इस सप्ताह तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए किसानों को सलाह है कि खड़ी फसलों और सब्जियों में जरूरत के अनुसार हल्की सिंचाई करें. सिंचाई सुबह या शाम के समय करें जब हवा की गति कम हो. तापमान बढ़ने की संभावना को देखते हुए गेहूं फसल में 2% पोटेशियम नाइट्रेट या 0.2% म्यूरेट ऑफ़ पोटाश उर्वरक का घोल बना कर फसल पर छिड़काव करें ताकि बढ़ते तापमान के प्रभाव को कम किया जा सके.
अधिक तापमान से टमाटर, मिर्च और बैंगन की फसलों को बचाने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि 2% नेफ्थेलिन एसिटीक एसिड (Nephthalene acetic acid) (NAA) का घोल खड़ी फसलों पर छिडकाव करें ताकि फलों का विकास बंद न हो. पूरी तरह से पके तोरिया या सरसों की फसल को जल्दी काट दें. 75-80 प्रतिशत फली का रंग भूरा होना ही फसल पकने के लक्षण हैं.
फलियों के अधिक पकने की स्थिति में दाने झड़ने की संभावना होती है. अधिक समय तक कटी फसलों को सूखने के लिए खेत पर रखने से चितकबरा बग से नुकसान होता है. इसलिए जल्द से जल्द गहाई करें. गहाई के बाद फसल अवशेषों को नष्ट कर दें, इससे कीट की संख्या को कम करने में मदद मिलती है.
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मूंग की फसल की बुवाई के लिए किसान उन्नत बीजों की बुवाई करें. मूंग– पूसा विशाल, पूसा रत्ना, पूसा- 5931, पूसा बैसाखी, पी.डी एम-11, एस एम एल- 32, एस एम एल- 668, सम्राट, बुवाई से पहले बीजों को फसल विशेष राइजोबियम और फास्फोरस सोलूबलाइजिंग बैक्टीरिया से जरूर उपचार करें. बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना जरूरी है.
टमाटर, मटर, बैंगन और चना फसलों में फलों को फल छेदक/फली छेदक कीट से बचाव के लिए किसान खेत में पक्षी बसेरा लगाएं. वे कीट से नष्ट फलों को इकट्ठा कर जमीन में दबा दें. साथ ही फल छेदक कीट की निगरानी के लिए फेरोमोन ट्रैप @ 2-3 ट्रैप प्रति एकड़ की दर से लगाएं. यदि कीट की संख्या अधिक हो तो बी.टी. 1.0 ग्राम/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें. फिर भी प्रकोप अधिक हो तो 15 दिन बाद स्पिनोसैड कीटनाशी 48 ई.सी. @ 1 मि.ली./4 लीटर पानी की दर से छिड़काव सुबह या शाम के समय करें.
सब्जियों में चेपा के आक्रमण की निगरानी करते रहें. वर्तमान तापमान में यह कीट जल्द ही नष्ट हो जाते हैं. यदि कीट की संख्या अधिक हो तो इमिडाक्लोप्रिड़ @ 0.25 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से पके फलों की तुड़ाई के बाद छिड़काव सुबह या शाम के समय करें. सब्जियों की फसलों पर छिड़काव के बाद कम से कम एक सप्ताह तक तुड़ाई न करें. बीज वाली सब्जियों पर चेपा के आक्रमण पर विशेष ध्यान दें.
इस मौसम में बेल वाली सब्जियों और पछेती मटर में चूर्णिल आसिता रोग के प्रकोप की संभावना रहती है. यदि रोग के लक्षण दिखाई दें तो कार्बेंडाज़िम @ 1 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से छिड़काव सुबह या शाम के समय करें. बेल वाली सब्जियां जो 20 से 25 दिन की हो गई हों तो उनमें 10-15 ग्राम यूरिया प्रति पौध डालकर गुड़ाई करें.
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फ्रेंच बीन (पूसा पार्वती, कोंटेनडर), सब्जी लोबिया (पूसा कोमल, पूसा सुकोमल), चौलाई (पूसा किरण, पूसा लाल चौलाई), भिंडी (ए-4, परबनी क्रांति, अर्का अनामिका आदि), लौकी (पूसा नवीन, पूसा संदेश), खीरा (पूसा उदय), तोरई (पूसा स्नेह) आदि और गर्मी के मौसम वाली मूली (पूसा चेतकी) की सीधी बुवाई के लिए वर्तमान तापमान अनुकूल है क्योंकि, बीजों के अंकुरण के लिए यह तापमान उपयुक्त है.
उन्नत किस्म के बीजों को किसी प्रमाणित स्रोत से लेकर बुवाई करें. बुवाई के समय खेत में पर्याप्त नमी का होना आवश्यक है. इस मौसम में समय से बोई गई बीज वाली प्याज की फसल में थ्रिप्स के आक्रमण की निरंतर निगरानी करते रहें. बीज फसल में परपल ब्लोस रोग की निगरानी करते रहें. रोग के लक्षण अधिक पाए जाने पर जरूरत के अनुसार डाईथेन एम-45 @ 2 ग्रा. प्रति लीटर पानी की दर से किसी चिपचिपा पदार्थ (स्टीकाल, टीपाल आदि) के साथ मिलाकर छिड़काव सुबह या शाम के समय करें.
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इस तापमान में मक्का चारे के लिए (प्रजाति– अफरीकन टाल) और लोबिया की बुवाई की जा सकती है. बेबी कॉर्न की एच एम-4 की भी बुवाई कर सकते हैं. आम और नींबू में फूल आने के दौरान सिंचाई ना करें और मिलीबग और हॉपर कीट की निगरानी करते रहें. किसानों के लिए यह एडवाइजरी आईसीएआर, पूसा ने जारी की है.
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