भारत की प्रमुख उर्वरक उत्पादक सहकारी कंपनी कृषक भारती सहकारी लिमिटेड (कृभको) और जैविक समाधानों के कारोबार करने वाली एक विदेशी कंपनी नोवोनेसिस ने मिलकर 'कृभको राइजोसुपर’ नामक एक जैविक खाद लॉन्च की है. दावा है कि यह खाद जमीन में मौजूद पोषक तत्वों को जल्दी पौधों की जड़ों तक पहुंचाएगी. मिट्टी की उर्वरता और फसल की पैदावार बढ़ेगी. दिल्ली में आयोजित एक कार्यक्रम में दोनों कंपनियों के बीच इस बारे में एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर भी किए गए. दोनों कंपनियां मिलकर हर साल करीब 20 हजार टन 'राइजोसुपर’ जैविक खाद बनाएंगी. दावा है कि इसे इस्तेमाल करने का खर्च लगभग 550 रुपये प्रति एकड़ आएगा.
दोनों कंपनियां कृषि क्षेत्र में जैविक समाधानों के क्षेत्र में काम करेंगे, जिससे फसलों की उपज और खेत की मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होगा. कृभको एक सहकारी खाद कंपनी है, जो केमिकल फर्टिलाइजर बनाती है, लेकिन अब उसने विदेशी कंपनी के साथ मिलकर जैविक खाद की शुरुआत की है. दोनों कंपनियों के अधिकारियों ने कहा कि भारत के किसान आसानी से नई टेक्नोलॉजी और नए तौर-तरीके अपनाने के लिए तैयार नहीं होते, लेकिन जब वो फायदा देखेंगे तो इसे अपनाएंगे. इसका धान, आलू, टमाटर और मिर्च सहित कई फसलों पर ट्रॉयल हुआ है.
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कृभको के एमडी एमआर शर्मा ने कहा कि इस साझेदारी से कृषि क्षेत्र में एक नए युग की शुरुआत होगी, जिससे भारतीय किसानों को अत्याधुनिक जैविक कृषि समाधान उपलब्ध होंगे. कृभको किसानों को नई तकनीक के साथ उनको ताकतवर बनाने के लिए काम कर रहा है. आधुनिक कृषि जैविक समाधान फसलों की उपज और मिट्टी की गुणवत्ता को बढ़ाते हैं. हमारी मिट्टी का स्वास्थ्य हमारे राष्ट्र के स्वास्थ्य से जुड़ा हुआ है. आने वाले रबी सीजन से यह उत्पाद उपलब्ध हो जाएगा. गेहूं और आलू पर फोकस किया जाएगा.
कृभको राइजोसुपर’ ऐसे एंड्रोमाइको राइजा (पौधों की जड़ों के लिए उपयोगी कवक या फफूंद) की प्रजातियों का एक संयोजन है, जो नोवोनेसिस के स्वामित्व वाली एलसीओ प्रमोटर टेक्नोलॉजी पर आधारित है. यह जैव समाधान फसलों के लिए उपयोगी कवकों के गुच्छों का जड़ों के पास की मिट्टी में तेजी फैलाव करने मे सहायक होता है. यह जड़ के आसपास की मिट्टी में लाभकारी माइक्रोबियल की गतिविधि को बढ़ाता है.
इससे पौधे की वृद्धि मजबूत होती है और मिट्टी की गुणवत्ता सुधारती है. एलसीओ एक सिग्नलिंग पदार्थ है, जो कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण इनोवेशन के रूप में उभर रहा है. यह विशेष रूप से भारत में ऐसी जगहों के लिए विशेष उपयोगी है जहां मिट्टी में कार्बन की कमी है. जहां अनुचित उर्वरक उपयोग और अनियमित मौसम पैटर्न जैसी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ता है. नोवोनेसिस के प्लैनेटरी हेल्थ बायोसॉल्यूशंस को देखने वाले वरिष्ठ उपाध्यक्ष कृष्ण मोहन पुव्वाडा ने कहा कि हम न केवल फसल पैदावार बेहतर के लिए इनोवेशन कर रहे हैं, बल्कि एक स्वस्थ भविष्य के लिए भी काम कर रहे हैं.
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