भारत की खेती के खिलाफ चीन की साजिश, फल-सब्जियों के बढ़ते उत्पादन से परेशान ड्रैगन

भारत की खेती के खिलाफ चीन की साजिश, फल-सब्जियों के बढ़ते उत्पादन से परेशान ड्रैगन

Specialty Fertilizer Issue: भारत हर साल जून-दिसंबर में 1.5-1.6 लाख टन विशेष उर्वरक आयात करता है, जिनमें पानी में घुलनशील, माइक्रोन्यूट्रिएंट और बायो-स्टिमुलेंट शामिल हैं. चीन की हरकत से आपूर्ति में रुकावट आई है. ऐसे में यह माना जा रहा है कि पड़ोसी चीन भारत के फल-सब्‍जी उत्‍पादन को प्रभावित करने के लिए ऐसा कर रहा है.

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भारत की खेती के खिलाफ चीन की साजिश, फल-सब्जियों के बढ़ते उत्पादन से परेशान ड्रैगनफल-सब्जी उत्‍पादन (सांकेत‍िक तस्‍वीर)

भारत फलों और सब्जियों की खेती के उत्‍पादन के मामले में दूसरे नंबर पर आता है और इनके निर्यात में भी प्रमुख रूप से शामिल है. इस बीच, चीन भारत की परेशानियां बढ़ाता नजर आ रहा है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, पिछले दो महीने से चीन ने भारत आने वाली विशेष उर्वरकों (specialty fertilisers) की खेप रोककर रखी हुई है. ये खास उर्वरक फलों, सब्जियों और अन्य लाभकारी फसलों की पैदावार बढ़ाने में इस्‍तेमाल किए जाते हैं. ऐसे में इससे बागवानी उत्‍पादन पर असर पड़ने की आशंका है. 

‘फाइनेंशि‍यल एक्‍सप्रेस’ की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि इनपुट के ग्‍लोबल सप्‍लायर चीन अन्य देशों को खास उर्वरकों का निर्यात कर रहा है. रिपोर्ट के मुताबिक, पिछले चार-पांच सालों से भारत को खास उर्वरक देने वाले सप्‍लायर्स को बैन कर रहा है. वहीं, इस बार उसने और सख्‍त रुख अपनाया है और निर्यात को लगभग पूरी तरह रोक दिया है. जानकारों का मानना है कि चीन भारत की खेती के खिलाफ साजिश के तहत ऐसा कर रहा है, ताकि फल-सब्जियों के बढ़ते उत्पादन पर असर पड़े.

1.5-1.6 लाख टन विशेष उर्वरक का आयात

भारत चीन से पानी में घुलनशील, सूक्ष्म पोषक तत्व, नैनो और जैव-उत्तेजक (Bio-stimulants) वैरिएंट जैसे विशेष उर्वरक आयात करता है. ये गैर-सब्सिडी वाले उत्पाद हैं, जो मिट्टी की सेहत और पोषक तत्व दक्षता में सुधार करते हैं. सामान्‍यत: भारत जून से दिंसबर की अवधि के दौरान 1.5 लाख टन से 1.6 लाख टन खास उवर्रकों का आयात करता है, लेकिन इस बार चीन के प्रतिबंधों के कारण खेप रुकी हुई है.

विशेष उर्वरकों का घरेलू उत्‍पादन सीम‍ित

भारत में तकनीकी कमी और पिछले रिकॉर्ड में कम मांग के कारण इन खास उर्वरकों का उत्‍पादन काफी सीमि‍त रूप में होता है. लेकिन अब इन खादों की बढ़ती मांग के चलते कई कंपनि‍यां इनके घरेलू उत्‍पादन को बढ़ाने के रुचि दिखा रही हैं. इससे इन कपंनियों को निश्‍चि‍त तौर पर फायदा होने की उम्‍मीद है.

सरकार और उद्योग की पहलों से मिलेगी राहत

चीन के इस अड़ंगे से इस साल फलों और सब्जियों का उत्‍पादन घट सकता है, लेकिन घरेलू खाद निर्माता (उद्योग) और सरकार की ओर से भंडारण, वैकल्पिक स्रोत से खास उर्वरकों का आयात और स्थानीय उत्पादन को बढ़ावा देने जैसे कदम इसे बेअसर या कम करने में मददगार साबित हो सकते हैं. हालांकि फिर भी, यह कहना ठीक नहीं होगा कि बागवानी के उत्‍पादन पर संकट नहीं है. इसके असल प्रभाव के बारे में उत्‍पादन की रिपोर्ट से ही पता चल सकेगा. 

इतने बिलियन डॉलर का होगा खाद उद्योग

वहीं, IMARC समूह के मुताबिक, अनुमान है कि भारतीय खाद उद्योग साल 2032 तक 16.58 बिलियन डॉलर तक पहुंच जाएगा. इस दौरान साल 2024 से 2032 तक 4.2 प्रतिशत CAGR की ग्रोथ देखी जा सकती है. वित्‍त वर्ष 2024-25 में भारत का खाद उत्पादन 452 लाख टन था. बता दें कि सरकार रासायनिक खाद के इस्‍तेमाल को कम करते हुए इसके आयात को घटाने पर जोर दे रही है.

साथ ही यहां जैव‍िक और प्राकृतिक खेती के माध्‍यम से फसल उत्‍पादन को प्रोत्‍साह‍ित कर रही है. केंद्र सरकार फल-सब्जियों के उत्‍पादन के साथ ही इनके ट्रांसपोर्ट और रख-रखाव और भंडारण संबंधी आयामों पर भी ध्‍यान दे रही है. साथ ही बागवानी के लिए किसानों को विभ‍िन्‍न योजनाओं का लाभ दिया जा रहा है. 

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