महीने पहले हर तीन साल में एक बार जरूर दें. मिट्टी के टेस्ट के आधार पर ही उर्वरकों का प्रयोग करें. गेंहू की सिंचित क्षेत्रों में सामान्य बुवाई के लिए 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 40 किलोग्राम फॉस्फोरस और 30 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर से दें. देरी से बुवाई की स्थिति में 90 किग्रा नाइट्रोजन और 35 किलोग्राम फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर की दर से दें.
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असिंचित क्षेत्र और पेटा काशत में 30 किलोग्राम नाइट्रोजन और 15 किग्रा फॉस्फोरस प्रति हेक्टयर बुवाई के समय ऊपर से दें. जस्ते की कमी के कारण पौधों की वृद्धि रूक जाती है. उनका तना तो हरा रहता है लेकिन पत्तियां बीच से पीली पड़ने लगती हैं. नाइट्रोजन देने के बाद भी अगर क्षेत्रों के पौधे हरे नहीं होते हैं तो बुवाई से पहले प्रति हेक्टेयर 25 किग्रा जिंक सल्फेट या 10 किग्रा चिलेटेड़ जिंक, नाइट्रोजन जहां गेहूं, बोने के बाद जिंक की कमी महसूस हो वहां पांच किग्रा जिंक सल्फेट और 250 किग्रा बुझे हुए चूने को 1000 लीटर पानी में घोल कर प्रति हेक्टयर छिड़कें.
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