उपज घटेगी, किसानों की कमाई भी होगी कम! खादों की सप्लाई में गिरावट है बड़ी वजह

उपज घटेगी, किसानों की कमाई भी होगी कम! खादों की सप्लाई में गिरावट है बड़ी वजह

एफएआई के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान डीएपी का उत्पादन घटकर 25.03 लाख टन रह गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 27.01 लाख टन था. इसी अवधि में डीएपी का आयात 39.68 लाख टन से घटकर 27.84 लाख टन रह गया. डीएपी की बिक्री भी 76.31 लाख टन से घटकर 56.92 लाख टन रह गई. हालांकि, एफएआई ने बताया कि पिछले महीने डीएपी की बिक्री में सुधार हुआ है.

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उपज घटेगी, किसानों की कमाई भी होगी कम! खादों की सप्लाई में गिरावट है बड़ी वजहखादों के आयात में गिरावट दर्ज

चीन से भारत में आने वाले खादों का आयात पहले से कम हुआ है. साथ ही, दुनिया के अन्य देशों से भी भारत को खाद और उसका कच्चा माल कम मिल रहा है. इससे भारत में खादों का निर्माण और सप्लाई पर असर देखा जा रहा है. इससे फसलों की उपज और किसानों की आय घट सकती है. फर्टिलाइजेशन एसोसिएशन ऑफ इंडिया (FAI) का एक आंकड़ा बताता है कि अप्रैल-अक्टूबर की अवधि में डीएपी का उत्पादन 7.3 परसेंट घट गया जबकि आयात में 30 फीसद की गिरावट देखी गई है.

विदेशों से भारत को मिलने वाली खाद की सप्लाई पर FAI ने कहा है कि 60 लाख टन खादों का आयात होता है जिसमें से 20 लाख टन चीन से आता है जबकि देश में पूरी खपत सालाना 100 लाख टन का है. हालांकि चीन से 5 लाख टन खाद की सप्लाई घट गई है जिसका असर पूरे आयात पर देखा जा रहा है. संभवत: चीन अभी अपनी मांगों पर अधिक फोकस कर रहा है जिससे भारत को मिलने वाली खेप घटी है. हालांकि दूसरे देशों से इस आयात को बढ़ाने पर विचार किया जा रहा है.

चीन ने घटाया निर्यात

चीन ने खादों का निर्यात इसलिए कम किया है क्योंकि उसे अपनी जरूरतें पूरी करनी है. रिपोर्ट बताती हैं कि चीन के पास इतना खाद जरूर है कि वह दूसरे देशों की मांग पूरी कर सकता है, लेकिन उसने निर्यात को कम कर दिया है. इसकी खास वजह ये है कि चीन अपने घरेलू मार्केट में खादों के दाम को स्थिर रखना चाहता है और उपलब्धता बनाए रखना चाहता है. इससे फसलों का उत्पादन बेहतर होगा और आगे चलकर खाद्य महंगाई काबू में रखने में मदद मिलेगी.

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खादों के आयात में भारत का दुनिया में दूसरा स्थान है जबकि ब्राजील पहले नंबर पर है. तीसरे स्थान पर अमेरिका है तो चौथे पर चीन. भारत हर साल 10.42 अरब डॉलर का खाद आयात करता है. ब्राजील 14.64 अरब डॉलर, अमेरिका 9.82 अरब डॉलर और चीन 5.61 अरब डॉलर की खादों का आयात करता है. निर्यात की बात करें तो अमेरिका और चीन जैसे देश अन्य देशों से कच्चा माल मंगाकर खाद तैयार करते हैं और दूसरे देशों को महंगे रेट पर निर्यात भी करते हैं. चीन से खाद आयात करने वाले देशों में भारत भी शामिल है.

डीएपी का उत्पादन घटा

एफएआई के आंकड़ों के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में अप्रैल-अक्टूबर के दौरान डीएपी का उत्पादन घटकर 25.03 लाख टन रह गया, जबकि एक साल पहले इसी अवधि में यह 27.01 लाख टन था. इसी अवधि में डीएपी का आयात 39.68 लाख टन से घटकर 27.84 लाख टन रह गया. डीएपी की बिक्री भी 76.31 लाख टन से घटकर 56.92 लाख टन रह गई. हालांकि, एफएआई ने बताया कि पिछले महीने डीएपी की बिक्री में सुधार हुआ है.

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एफएआई के मुताबिक, "अंतरराष्ट्रीय बाजार काफी अस्थिर है. पिछले 4 साल के दौरान उर्वरकों और उसके कच्चे माल, जिनमें प्राकृतिक गैस/एलएनजी शामिल है, की कीमतों में उतार-चढ़ाव रहा है. यूरिया के उत्पादन के लिए लगभग 80 प्रतिशत फीडस्टॉक यानी प्राकृतिक गैस का आयात किया जाता है. एफएआई ने कहा, "फॉस्फेटिक खादों की 90 प्रतिशत से अधिक जरूरत कच्चे माल या तैयार उत्पादों के रूप में आयात से पूरी होती है और एमओपी की 100 प्रतिशत मांग आयात से पूरी होती है."

 

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