बिहार में बक्सर के इटाढ़ी अंतर्गत मदन डेरा में किसानों के खेतों पर किए गए केमिकल अटैक ने सबका ध्यान खींचा है. दरअसल मदन डेरा गांव के रहने वाले आधा दर्जन किसानों के खेतों पर केमिकल अटैक कर उनकी फसल को नष्ट कर दिया गया जिसके बाद किसानों में काफी रोष व्याप्त है. मदन डेरा के किसानों के खेतों पर किए गए घातक केमिकल अटैक से उनके छह सौ बीघे में धान के बिजड़े नष्ट हो गए हैं. इससे किसानों में रोष के साथ मायूसी भी है. इससे उनकी धान की खेती खतरे में पड़ गई है.
इस पूरे मामले को लेकर मदन डेरा के निवासी किसान सुरेश जी ने कहा कि धान के बिजड़े पर अपराधियों ने केमिकल अटैक कर दिया. इससे उनके छः सौ बीघे की धान की फसल बर्बाद हो गई है. वही अन्य किसानों ने कहा कि जिस वक्त उनके धान के बीज रोपनी के लिए तैयार हो गए थे. उसी वक्त अपराधियों ने उनके खेत पर केमिकल अटैक किया जिससे उनकी फसल बर्बाद हो गई है. अब ऐसे में वह किस प्रकार से अपनी आगे की जिंदगी बढ़ाएंगे, इसे लेकर वे चिंतित हैं क्योंकि धान की खेती पर ही उनका पूरा खर्च निर्भर था. किसान अनूप सिंह ने कहा कि इस केमिकल अटैक ने करीब आधा दर्जन किसानों के आर्थिक और माली हालत पर जोरदार प्रहार किया है. किसानों ने कहा कि धान की खेती बर्बाद हो गई है और अब उन्हें न्याय चाहिए.
केमिकल अटैक के मामले में किसानों ने इटाढ़ी थाने में मामला दर्ज कराया है, लेकिन अभी तक पुलिस पहुंची नहीं है. किसानों की मानें तो ये घटना 24 तारीख की है. ऐसे में पुलिस को इस घटना की सूचना दे गई दी थी, मगर कोई भी इसकी जानकारी लेने नहीं आया. किसानों ने शिकायती लहजे में कहा कि 29 तारीख को इटाढ़ी थाने में मामला दर्ज कराया गया है, लेकिन आज तक पुलिस का कोई भी आता पता नहीं है.
किसानों ने एफआईआर के माध्यम से पुलिस को बताया कि प्रत्येक साल की तरह इस साल भी धान रोपाई के लिए बीज खेतों में डाले गए थे. 26 जून को जब वे खेत में गए तो देखा कि धान का बीज सूख रहा है. जब उसका निरीक्षण किया गया तो पाया गया कि किसी अज्ञात व्यक्ति ने धान के बीज पर दवा (केमिकल) डाल दिया है. एफआईआर में किसानों ने कहा कि किसी अपराधी मानसिकता के शख्स ने इस घटना को अंजाम दिया है. केमिकल अटैक की यह घटना 24-25 तारीख की रात में की गई है. इस घटना को सुनियोजित तरीके से अंजाम दिया गया है जिससे धान का बिजड़ा सूख गया. इसी के साथ किसानों का वह अरमान भी सुख गया जो धान के माध्यम से इस साल पूरा होने वाला था.
बहरहाल इस पूरी घटना के बाद प्रसासन की ओर से कोई संज्ञान नहीं लेना, उसकी कार्य शैली पर सवाल खड़े करता है. वहीं किसानों की फसल बर्बाद होने के बाद क्या कोई मुआवजा भी मिलेगा, ये भी एक बड़ा सवाल है.(पुष्पेंद्र पांडे का इनपुट)
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today