केंद्रीय कृषि व किसान कल्याण मंत्रालय ने इफको नैनो यूरिया प्लस को तीन साल के लिए नोटिफाइड किया है. इससे पहले इफको नैनो यूरिया नोटिफाइड किया है. कुल जमा इफको नैनाे यूरिया को फर्टिलाइजर सेक्टर में क्रांतिकारी आविष्कार माना जा रहा है. इसके पीछे तर्क और दावे ये हैं कि इफको नैनो यूरिया की 500 एमएल की एक बोतल एक बोरी यूरिया का काम करेगी.
फर्टिलाइजर यानी खाद खपत में इस बदलाव से जहां किसानों की लागत कम होगी तो वहीं भारत सरकार के राजस्व पर फर्टिलाइजर सब्सिडी का बोझ भी कम होगा. साथ ही इसे फसलों के लिए भी सुरक्षित बताते हुए उत्पादन पर असर पड़ने का दावा किया जा रहा है, लेकिन इफको नैनो यूरिया को लेकर किए जा रहे इन दावों से कुछ कृषि वैज्ञानिक असंतुष्ट है.
इफको नैनो यूरिया से असंतुष्ट वैज्ञानिक इफको नैनो यूरिया के फार्मूले और दावों को केमिस्ट्री के प्रिंंसिपल के उलट बताते हुए खेती के लिए खतरनाक बता रहे हैं.
इफको नैनो यूरिया को एक बोरी यूरिया के बारे में बताया जा रहा है, लेकिन चौधरी चरण कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा से सेवानिवृत मृदा वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र कुमार तोमर इफको के इन दावों को खारिज करते हैं.
डा तोमर कहते हैं कि पौधों को अपने विकास के लिए नाइट्रोजन की जरूरत होती है. वह कहते हैं कि इफको नैनो यूरिया की 500 एमएल की एक बोतल में तकरीबन 9 ग्राम नाइट्रोजन है, अगर पौधे नाइट्रोजन की इस पूरी मात्रा को अवशोषित भी कर लें तो 368 ग्राम अनाज का उत्पादन करेगा. अगर इसे गेहूं के हिसाब से देखे तो 240 रुपये की नैनो यूरिया की एक बोतल 7 रुपये मूल्य के गेहूं का उत्पादन करने में सक्षम है.
चौधरी चरण कृषि विश्वविद्यालय हरियाणा से सेवानिवृत मृदा वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र कुमार तोमर विस्तार से समझाते हुए कहते हैं कि दानेदार यूरिया के एक बैग से एक बोतल नैनो यूरिया की तुलना की जा रही है, लेकिन इन दावों के इतर व्यवहार में फर्क समझना होगा. वह बताते हैं कि 45 किलो यूरिया के एक बैग में 20 किलो नाइट्रोजन होती है, जिससे 5 क्विंटल गेहूं का उत्पादन होता है. तो वहीं एक बोतल नैनो यूरिया में 368 ग्राम गेहूं का उत्पादन होगा. ऐसे में बताना होगा कि ये फर्क कैसे दूर होगा.
वह बताते हैं कि नैनो यूरिया के एक बोतल में 9.2 ग्राम नाइट्रोजन है, जबकि पौधे की जरूरत 20.7 ग्राम नाइट्रोजन की है. दावों और व्यवहार के बीच नाइट्रोजन का जो फर्क है, वह कहां से पूरा होगा, इस पर विस्तार से बताने की जरूरत है क्योंकि गेहूं दूसरी दलहनी फसलाें की तरह वायुमंडल से नाइट्रोजन नहीं ले पाता है. इससे उत्पादन में गिरावट होगी.
नैनो यूरिया को लेकर उठ रहे सवालाें पर इफको का पक्ष जानने के लिए किसान तक ने इफको के मीडिया विभाग से संपर्क किया, जिन्होंने नैनो यूरिया पर उठाए जा रहे सवालों की जानकारी मांगी है. जिस पर इफको को ये खबर भेजने पर सहमति बनी है. इफको की तरफ से प्रतिक्रया मिलने के बाद उसे यहां पर अपडेट किया जाएगा.
इफको नैनो यूरिया कृषि सेक्टर का एक महत्वकांक्षी प्रोडक्ट है. जिससे देश के प्रत्येक नागरिक और किसानों को बड़ी उम्मीद हैं. इफको नैनो यूरिया को फर्टिलाइजर सेक्टर में क्रांतिकारी बदलाव की तरफ देखा जा रहा है, लेकिन जिस तरीके से देश के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ नरेंद्र कुमार ने नैनो यूरिया के फार्मूले को केमिस्ट्री के मूूल नियमों के खिलाफ बताते हुए इसे खेती और किसानी के लिए खतरनाक बताया है.
ऐसे में किसान तक की भूमिका इसको लेकर और बड़ जाती है. किसान तक का पक्ष ये ही है कि नैनो यूरिया को लेकर चल रहे वैज्ञानिक मतभेद, अस्पष्टता को दूर करने के लिए इफको की तरफ से प्रयास किए जाएं. जिससे किसानों तक सही जानकारी पहुंच सके.
इफको नैनो यूरिया पर डॉ नरेंद्र कुमार से बातचीत यहां देखें
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