
केंद्रीय कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान के बाद अब कृषि वैज्ञानिकों की टीमें सीधे खेतों में उतरेंगी. रविवार को रायसेन जिले के चिराखेड़ा गांव में चौहान ने सोयाबीन फसल का औचक निरीक्षण किया. इस दौरान किसानों की बातें सुनकर उनका गुस्सा फूट पड़ा. किसानों ने उन्हें बताया कि कैसे खरपतवारनाशक के नाम पर जो केमिकल कंपनियों ने सप्लाई किया, उसने उनकी पूरी फसल तबाह कर दी. चौहान ने मौके पर ही कंपनियों को सख्त चेतावनी देते हुए कहा, 'किसानों की तबाही की कीमत उन्हें ही चुकानी होगी.' इसके बाद उन्होंने तुरंत भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) की टीम को आदेश दिया कि वे प्रभावित खेतों का दौरा कर असली हकीकत सामने लाएं.
जबलपुर स्थित ICAR के डायरेक्टोरेट ऑफ वीड रिसर्च की तरफ से बताया गया है कि सोमवार को किसान के खेत का दौरा करने के लिए एक टीम का गठन किया गया है. खेत की जांच करने वाली इस टीम की अगुवाई वीड रिसर्च के डायरेक्टर डॉक्टर जेएस मिश्रा करेंगे. उनके साथ टीम में अटारी जोन 9 के निदेशक डॉ. एसआरके सिंह और रायसेन और विदिशा जिलों के कृषि विभाग के वरिष्ठ अधिकारी भी शामिल होंगे. टीम को निरीक्षण करने के बाद तुरंत अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है. कृषि मंत्री ने उन्हें साफ निर्देश दिए हैं कि फील्ड रिपोर्ट अर्जेंट बेसिस पर उन्हें सौंपी जाए और दोषियों को बख्शा न जाए.
रविवार को जब कृषि मंत्री ने किसान के खेत का दौरा किया तो उन्होंने पाया कि सोयाबीन की बजाय, खेतों में खरपतवार उग आई थी और फसल पूरी तरह जल गई थी. किसानों ने आरोप लगाया कि यह सब एक प्राइवेट कंपनी के जहरीले केमिकल की करतूत है. चौहान ने वहीं ऐलान कर दिया कि अब कंपनियों की जवाबदेही तय होगी और एक भी दोषी बच नहीं पाएगा. कृषि मंत्रियों ने किसानों और वहां मौजूद अधिकारियों को संबोधित करते हुए कहा, 'यह सिर्फ एक किसान की जमीन तक सीमित नहीं है. कई किसानों ने इसी तरह के नुकसान की सूचना दी है. अगर फसल बर्बाद हो जाती है तो किसान का जीवन बर्बाद हो जाता है. किसानों को निश्चित तौर पर राहत मिलेगी और इसकी जिम्मेदारी कंपनी की होगी.'
इसके साथ ही उन्होंने ऐलान कर दिया कि मामले की जांच के लिए आईसीएआर की ओर से एक हाई लेवल वैज्ञानिक समिति का गठन किया गया है. साथ ही यह स्पष्ट कर दिया कि केंद्र सरकार नकली बीज, कीटनाशक और उर्वरक बेचने वालों के खिलाफ राष्ट्रीय स्तर पर शिकंजा कसने जा रही है. कृषि मंत्री ने इससे पहले कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), रायसेन के वैज्ञानिकों की ओर से पेश की गई एक पुरानी रिपोर्ट को भी गलत बताते हुए खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'यह नई टीम गहन जांच करेगी और दोषी पाए जाने पर कंपनी के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी.' कृषि मंत्री चौहान ने कहा कि नकली इनपुट बेचने वाली कंपनियां किसानों के साथ धोखाधड़ी करती हैं और उनकी आजीविका को खतरे में डालती हैं.
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