इस बार तेजी नहीं पकड़ पाई खादों की बिक्री, सूखा और कम बुवाई से सुस्त हुई मांग

इस बार तेजी नहीं पकड़ पाई खादों की बिक्री, सूखा और कम बुवाई से सुस्त हुई मांग

इस साल देश के कई हिस्सों में कम बारिश और सूखे जैसी हालात होने के कारण खाद की बिक्री में कमी आई है. खरीफ सीजन के समय मॉनसून का नदारद रहना गिरावट में कमी का मुख्य कारण है. सरकार ने खादों की बिक्री का जो अनुमान व्यक्त क्या था, उससे कम खाद बिकी है.

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इस बार तेजी नहीं पकड़ पाई खादों की बिक्री, सूखा और कम बुवाई से सुस्त हुई मांगइस बार तेजी नहीं पकड़ पाई खादों की बिक्री

चालू वित्त वर्ष के पहले चार महीनों के दौरान उर्वरक यानी खाद की बिक्री में पांच प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी गई है जो 174.37 लाख टन है. लेकिन सरकार ने बिक्री का जो अनुमान रखा था, उससे यह कम है. सरकारी अनुमान से बिक्री इसलिए कम हुई है क्योंकि सूखे और मॉनसून की कम बारिश ने बुआई को प्रभावित किया है. कम बारिश होने से किसानों ने कम खेती की है. ऐसे में खाद की बिक्री का गिरना लाजिमी है. अप्रैल से जुलाई के बीच किसान कई फसलों की खेती करते हैं. खरीफ सीजन में इस अवधि का अहम रोल है. लेकिन इस साल खरीफ में लोगों ने अधिक खाद नहीं खरीदी है. इसकी मांग में 17 प्रतिशत की गिरावट देखी गई है.

कम बारिश है गिरावट की वजह

खाद की बिक्री में कमी का सबसे बड़ा असर बारिश का है. देश के आधे से अधिक हिस्से में किसान वर्षा पर निर्भर हैं. इस साल मॉनसून में देश के एक बड़े हिस्से में वर्षा की कमी रही है. इतना ही नहीं, लगातार कम बारिश होने की वजह से किसानों ने खेतों में खाद का इस्तेमाल नहीं किया. हालांकि, उद्योग को आगे इस मांग में सुधार की उम्मीद है क्योंकि मौसम ब्यूरो ने सितंबर में सामान्य मॉनसून की भविष्यवाणी की है.  बारिश बढ़ते ही खादों की मांग बढ़ेगी और इससे बिक्री भी बढ़ेगी.

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कई राज्यों में बारिश का अनुमान

भारत मौसम विज्ञान विभाग ने गुरुवार को कहा है कि अगस्त के अंत में हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, सिक्किम, बिहार, ओडिशा में भारी वर्षा के साथ व्यापक वर्षा होने की संभावना है. इसके अलावा, उन्होंने दक्षिण में किसी भी वर्षा गतिविधि की भविष्यवाणी नहीं की है. या अगले पांच दिनों के लिए देश के पश्चिमी हिस्सों में बारिश न होने की भविष्यवाणी की है. जिन हिस्सों में बारिश होगी वहां खेती-बाड़ी से जुड़ी गतिविधियां बढ़ेंगी.  

विदेशों में बढ़ी खाद की मांग 

भले ही खाद की बिक्री सरकार की उम्मीद के मुताबिक नहीं रही हो, लेकिन विदेशों से बहुत अधिक मात्रा में डीएपी खरीदने के कारण अप्रैल-जुलाई के दौरान आयात में 7.7 प्रतिशत की बढ़ोतरी देखी जा रही है. वहीं भारत में यूरिया का आयात, जो पूरी तरह से सरकारी नियंत्रण में है, 32 प्रतिशत घटकर 14.87 लीटर और कॉम्प्लेक्स का आयात 16.7 प्रतिशत घटकर 9.21 लीटर रह गया है. लेकिन डीएपी का आयात 52.8 प्रतिशत बढ़कर 26.59 लीटर और एमओपी का आयात 70.1 प्रतिशत बढ़कर 9.66 लीटर हो गया है.

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