पंजाब और हरियाणा में धान का सीजन जारी है. इसी दौरान राज्यों से उर्वरकों की कमी को लेकर कई खबरें आ रही हैं. इसी सिलसिले में हरियाणा के करनाल में एक बड़ी कार्रवाई करते हुए जिले भर में चालू सीजन में जमाखोरी और बाकी अनियमितताओं के चलते 23 उर्वरक डीलर्स के लाइसेंस सस्पेंड कर दिए गए हैं. इसके अलावा, स्टॉक रजिस्टर न रखने और प्राइस लिस्ट प्रदर्शित न करने पर चार डीलरों को नोटिस भी जारी किया गया है.
अखबार द ट्रिब्यून की तरफ से दी गई जानकारी के अनुसार अधिकारियों ने सभी उर्वरक डीलरों को बिक्री, स्टॉक का सही रिकॉर्ड रखने और प्राइस लिस्ट जारी करने की चेतावनी दी है. जो भी डीलर ऐसा नहीं करेगा उसके खिलाफ एक्शन लिया जाएगा. कृषि उप निदेशक (डीडीए) डॉक्टर वजीर सिंह के हवाले से अखबार ने लिखा है कि चालू सीजन में जिले को 95,000 मीट्रिक टन यूरिया और 20,000 मीट्रिक टन डीएपी की जरूरत है. अब तक डीएपी की शुरुआती जरूरतें पूरी हो चुकी है. यूरिया की कुल मांग में से अब तक 85,000 मीट्रिक टन यूरिया किसानों को वितरित किया जा चुका है.
उन्होंने बताया कि उपायुक्त उत्तम सिंह ने मांग, उपलब्धता, आपूर्ति के साथ-साथ जमाखोरी, कालाबाजारी, टैगिंग और डायवर्जन पर नजर रखने के लिए संबंधित एसडीएम के नेतृत्व में उप-मंडल स्तरीय टीमों का गठन किया है. पीक सीजन के दौरान, हैफेड को प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पीएसी), इफको, कृभको जैसी बाकी सरकारी एजेंसियों के माध्यम से कुल आवंटित यूरिया, डीएपी और बाकी फॉस्फेट उर्वरकों का 40 प्रतिशत किसानों को रियायती दरों पर बेचने का काम सौंपा गया है.
उन्होंने साफ कर दिया कि अगर कोई डीलर कालाबाजारी, जमाखोरी या उर्वरकों में बाकी उत्पादों की मिलावट करते पाया गया तो उसके विरुद्ध कानून के अनुसार कार्रवाई की जाएगी. सिंह के अनुसार हरियाणा कृषि निदेशालय के निर्देशों पर विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने 20-30, 30-40 और 40-50 बैग श्रेणी के यूरिया बैग खरीदने वाले किसानों का वैरीफिकेशन किया जा रहा है. वैरीफिकेशन प्रक्रिया के दौरान अगर कोई अनियमितता पाई जाती है तो संबंधित व्यक्ति के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाएगी.
डॉक्टर वजीर सिंह के अनुसार यूरिया का प्रयोग बाकी उद्देश्यों के लिए नहीं किया जा सकता. ऐसे में वास्तविक बिक्री और खरीद की पुष्टि के लिए वैरीफिकेशन किया जा रहा है. इसके अलावा उन्होंने जानकारी दी कि चालू खरीफ सीजन के दौरान, जिले भर में करीब 5.3 लाख एकड़ में फसलें बोई जा रही हैं. इसमें से 4.45 लाख एकड़ में धान की खेती होती है, 42,000 एकड़ में गन्ना और 38,000 एकड़ में अन्य फसलें उगाई जाती हैं.
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