विश्व में लगातार जैविक खादों का इस्तेमाल बढ़ता जा रहा है. ऐसे में भारत में भी जैविक खादों का इस्तेमाल अब बढ़ने लगा है. विश्व का जैविक खाद्य बाजार लगभग ₹10 लाख करोड़ का है जबकि इसमें भारत की केवल 2.70% हिस्सेदारी है, इसलिए इसमें विस्तार की बहुत संभावना है. बहु-राज्य सहकारी जैविक समिति जैविक क्षेत्र से संबंधित गतिविधियों के प्रबंधन हेतु एक प्रमुख संगठन के रूप में कार्य करेगी. हालांकि जैविक खाद और जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए अब भारत की सरकार द्वारा भी कदम उठाए जा रहे हैं. जिसे तहत वित्त बजट साल 2023-24 में प्रकृतिक खेती को बढ़ावा दिया गया है. क्या है प्रकृतिक खेती और कैसे भारत जैविक खाद के बाजारों में अपनी धमक बना सकता है आइए जानते हैं.
प्राकृतिक खेती में जमीन के प्राकृतिक स्वरूप को बनाए रखते हुए खेती की जाती है. इसमें बैक्टीरिया और वातावरण में मौजूद तत्वों का इस्तेमाल कर खेती की जाती है ताकि रासायनिक खादों का इस्तेमाल ना किया जा सके. ऐसे में प्राकृतिक खाद का इस्तेमाल किया जाता है जो प्रकृति में बहुत आसानी से मिल जाते हैं. इससे पर्यावरण को भी नुकसान नहीं होता है. प्राकृतिक खेती में किसानों की लागत भी कम आती है और मुनाफा अच्छा मिलता है. प्राकृतिक खेती में पेड़-पौधों की पत्तियों से बनी खाद, गोबर की खाद और जैविक कीटनाशकों का ही प्रयोग किया जाता है. ऐसे में भारत सरकार प्राकृतिक खेतों को बढ़ावा देने के लिए 1 करोड़ किसानों को इससे जोड़ेगी ताकि इसको आगे बढ़ाया जा सके.
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प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के साथ ही भारत में अब जैविक खादों की मांग में भी बढ़त देखी जा रही है. जैविक खाद और प्राकृतिक खेती एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. ऐसे में अगर एक को बढ़ावा दिया जाए तो दूसरे को भी बढ़ावा मिलता है. इसे देखते हुए अब यह उम्मीद लगाई जा रही है कि आने वाले कुछ समय में भारत में जैविक खाद के बाजार में बढ़त देखी जा सकती है.
अक्सर किसान फसल से अधिक उपज और गुणवत्ता के लिए रासायनिक खादों का इस्तेमाल करते हैं. जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता लगातार घटती जा रही है. ऐसे में इसको रोकने के लिए सरकार किसानों को जैविक खाद का इस्तेमाल करने की सलाह दे रही है. जिसको देखते हुए अब यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि देश में जैविक खादों का इस्तेमाल बढ़ सकता है.
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