इस मौसम में 5 फसलों का रखें खास ध्यान, कीट-रोगों से बचाव में अपनाएं ये जरूरी टिप्स

इस मौसम में 5 फसलों का रखें खास ध्यान, कीट-रोगों से बचाव में अपनाएं ये जरूरी टिप्स

फसल एडवाइजरी में आईएमडी ने कहा है, रबी फसलों की बुवाई के बाद मिट्टी में नमी को बनाए रखने के लिए उचित तरीके से पाटा लगाना चाहिए. समय पर बोई गई सरसों, चना और मटर की फसलों पर कीट-पतंगों और बीमारियों के संक्रमण की निगरानी रखें. सब्जियों में खरपतवारों को हटाने के लिए निराई-गुड़ाई की सलाह दी जाती है. उर्वरक की बची खुराक को 15-25 दिन पुरानी फसल में डालना चाहिए.

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इस मौसम में 5 फसलों का रखें खास ध्यान, कीट-रोगों से बचाव में अपनाएं ये जरूरी टिप्सकिसानों के लिए IMD ने जारी की एडवाइजरी

भारत मौसम विज्ञान विभाग यानी IMD ने मध्य प्रदेश के किसानों के लिए फसल एडवाइजरी जारी की है. इसमें अलग-अलग फसलों के हिसाब से बताया गया है कि किसान मौसम खराब होने पर क्या करें. इसमें बताया गया है कि किसान किस फसल में कौन सी दवा का प्रयोग करें. आईएमडी ने कहा है, सरसों, चना और गेहूं की फसलों की बुवाई जारी रखें. किसानों को सलाह दी जाती है कि वे खरीफ अनाज/बीज को 10 से 12 परसेंट नमी स्तर पर सुखाकर भंडारित करें. हल्की बारिश के साथ साफ या आंशिक रूप से बादल छाए रहने की स्थिति को देखते हुए, रबी फसलों के लिए बुवाई शुरू कर देनी चाहिए. 

फसल एडवाइजरी में आईएमडी ने कहा है, रबी फसलों की बुवाई के बाद मिट्टी में नमी को बनाए रखने के लिए उचित तरीके से पाटा लगाना चाहिए. समय पर बोई गई सरसों, चना और मटर की फसलों पर कीट-पतंगों और बीमारियों के संक्रमण की निगरानी रखें. सब्जियों में खरपतवारों को हटाने के लिए निराई-गुड़ाई की सलाह दी जाती है. उर्वरक की बची खुराक को 15-25 दिन पुरानी फसल में डालना चाहिए. सरसों, मूली और सेम में एफिड्स बढ़ने की संभावना है, इसलिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसल पर कड़ी नजर रखें और यदि संक्रमण लिमिट से अधिक है तो इमिडाक्लोप्रिड @ 0.5 मिली/लीटर पानी का छिड़काव करें.

1-गेहूं

आईएमडी ने कहा है, गेहूं की बताई गई किस्मों के साथ देर से बुवाई पूरी करें. बुवाई के 21-25 दिन बाद फसल की सिंचाई करें. आइसोप्रोटूरॉन या 2,4-डी जैसे शाकनाशियों का उपयोग करके खरपतवारों को नियंत्रित करें. दो सिंचाई वाली गेहूं की उपयुक्त किस्में हैं HI 1500, HI 1531 और HW 2004 आदि. समय पर बुवाई और 04 सिंचाई वाली किस्में हैं- HI8498, HI 1418, HI 1479, HI - 1544 और 06 सिंचाई किस्में हैं GW451, GW322, GW - 366 आदि. इनकी खेती कर सकते हैं. इसकी बीज दर 100 किग्रा/हेक्टेयर है.

2-सरसों

  • फूल आने और फली बनने के समय हल्की सिंचाई करें.
  • एफिड्स की निगरानी करें. यदि संक्रमण हो तो अनुशंसित कीटनाशकों का उपयोग करें.
  • यदि पहले यूरिया नहीं डाला है तो टॉप ड्रेसिंग करें.
  • अनुशंसित किस्में पूसा जय किसान, पूसा जगन्नाथ, पूसा सरसों25, पूसा सरसों26, पूसा अग्रनी, पूसा तारका, पूसा महाक की बुवाई करें.

3-चना

  • शाखाएं निकलने और फूलों के आने के स्टेज पर हल्की सिंचाई करें.
  • फली छेदक और फफूंद जनित रोगों जैसे कि मुरझाने की स्थिति पर नजर रखें. जरूरत पड़ने पर जैविक कीटनाशकों या रासायनिक स्प्रे का इस्तेमाल करें.
  • चने की अनुशंसित किस्में RVG202, RVG204, JG36, JG24, JG130, JG. 14, JG. 218, विजय, JG. 322, JG.11, JG.16, B G D 72, ज़की 9218 की बुवाई करें.

4-अरहर

  • उचित कीटनाशकों का प्रयोग करके फली छेदक से बचाव करें.
  • यदि फलियां गिरने का जोखिम अधिक है तो पौधों को सहारा दें.
  • यदि फलियां पक चुकी हैं तो जल्दी पकने वाली किस्मों की कटाई करें.

5-गन्ना

  • सिंचाई के जरिये खेत से उचित नमी बनाए रखें.
  • पौधे की वृद्धि के लिए यदि जरूरी हो तो यूरिया का प्रयोग करें.
  • पौधों के अच्छे विकास के लिए खरपतवारों को मैन्युअल रूप से या रासायनिक रूप से हटाएं.

 

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