देश के किसान फसलों से अधिक उपज और उच्च गुणवत्ता प्राप्त करने के लिए अपने खेतों में उर्वरकों का उपयोग करते हैं. खाद मिट्टी में आवश्यक पोषक तत्वों की कमी को पूरा करके फसलों की वृद्धि में मदद करता है. जिससे किसानों को अपनी फसल से अधिक उपज मिलती है. खाद का उपयोग अक्सर बुआई से पहले और जब फसल मध्य अवस्था में होती है तब किया जाता है.
मौजूदा समय की बात करें तो अभी किसान रबी फसलों की बुवाई और फसल प्रबंधन में व्यस्त है. यह समय गेहूं की खेती कर रहे किसानों के लिए चुनौतीपूर्ण होता है.
ऐसे में किसानों को खाद की जरूरत है. फसलों की बुआई से लेकर अन्य प्रकार के कृषि कार्यों के लिए यूरिया की आवश्यकता होती है. यूरिया एक प्रकार का उर्वरक है जिसे पौधों को पोषण देने के लिए खेतों में इस्तेमाल किया जाता है. ऐसे में किसानों को खाद की समस्या ना हो इसलिए यूरिया खरीदने के लिए सरकार की ओर से हर साल सब्सिडी दी जाती है. साथ ही सस्ती दरों पर यूरिया उपलब्ध हो, इसके लिए सरकार हर साल यूरिया सब्सिडी के लिए करोड़ों रुपये का बजट पास करती है. सरकार इस वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए कुल 1.75 लाख करोड़ रुपये का बजट ले रही है.
हालाँकि, सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी किसानों के खाते में नहीं आती है और इसका भुगतान सीधे कंपनियों को किया जाता है. इसके चलते कंपनी से यूरिया की जो 45 किलो की बोरी 2236.37 रुपये में आती है. उस पर सरकार की ओर से सब्सिडी देने के बाद किसानों को एक बोरी यूरिया सिर्फ 266.50 रुपये में मिलती है. इस तरह देखा जाए तो सरकार यूरिया पर सब्सिडी के तौर पर बड़ी रकम खर्च कर रही है.
किसानों को आर्थिक समस्या से मुक्त करने के लिए सरकार यूरिया की 45 किलो की बोरी पर 1969.87 रुपये की सब्सिडी देती है. जिसके बाद किसानों को यह बैग मात्र 266.50 रुपये में मिलता है, जिसकी कीमत सरकार तय करती है. किसानों पर बोझ कम करने के लिए सरकार यूरिया की एक बोरी 266.50 रुपये में बेचती है. जबकि इस यूरिया की एक बोरी की कीमत 2236.37 रुपये है.
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