बढ़ती बीमारियों के कारण अब लोग जैविक कृषि उत्पादों की मांग कर रहे हैं. इसलिए जैविक खेती बढ़ रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अपील के बाद देश के किसान बहुत तेजी से रासायनिक खेती छोड़कर जैविक खेती को अपना रहे. लेकिन जैविक कृषि उत्पादों को लेकर एक बड़ी चुनौती है कि इसकी पहचान कैसे होगी. इसके लिए सरकार ज्यादा से ज्यादा ऐसी लैब बना रही है जिसमें इसकी जांच हो सके. जैविक कृषि उत्पादों की प्रयोगशाला में जांच की जाएगी. उसके बाद ही यह बाजार में बिकने के लिए भेजे जाएंगे. इन उत्पादों की जांच केंद्र और राज्य सरकारों की सरकारी खाद्य परीक्षण प्रयोगशाला में की जाएगी.
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद की एक पत्रिका में बताया गया है कि केंद्र ने 90 ऐसी प्रयोगशालाओं का विस्तार कर उनकी क्षमता को बढ़ाने का खास कदम उठाया है. इसके लिए एक बड़ी धनराशि लगभग 105 करोड़ रुपये का निवेश करने की रूपरेखा तैयार की गई है. इस धनराशि को केरल, कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा में बनी प्रयोगशालाओं को उपलब्ध करवाया जाएगा.
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इनमें 12 राज्य तथा 12 केंद्रीय अनुसंधान संस्थान प्रयोगशालाएं शामिल हैं. जबकि बाकी अन्य 66 प्रयोगशालाओं को एफएसएसएआई के तहत उन्नत किया जाएगा. अब तक, 67 प्रयोशालाओं में ऑर्गेनिक खाद्य उत्पाद की जांच की जा रही थी. इनमें से अधिकतर प्रयोगशालाएं निजी हैं तथा एपीडा (कृषि और प्रसंस्करित खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण) से संबद्ध हैं. एपीडा तथा सरकार इन निजी प्रयोगशालाओं की जांच परिणामों से संतुष्ट नहीं हैं, इसलिए अब यह कार्यभार सरकारी प्रयोगशालाओं को देने का निर्णय लिया गया है.
भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), राज्यों और केंद्र सरकार के संस्थानों को खाद्य परीक्षण प्रयोगशालाओं को विकसित करने के लिए आर्थिक मदद देगा. इस कार्यक्रम को भारतीय खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण के साथ मिलकर लागू किया जाएगा.आने वाले समय में लगभग 90 से अधिक प्रयोगशालाएं जांच परीक्षण के लिये तैयार होने की उम्मीद है.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी किसानों से लगातार अपील कर रहे हैं कि वह रासायनिक खेती छोड़कर जैविक खेती की ओर बढ़ें, क्योंकि रासायनिक खेती से धरती मां की सेहत खराब हो रही है. जब धरती मां ही सुरक्षित नहीं रहेगी तो खेती कैसे होगी. इस वक्त देश में करीब 64 लाख हेक्टेयर में जैविक खेती हो रही है जबकि 2020 तक लगभग इसके आधे एरिया में ही इस तरह की खेती हो रही थी.
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