रासायनिक खादों का विकल बनेगा माइक्रोब्स! मिट्टी और किसानों को होगा फायदा

रासायनिक खादों का विकल बनेगा माइक्रोब्स! मिट्टी और किसानों को होगा फायदा

मिट्टी की घटती उर्वरक क्षमता और जलवायु परिवर्तन को रोकना बहुत जरूरी है. ऐसे में कृषि क्षेत्र में काम करने वाली कृषि कंपनियों ने इसका समाधान निकाला है. उनके अनुसार वातावरण में मौजूद जीवाणुओं की मदद से हम मिट्टी की उर्वरता क्षमता को ठीक कर सकते हैं. वे कैसे जानते हैं:

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रासायनिक खादों का विकल बनेगा माइक्रोब्स! मिट्टी और किसानों को होगा फायदारासायनिक खादों के इस्तेमाल को रोकना है जरूरी

किसान खाद्य संकट से निपटने और फसल से अधिक उपज प्राप्त करने के लिए रासायनिक उर्वरकों का उपयोग कर रहे हैं. जिससे मिट्टी की उर्वरक क्षमता लगातार घटती जा रही है. अगर आज के समय की बात करें तो लोग पूरी तरह से रासायनिक खाद पर निर्भर हो गए हैं. जिसकी वजह से आज जलवायु परिवर्तन का सामना करना पड़ रहा है. जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए जरूरी है कि हम इन सभी पहलुओं को ध्यान में रखें और रासायनिक खादों का कम से कम प्रयोग करें. ऐसे में मिट्टी की उर्वरक क्षमता को बढ़ाने के लिए रासायनिक खादों के विकल के तौर पर माइक्रोब्स को देखा जा रहा है. आइए जानते हैं कि माइक्रोब्स क्या होते हैं और क्यों है ये जरूरी:-

अगर रासायनिक खाद के दामों पर ध्यान दें तो यह भी बहुत अधिक है. इसकी कीमतें नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटेशियम समेत अन्य जिंसों की उपलब्धता पर आधारित हैं. ऐसे में इस पर लगाम लगाने के लिए कृषि क्षेत्र में काम करने वाली कृषि कंपनियों ने इसके विकल्प के तौर पर माइक्रोब्स को चुना है.

क्या है माइक्रोब्स, जलवायु पररिवर्तन में क्यों है जरूरी?

माइक्रोब्स यानि सूक्ष्मजीव जो हमारे चारो ओर पाए जाते हैं. यह हमारे शरीर के साथ-साथ हवा, पानी और मिट्टी में भी पाया जाता है. यह मिट्टी में मौजूद तत्वों को बनाए रखता है और मिट्टी की उर्वरक क्षमता को भी बढ़ता है. माइक्रोब्स की बात करें तो यह वातावरण में मौजूद नाइट्रोजन को मिट्टी में मिलने का काम करता है जिससे मिट्टी की गुणवत्ता में सुधार होता है. इतना ही नहीं यह मिट्टी में फॉस्फेट को भी तोड़ने का काम करता है.

जब एक जैविक उर्वरक के साथ  माइक्रोब्स का उपयोग किया जाता है, तो यह फसल की उपज को बढ़ाता है, और सिंथेटिक नाइट्रोजन के 30% तक के उपयोग को कम करता है. अगर देखा जाए तो यह जैविक खेती का ही रूप है. जहां हम रासायनिक खादों का इस्तेमाल ना करते हुए प्रकृति और प्रकृति में पाए जानें वाले किटाणुओं पर निर्भर रहते हैं. इससे मिट्टी का दोहन भी नहीं होता और उर्वरक क्षमता भी बरकरार रहती है.

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मिट्टी के लिए माइक्रोब्स क्यों है जरूरी

इस प्रक्रिया के तहत हम मिट्टी का बिना दोहन किए मिट्टी से अच्छी उपज प्राप्त कर सकते हैं. ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक माइक्रोब्स रासायनिक खेती का विकल्प है. जिसके माध्यम से हम मिट्टी की घटती उर्वरक क्षमता को वापस ला सकते हैं और रासायनिक खादों के इस्तेमाल को भी कम कर सकते हैं. आपको बता दें पौधों को वातावरण से प्राकृतिक रूप से पाए जाने वाले पोषक तत्वों तक पहुँचने में मदद करने के लिए माइक्रोब्स काफी कारगर है.

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