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कीटनाशकों के फर्जीवाड़े पर सरकार का बड़ा प्रहार, एक झटके में 7,000 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल

कीटनाशकों के फर्जीवाड़े पर सरकार का बड़ा प्रहार, एक झटके में 7,000 कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल

कीटनाशक कंपनियों को अपना बिजनेस करने के लिए सेंट्रल इंसेक्टीसाइड्स बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी (CIBRC) से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. सरकार ने अब इसमें केवाईसी का नियम भी जोड़ दिया है. जिन कंपनियों का केवाईसी नहीं होगा, उनका सीआईबीआरसी से रजिस्ट्रेशन खत्म होगा.

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सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए नियम सख्त किया सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए नियम सख्त किया

देश में कीटनाशकों के फर्जीवाड़े पर सरकार ने बड़ी कार्रवाई की है. किसान इस गंभीर मर्ज से बच सकें, इसके लिए सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए खास नियम बना दिए हैं. जो कंपनियां इन नियमों का पालन नहीं करती हैं, उनके लाइसेंस रद्द किए जा रहे हैं. कीटनाशक कंपनियों के लिए सरकार ने केवाईसी (KYC) का नियम अनिवार्य कर दिया है. यह केवाईसी वैसे ही है जैसे आप बैंकों में खुद की केवाईसी कराते हैं. अगर केवाईसी के दस्तावेज सही नहीं हैं तो बैंक में खाता नहीं खुलता. ठीक उसी तरह जिन कीटनाशक कंपनियों का केवाईसी दुरुस्त नहीं होगा, उनका रजिस्ट्रेशन खत्म होगा. इसी नियम की वजह से 7,000 से अधिक कीटनाशक कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो गया है.

कीटनाशक कंपनियों को अपना बिजनेस करने के लिए सेंट्रल इंसेक्टीसाइड्स बोर्ड एंड रजिस्ट्रेशन कमेटी (CIBRC) से रजिस्ट्रेशन कराना होता है. सरकार ने अब इसमें केवाईसी का नियम भी जोड़ दिया है. जिन कंपनियों का केवाईसी नहीं होगा, उनका सीआईबीआरसी से रजिस्ट्रेशन खत्म होगा. अब इसमें कार्रवाई भी शुरू हो गई है. 'बिजनेसलाइन' की एक रिपोर्ट के मुताबिक, केवाईसी नियम का पालन नहीं करने वाली 7,000 से अधिक कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल हो गया है.

क्या कहती है रिपोर्ट?

रिपोर्ट के मुताबिक, देश में केवल 2584 पेस्टीसाइड कंपनियां ही ऐसी हैं जो केवाईसी नियमों का पालन करती हैं. अभी इन्हीं कंपनियों का रजिस्ट्रेशन बचा हुआ है. सूत्रों ने बताया कि राज्य सरकारों को यह निर्देश दिया गया है कि जिन कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कैंसिल हुआ है, उनके प्रोडक्ट की बिक्री नहीं होनी चाहिए और इस पर निगरानी भी रखनी होगी. जब कंपनियां अपना केवाईसी पूरा कर लेंगी तो उनका रजिस्ट्रेशन फिर से बहाल कर दिया जाएगा.

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खेती-बाड़ी के बीच किसानों की शिकायतें आ रही थीं कि पैसे लगाने के बाद भी उन्हें सही प्रोडक्ट नहीं मिल रहे और उनकी उपज प्रभावित हो रही है. इन शिकायतों पर गौर करते हुए सरकार ने कीटनाशक कंपनियों के लिए केवाईसी का नियम बनाया है. सरकार ने यह नियम इसलिए भी बनाया है क्योंकि खेतों में केमिकल खादों और कीटनाशकों का बेतहाशा प्रयोग बढ़ रहा है. इससे मिट्टी के साथ-साथ पर्यावरण भी प्रभावित हो रहा है. इस पर रोक लगाने के लिए सरकार नकली प्रोडक्ट पर अंकुश लगाना चाह रही है. केवाईसी का नियम उसी का हिस्सा है.

कंपनियों पर सख्ती

देश में तकरीबन 10,000 कीटनाशक कंपनियां हैं जिनके लिए सरकार ने केवाईसी का नियम बनाया है. सरकार ने इसके लिए कम से कम केवाईसी का नियम दिया है ताकि कंपनियों पर बेवजह का दबाव न पड़े. इस कम से कम केवाईसी में भी केवल 2584 कंपनियां ही ऐसी हैं जिनका केवाईसी सही पाया गया है. जिन कंपनियों का केवाईसी पूरा है और जो कंपनियां इस नियम के दायरे में हैं, उनके लिए सरकार कुछ निर्देश जारी कर सकती है. इसमें कंपनियां ये सुनिश्चित करेंगी कि कीटनाशकों में गैर-जरूरी केमिकल का इस्तेमाल कम हो ताकि पर्यावरण और मिट्टी की सेहत को बचाया जा सके.

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