हरियाणा सरकार ने किसानों के हित में एक बड़ा फैसला लिया है. किसानों के लिए कृषि ट्यूबवेल का लोड स्वेच्छा से बढ़ाने का निर्णय लिया गया है. इसके लिए एक से लेकर 15 जुलाई तक आवेदन किए जा सकते हैं. हरियाणा के मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने बताया कि अब इच्छुक किसान अपने ट्यूबवेल का लोड बढ़ाने के लिए पोर्टल पर आवेदन कर दें. मंत्रिमण्डल की बैठक के बाद पत्रकार सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने यह जानकारी दी है. इसके अलावा, जिन किसानों को कृषि ट्यूबवेल को दोबारा बोर करना पड़ता हैं, ऐसे शिफ्ट किए जाने वाले ट्यूबवेल के लिए सौर उर्जा की शर्त लागू नहीं होगी.
इस प्रकार के ट्यूबवेल को पहले के कनैक्शन पर ही बिजली आपूर्ति की अनुमति होगी. मुख्यमंत्री ने बताया कि अक्सर ट्यूबवेल फेल होने की स्थिति में किसान को 50 मीटर के फासले पर दोबारा ट्यूबवेल लगाना पड़ता है. जिसके लिए नए सिरे से बिजली कनेक्शन तथा विभागीय एनओसी की सभी शर्तों को भी समाप्त कर दिया गया है. अब किसान ट्यूबवेल फेल होने पर 50 मीटर के दायरे में दोबारा लगा सकता है.
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हालांकि, हरियाणा में टयूबवेल कनेक्शन लेने वाले किसानों की अभी भी लाइन लंबी है. आवेदन के बाद भी उन्हें कनेक्शन नहीं मिले हैं. इस साल फरवरी में विधानसभा में सरकार ने बताया था कि अभी भी 70 हजार से ज्यादा किसानों को टयूबवेल कनेक्शन नहीं मिले हैं. कांग्रेस के तत्कालीन विधायक वरूण मुलाना के सवाल पर तब के बिजली मंत्री रणजीत सिंह ने विधानसभा में इस बात की जानकारी दी थी. उत्तरी हरियाणा बिजली निगम में 26163 और दक्षिण हरियाणा बिजली वितरण निगम में 44222 कनेक्शन शामिल दिए जाने बाकी थे. हालांकि, अब यह संख्या कम हो गई होगी.
राज्य सरकार ट्यूबवेल कनेक्शन भी बहुत सोच समझकर दे रही है, ताकि भू-जल संकट और न बढ़े. हरियाणा में जल संकट गहराता जा रहा है. धान की अंधाधुंध पैदावार बढ़ाने की वजह से भू-जल संकट बढ़ रहा है. राज्य में कुल 7287 गांव हैं, जिनमें से 3041 पानी की कमी का सामना कर रहे हैं. यहां के 1948 गांव तो ऐसे हैं जो गंभीर जल संकट को झेल रहे हैं. दरअसल, भारत में करीब 90 परसेंट भू-जल का इस्तेमाल कृषि क्षेत्र में होता है. इसलिए हरियाणा सरकार धान की खेती को हतोत्साहित कर रही है. धान की खेती को छोड़ने वाले किसानों को 7000 रुपये प्रति एकड़ की दर से मुआवजा दिया जा रहा है.
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