
शलजम जिसे शलगम के नाम से भी जाना जाता है. ये एक जड़ वाली सब्जी है, जिसका लोग फल के तौर पर भी इस्तेमाल करते हैं. इसे सब्जी और सलाद के रूप में खाया जाता है. मैदानी भागो में शलजम की फसल सर्दी के मौसम में तैयार की जाती है. शलजम की खेती इसकी जड़ों और पत्तों के लिए की जाती है. इसके पत्ते औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं. अगर आप भी शलजम की खेती करना चाहते हैं और उसकी उन्नत किस्म पर्पल टॉप वाईट ग्लोब (PTWG) का बीज मंगवाना चाहते हैं तो नीचे दी गई जानकारी की सहायता से शलजम के बीज ऑनलाइन अपने घर पर मंगवा सकते हैं.
अभी के समय में किसान पारंपरिक फसलों को छोड़कर नकदी फसलें उगा रहे हैं. कमाई के लिहाज से भी किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं. ऐसे में किसानों की सुविधा के लिए राष्ट्रीय बीज निगम ऑनलाइन शलजम की पर्पल टॉप वाईट ग्लोब के बीज बेच रहा है. इस बीज को आप एनएससी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद कर सकते हैं. साथ ही इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर भी मंगवा सकते हैं.
ये शलजम की एक खास वैरायटी है. शलजम की पर्पल टॉप वाईट ग्लोब किस्म आकार में सामान्य से बड़ी होती है, जिसका ऊपरी भाग बैंगनी और गूदा सफेद होता है. इसे तैयार होने में 60 से 65 दिन का समय लगता है. वहीं, इसका उत्पादन 150 से 180 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक होता है.
अगर आप भी शलजम की उन्नत किस्म की खेती करना चाहते हैं, तो इसका 1 पैकेट फिलहाल 28 फीसदी की छूट के साथ 51 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट पर मिल जाएंगे. इसे खरीद कर आप आसानी से शलजम की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
शलजम की खेती के लिए बलुई या दोमट और रेतीली मिट्टी फायदेमंद होती है. शलजम की जड़ें भूमि के अंदर होती हैं, इसलिए इसे नर्म जमीन की जरूरत होती है. वहीं, इसकी खेती करने के लिए खेत की पहले जुताई करें. फिर गाय का सड़ा हुआ गोबर 60-80 क्विंटल प्रति एकड़ डालें. साथ ही शलजम की बुआई पंक्तिबद्ध तरीके से की जानी चाहिए. बीज को 20 से 25 सेमी की दूरी पर बोएं. साथ ही पौधे से पौधे की दूरी 8 से 10 सेमी की होनी चाहिए.
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