यहां हम आपको एक हरित खाद के बारे में बता रहे हैं जिसका नाम है नील हरित शैवाल. यह हरी खाद हवा से नाइट्रोजन लेती है और इसे धान की फसल को उपलब्ध कराती है. यह एक तरह का शैवाल (अलगी) है जो धान की फसल को नाइट्रोजन उपलब्ध कराता है. रिसर्च के जरिये यह साबित किया जा चुका है कि अलगी द्वारा प्रति हेक्टेयर 30 किलोग्राम नाइट्रोजन की प्राप्ति होती है, जो 66 किलोग्राम यूरिया के बराबर है. इस प्रकार अलगी के उपयोग से 30 किलोग्राम नाइट्रोजन की बचत की जा सकती है.
अलगी के उत्पादन की विधि आसान है. इसे हर किसान थोड़ी पूंजी लगाकर उत्पादन कर सकते हैं. इसे नीचे बताई गई विधि से किया जा सकता है.
गैल्बेनाइज्ड लोहे की शीट से बना 2 मीटर लंबा, 1 मीटर चौड़ा और 15 सेंटीमीटर ऊंचा एक चौकोर बर्तन (ट्रे) बनाएं. ईंट और सीमेंट के द्वारा भी इस प्रकार का छिछला ट्रे बनाया जा सकता है. मिट्टी का गड्ढा खोदकर पॉलीथीन शीट का भी इस्तेमाल किया जा सकता है. नाद या गड्ढे की लंबाई-चौड़ाई आवश्यकतानुसार बढ़ाई जा सकती है और एकसाथ 4-5 या इससे भी अधिक नादों का उपयोग किया जा सकता है.
लगभग 10 किलो दोमट मिट्टी में 200 ग्राम सिंगल सपर फॉस्फेट खाद और 2 ग्राम सोडियम मोलिब्डेट नामक रसायन अच्छी तरह मिलाएं. मिट्टी में लगभग 10 ग्राम चूना भी मिलाएं, यदि वह अम्लीय या लाल रंग की हो. इस मिट्टी को एक ट्रे में बिछा दें और इसमें इतना पानी डालें कि 5 से 10 सेंटीमीटर की ऊंचाई तक हो जाए. इसे कुछ घंटे तक छोड़ दें, ताकि मिट्टी अच्छी तरह बैठ जाए. पानी की सतह पर एक मुट्ठी (100 ग्रा.) अलगी कल्चर भुरक दें.
ट्रे या नाद खुले में रखें, जहां खूब धूप आती हो. गर्मी के मौसम में धूप से अलगी की अधिकतर बढ़वार लगभग 7-8 दिनों में हो जाएगी, जिसके फलस्वरूप पानी की सतह पर अलगी की मोटी परत दिखाई देगी. पानी को सूखने के लिए छोड़ दें और जब मिट्टी सूख जाए तो उसके ऊपर पड़ी अलगी की पपड़ी को खुरचकर साफ कपड़े, कागज या प्लास्टिक के थैलों में इकट्ठा करें. फिर ट्रे में पानी डालकर इसी क्रिया को दुहराएं.
इस प्रकार एक बार भरी गई मिट्टी से 2 या 3 बार अलगी की फसल ली जा सकती है. यह कार्यक्रम सालों भर चलाया जा सकता है. हर बार लगभग 1.5-2 किलोग्राम अलगी कल्चर की प्राप्ति होगी. एक हेक्टेयर खेत में 10 किलोग्राम अलगी कल्चर का धान रोपने के एक हफ्ते के बाद छींट देना चाहिए. ध्यान रहे कि अलगी डालते समय खेत में पानी प्रचुर मात्रा में हो और पानी बराबर बना रहे. कीट और रोगनाशक दवाओं के प्रयोग से अलगी के क्रिया-कलाप पर कोई बुरा प्रभाव नहीं पड़ता है. एक ही खेत में कई बार शैवाल (अलगी) का प्रयोग करने पर ये उस खेत में पूरी तरह से स्थापित हो जाते हैं और फिर उसे डालने की आवश्यकता नहीं पड़ती.
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