उत्तर प्रदेश (यूपी) में लगभग 4.8 मिलियन टन उर्वरक का स्टॉक है, जो खरीफ बुवाई सीजन के दौरान राज्य की कुल 5.7 मिलयन टन मांग का लगभग 84 प्रतिशत है. हालांकि, आने वाले हफ्तों में केंद्र सरकार की एजेंसियों द्वारा मांग और उपलब्धता के अंतर को पूरा करने की उम्मीद है. राज्य के कृषि मंत्री सूर्य प्रताप शाही ने कहा कि खरीफ बुवाई सीजन के लिए यूपी में यूरिया और अन्य उर्वरकों की पर्याप्त उपलब्धता है. उन्होंने कहा कि धान बुवाई का मौसम अभी शुरू नहीं हुआ है, लेकिन हमने उर्वरकों के लिए पर्याप्त प्रावधान किए हैं, ताकि किसानों को किसी भी तरह की परेशानी का सामना न करना पड़े.
बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक, यूपी में 4.8 मीट्रिक टन के मौजूदा उर्वरक भंडार में से यूरिया 3.8 मीट्रिक टन के साथ सबसे ऊपर है. इसके बाद डायमोनियम फॉस्फेट 683,000 टन और नाइट्रोजन फॉस्फोरस पोटेशियम 365,000 टन स्टॉक में उपलब्ध है. खरीफ की फसल धान और मक्का को डीएपी और एनपीके जैसे मिट्टी के पोषक तत्वों की जरूरत होती है, जबकि यूरिया का इस्तेमाल उनके विकास के दौरान 'टॉप ड्रेसिंग' के लिए बड़े पैमाने पर किया जाता है. यूपी सरकार ने बोए गए क्षेत्र और फसलों के आधार पर हर जिले के लिए कोटा तय किया है. उर्वरकों की बिक्री के साथ-साथ इन्वेंट्री की भरपाई की जाती है.
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शाही ने कहा कि प्राथमिक कृषि ऋण समितियों, जो उर्वरक वितरण प्रणाली में मध्यस्थ हैं, को अग्रिम रूप से पर्याप्त कार्यशील पूंजी प्रदान की गई है. भारत मुख्य रूप से चार प्रकार के उर्वरकों का आयात करता है, जिसमें यूरिया, डीएपी, म्यूरेट ऑफ पोटाश (एमओपी) और एनपीके शामिल है. सरकार देश के किसानों के लिए इसे वहनीय बनाने के लिए पोटाश पर सब्सिडी देती है. भारत घरेलू क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करने के लिए पोटाश के सबसे बड़े आयातकों में से एक है. देश अपनी लगभग 5 मीट्रिक टन पोटाश की वार्षिक खपत के लिए आयात पर निर्भर है, जिसमें से एक तिहाई बेलारूस और रूस से भेजा जाता है.
पोटाश की उच्च मांग और इसके चलते आयात को देखते हुए, योगी आदित्यनाथ सरकार ने पहले राज्य की चीनी मिलों को घरेलू मांग को पूरा करने और विदेशी मुद्रा बचाने के लिए उनके भस्मक बॉयलरों से उत्पन्न राख से पोटाश का निर्माण करने की सलाह दी थी.
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