फूलगोभी को कीटों के हमले से बचाएगी ये नीम की गोली, नहीं पड़ेगी रासायनिक कीटनाशक की जरूरत

फूलगोभी को कीटों के हमले से बचाएगी ये नीम की गोली, नहीं पड़ेगी रासायनिक कीटनाशक की जरूरत

फूलगोभी की खेती करने वाले किसान कीटों के हमले से होने वाले नुकसान और उनसे फसल को बचाने के लिए आने वाले महंगे कीटनाशाकों की अच्‍छी समझ रखते हैं. अगर फूलगोभी में कीट का हमला हो जाए तो तगड़ा नुकसान हाेता है. ऐसे में आज हम आपको एक केम‍िकल फ्री तरीका बताने जा रहे हैं, जिससे कीटों से बचाव तो होगा ही. साथ ही पैसों की भी बचत होगी.

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फूलगोभी को कीटों के हमले से बचाएगी ये नीम की गोली, नहीं पड़ेगी रासायनिक कीटनाशक की जरूरतफूलगोभी की फसल को बचाएगी नीम की गोली.

इस समय सब्‍जी की खेती करने वाले किसानों के खेत में पत्‍तागोभी और फूलगोभी जैसे सब्जियां लगी होती हैं, जिनमें कई रोगों और कीटों का खतरा रहता है, जो सब्‍जी को नुकसान पहुंचाते हैं. इनमें डायमंडबैक मॉथ (डीबीएम), एफिड्स, स्टेम बोरर और स्पोडोप्टेरा लिटुरा आदि कीटों के हमले का खतरा रहता है, जिससे सब्‍जी की क्‍वालिटी खराब हो जाती है और यह इंसानों के खाने लायक नहीं बचती. ऐसे में मंडी में किसान इनको बेच नहीं पाते. ऐसे में कृषि वैज्ञानिकों ने इन कीटों से निपटने के लिए एक केमिकल फ्री समाधान खोजा है.

बेंगलुरु स्थित आईसीएआर-भारतीय बागवानी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने नीम के बीज से पैलेट पाउडर फॉर्मूलेशन-Neem Seed Powder Pellet Formulation (NSPPF) बनाया है, जो बहुत ही किफायती है. नीम की ये गोलियां गोभी और फूलगोभी की फसल को डायमंडबैक मॉथ और एफिड्स जैसे कीटों से बचाती हैं. साथ ही पर्यावरण के लिहाज से भी अच्‍छी है.

अन्‍य कीटनाशक की नहीं पड़ेगी जरूरत

प्रयोग के दौरान NSPPF इतना कारगर पाया गया कि इसका इस्‍तेमाल करने पर और किसी अतिरिक्‍त कीटनाशक की जरूरत नहीं पड़ती है, जिससे खेती की लागत भी कम होती है. किसानों को कीटनाशकों पर पैसा खर्च नहीं करना पड़ता है. आईसीएआर-आईआईएचआर NSPPF को अपने राष्ट्रीय बागवानी मेले में किसानों के सामने तकनीक को प्रदर्शि‍त कर चुका है.

इसका सफल प्रदर्शन बेंगलुरु ग्रामीण जिले के येलहंका होबली के मदप्पनहल्ली गांव में फूलगोभी की फसल पर भी किया गया है. NSPPF तकनीक का इस्‍तेमाल किसान हरीश के खेत में किया गया. उन्‍होंने ICAR-IIHR के कीटविज्ञानियों से तकनीकी जानकारी लेकर एक एकड़ में फूलगोभी की खेती की थी.

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ऐसे करें NSPPF का इस्‍तेमाल

एनएसपीपीएफ के इस्तेमाल करने के लिए इसे एक दिन पहले रातभर पानी में भिगोकर रखें. एक एकड़ फसल में 6 किलोग्राम फॉर्मूलेशन को 200 लीटर पानी में मिलाकर इसका स्‍प्रे घोल तैयार किया जाता है. फॉमूलेशन पानी में घुल जाने पर छिड़काव से पहले अर्क को मलमल के कपड़े या जाल से छानकर अर्क की मात्रा तैयार कर इसमें 0.5 मिली/लीटर की दर से स्टीकर को स्प्रे घोल में मिलाकर मिश्रण को तैयार करने के बाद इसका फसल पर छिड़काव करें.

7-8 दिन के अंतराल में करें छिड़काव

छिड़काव करते समय पौधे के बढ़ते हिस्से को कवर करने की कोशि‍श करें, क्‍योंकि इस हिस्‍से में ही कीटों का खतरा रहता है. फसल की बुवाई के 15 दिन बाद से छिड़काव को हर 7 से 8 दिन के अंतराल पर दोहराएं. ऐसा 70 दिन की अवधि तक किया जा सकता है. आमतौर पर DBM और एफिड्स के हमला होने पर 7 से 8 बार कीटनाशक के छिड़काव की जरूरत होती है. जरूरत पड़ने पर कुछ बार और छिड़काव किया जा सकता है.

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