भिंडी की बुवाई में अब देरी न करें किसान, ज्यादा उपज के लिए इन उन्नत वैरायटी का कर सकते हैं चयन

भिंडी की बुवाई में अब देरी न करें किसान, ज्यादा उपज के लिए इन उन्नत वैरायटी का कर सकते हैं चयन

अनुकूल मौसम को देखते हुए किसानों को भिंडी की बुवाई की सलाह दी गई है. मध्य प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार किसान भिंडी की 4 उन्नत किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. भिंडी का अच्छा उत्पादन लेने के लिए प्रति हेक्टेर क्षेत्र में लगभग 15-20 टन गोबर की खाद और नाइट्रोजन, पोटाश का छिड़काव करना चाहिए. 

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भिंडी की बुवाई में अब देरी न करें किसान, ज्यादा उपज के लिए इन उन्नत वैरायटी का कर सकते हैं चयनभिंडी की खेती की तैयारियों में जुटे किसानों को तत्काल बुवाई की सलाह दी गई है.

रबी सीजन में सब्जी फसलों की बुवाई की तैयारियों में जुटे किसानों को मौसम अनुकूल होने के चलते बुवाई की सलाह दी गई है. भिंडी की खेती करने के इच्छुक किसानों के लिए बुवाई का यह सही मौसम बताया गया है. पहाड़ी इलाकों के साथ ही मैदानी इलाकों में भिंडी की खेती के लिए 4 किस्मों के चयन की सलाह दी गई है, ताकि कम लागत और कम समय में अच्छी उपज हासिल की जा सके. 

कृषि सलाह में हरी सब्जियों की बुवाई के लिए अक्तूबर का महीना अनुकूल बताया है. उत्तर प्रदेश, हिमाचल और पूर्वोत्तर के राज्यों समेत करीब 10 राज्यों के किसानों को हरी सब्जियों किसानों की खेती को लेकर सलाह जारी की गई है. अनुकूल मौसम को देखते हुए किसानों को सब्जी फसलों पालक, मूली, शलजम, धनिया, मटर, लहसुन, चुकंदर और मेथी की बुवाई करने की सलाह दी गई है. 

भिंडी की इन किस्मों की बुवाई करें किसान 

भिंडी की खेती की तैयारियों में जुटे किसानों को तत्काल बुवाई की सलाह दी गई है. मध्य प्रदेश कृषि विभाग के अनुसार किसान भिंडी की 4 उन्नत किस्मों की बुवाई कर सकते हैं. भिंडी का अच्छा उत्पादन लेने के लिए प्रति हेक्टेर क्षेत्र में लगभग 15-20 टन गोबर की खाद और नाइट्रोजन, पोटाश का छिड़काव करना चाहिए. 

45 दिन में बिक्री के लिए तैयार होने वाली पूसा ए -4 किस्म 

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान नई दिल्ली ने भिंडी की उन्नत किस्म पूसा ए -4 को विकसित किया है. यह किस्म पीतरोग यैलो वेन मोजैक वायरस को खत्म करने में सक्षम है, जिसके चलते इसकी उपज खूब होती है. इस किस्म की बुवाई के लगभग 15 दिन बाद से फल आना शुरू हो जाता है और पहली तुड़ाई 45 दिनों बाद शुरू हो जाती है. पूसा ए -4 किस्म की बुवाई से 15 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज किसान हासिल कर सकते हैं. 

6 धारियों वाली भिंडी की ये किस्म है लोकप्रिय 

भिंडी की अर्का अनामिका किस्म को भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान बैंगलोर ने विकसित किया है. इस किस्म की भिंडी के पौधे 120-150 सें.मीटर तक ऊंचे होते हैं. इसके फलों में रोम नहीं होते हैं और भिंडी का काफी मुलायम होने के साथ ही 5-6 धारियों वाली होती है. इसकी भिंडी का डंठल लंबा होने से तुड़ाई करने में आसानी होती है. अर्का अनामिका किस्म खरीफ और रबी सीजन में बुवाई के लिए उपयुक्त है. यह पीत रोग यानी येलोवेन मोजेक वायरस रोग से लड़ने में सक्षम है, जिसके चलते किसानों को 12-15 टन प्रति हेक्टेयर उपज आसानी से मिल जाती है. 

गर्म मौसम में भी 47 दिनों में तैयार होती है ये किस्म 

भिंडी की हिसार उन्नत किस्म को चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार ने विकसित की है. इस किस्म के पौधे 90-120 सें.मीटर तक की ऊंचाई वाले होते हैं. इसकी बुवाई के बाद पहली तुड़ाई 46-47 दिनों बाद शुरू हो जाती है. खरीफ और रबी सीजन में बुवाई के लिए उपयुक्त यह किस्म गर्म तापमान झेलने में सक्षम है और यह किस्म 13 टन प्रति हेक्टेयर से अधिक उपज देने में सक्षम है. 

18 टन पैदावार देती है वीआरओ -6 किस्म 

वीआरओ -6 भिंडी किस्म को काशी प्रगति के नाम से भी जाना जाता है. इसे भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान वाराणसी ने विकसित किया है. इसके पौधे की औसतन ऊंचाई 175 सेंटी मीटर तक पहुंच जाती है. यह किस्म खरीफ और रबी सीजन में बुवाई के लिए उपयुक्त होने के साथ ही गर्म तापमान झेलने में सक्षम है. भिंडी की फसल में सर्वाधिक फैसले वाले पीतरोग यानी येलोवेन मोजेक वायरस को यह किस्म पनपने नहीं देती है. इस किस्म की बुवाई से किसान आसामी से 18 टन प्रति हेक्टेयर तक की उपज हासिल कर सकते हैं. 

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