सहजन या मोरिंगा एक औषधीय पौधा है. सहजन के लगभग सभी भागों का उपयोग किया जा सकता है, जिससे इसकी खेती करने वाले किसानों की आमदनी और बढ़ जाती है. मौजूदा वक्त में आमतौर पर सहजन का उपयोग भोजन, दवा और पशु चारा आदि में किया जाता है. वहीं, सहजन एक मेडिसिनल प्लांट है. कम लागत में तैयार होने वाली इस फसल की खासियत यह है कि इसकी एक बार बुवाई के बाद 4 साल तक फिर से बुवाई नहीं करनी पड़ती है.
लेकिन कई बार किसानों को सहजन की खेती करने से पहले उसकी किस्मों के चुनाव को लेकर मन में चिंता रहती है, ऐसे में आज हम उन किसानों को सहजन की एक ऐसी किस्म के बारे में बताएंगे जो अपने बेहतर उत्पादन के लिए फेमस है. आइए जानते हैं उस उन्नत किस्म के कहां से ले सकते हैं बीज और क्या है उसकी खासियत.
राष्ट्रीय बीज निगम (National Seeds Corporation) किसानों की सुविधा के लिए ऑनलाइन सहजन की उन्नत किस्म PKM-1 का बीज बेच रहा है. इस बीज को आप ओएनडीसी के ऑनलाइन स्टोर से खरीद सकते हैं. यहां किसानों को कई अन्य प्रकार की फसलों के बीज भी आसानी से मिल जाएंगे. किसान इसे ऑनलाइन ऑर्डर करके अपने घर पर डिलीवरी करवा सकते हैं.
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— National Seeds Corp. (@NSCLIMITED) June 6, 2024
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PKM-1 मोरिंगा किस्म बुवाई के 5-6 महीने के भीतर फूलने लगती है और 7-8 महीने में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. इस किस्म के पेड़ों में मार्च से अगस्त के दौरान अधिकतम फल होते हैं. इसकी फलियां 75 सेमी लंबी और इनका वजन 150 ग्राम होता है. वहीं, बात करें उपज कि तो औसत उपज 220 फल प्रति पेड़ है. साथ ही अनुमानित उपज लगभग 52 टन प्रति हेक्टेयर है. फलियां फूल आने के 65 दिन बाद खाने लायक हो जाती हैं. इसके अलावा इनके पत्तियों का उपयोग पौष्टिक साग के रूप में किया जाता है.
अगर आप सहजन की खेती करना चाहते हैं तो PKM-1 किस्म के 10 ग्राम के पैकेट का बीज फिलहाल 31 फीसदी छूट के साथ मात्र 20 रुपये में राष्ट्रीय बीज निगम की वेबसाइट से खरीद सकते हैं. इसे खरीद कर आप आसानी से सहजन की खेती कर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं.
सहजन की खेती में पानी की बहुत जरूरत नहीं होती है और रखरखाव भी कम करना पड़ता है. सहजन के पौधे लगाने से पहले खेत की अच्छे से जुताई कर खरपतवार नष्ट कर दें. फिर 2.5 x 2.5 मीटर की दूरी पर 45 x 45 x 45 सेमी. तक गहरे गड्ढे तैयार कर लें. गड्ढों को भरने के लिए मिट्टी के साथ 10 किलोग्राम सड़ी गोबर की खाद का मिश्रण तैयार कर लें. उसके बाद पौधे को लगाएं.
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