राजस्‍थान में गिरा धनिया का उत्‍पादन, लहसुन बना किसानों की पसंद, आखिर क्‍या है वजह? 

राजस्‍थान में गिरा धनिया का उत्‍पादन, लहसुन बना किसानों की पसंद, आखिर क्‍या है वजह? 

करीब 10 साल पहले राजस्‍थान के हाड़ौती में एक लाख हेक्टेयर में धनिया का उत्पादन होता था. साल 2024-25 में यह घटकर करीब 40 हजार हेक्टेयर रह गया है यानी इसमें करीब 60 फीसदी की गिरावट आई है. साथ ही धनिया में 'छाछिया' और 'लोंगिया' रोग का प्रकोप बढ़ गया है.

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राजस्‍थान में गिरा धनिया का उत्‍पादन, लहसुन बना किसानों की पसंद, आखिर क्‍या है वजह? राजस्‍थान में धनिया की खेती से मुंह मोड़ रहे हैं किसान

राजस्‍थान में किसान कुछ ऐसा कर रहे हैं जो चर्चा का विषय बन गया है. यहां पर किसान अब धनिया की खेती से मुंह मोड़ने लगे हैं. धनिया के उत्‍पादन में आई गिरावट की वजह से किसान अब इसकी खेती से बच रहे हैं. विशेषज्ञों की मानें तो इस बदलाव के पीछे वह बीमारी है जिसने धनिया के उत्‍पादन पर असर डाला है. किसान अब धनिया की जगह लहसुन को तरजीह दे रहे हैं. राजस्‍थान का हाड़ौती जो पिछले कई सालों से धनिया की खेती के लिए जाना जाता है, अब कम उत्‍पादन के चलते खबरों में बना हुआ है. 

इन वजहों से रकबे में हुई गिरावट 

एक मीडिया रिपोर्ट में सरकारी आंकड़ों का हवाला देते हुए बताया गया है कि करीब 10 साल पहले हाड़ौती में एक लाख हेक्टेयर में धनिया का उत्पादन होता था. साल 2024-25 में यह घटकर करीब 40 हजार हेक्टेयर रह गया है यानी इसमें करीब 60 फीसदी की गिरावट आई है. हॉर्टीकल्‍चर डिपार्टमेंट ज्‍वॉइन्‍ट डायरेक्‍टर आरके जैन ने ईटीवी राजस्‍थान को बताया है कि कोटा और हाड़ौती धनिया की खेती के लिए पूरे भारत में मशहूर रहे हैं. लेकिन पिछले सालों में बुवाई का रकबा धीरे-धीरे कम होता जा रहा है. 

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जैन ने बताया कि इसके पीछे असली वजह है यहां धनिया की सही किस्म का न होना है. साथ ही धनिया में 'छाछिया' और 'लोंगिया' रोग का प्रकोप बढ़ गया है. धनिया के दाम में भी कमी आई है. इसलिए किसानों का धनिया के प्रति रुझान कम होता जा रहा है. उनका कहना था कि अच्छी और ज्‍यादा उत्पादन वाली किस्म की जरूरत है ताकि धनिया के प्रति किसानों की रुचि बढ़ती रहे. 

लहसुन की खेती में हुआ इजाफा 

भारतीय किसान संघ के जिला मंत्री रूपनारायण यादव ने बताया कि किसानों के बीच लहसुन ने धनिया की जगह ले ली है. उनके मुताबिक किसानों को लहसुन का ज्‍यादा उत्पादन मिल रहा है और इसके अच्छे दाम भी मिल रहे हैं. लहसुन का उत्पादन 70 से 75 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हो रहा है जबकि धनिया का अधिकतम उत्पादन सिर्फ 15 क्विंटल प्रति हेक्टेयर है. आरके जैन कहते हैं कि धनिया का रकबा घट रहा है और लहसुन का रकबा बढ़ रहा है. उन्होंने बताया कि पिछले 6 सालों में धनिया का रकबा 50 हजार हेक्टेयर के आसपास था. यह कीमत कम होने से 87 हजार हेक्टेयर के आसपास पहुंच गया. लहसुन की कीमतें बढ़ीं तो इसका रकबा 40 हजार हेक्टेयर पहुंच गया. 

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कीमत भी नहीं मिलती मनमाफिक 

यहां के किसान धनिया छोड़कर दूसरी फसल लगाने के पीछे मौसम के बदलते मिजाज को जिम्मेदार ठहराते हैं. किसानों की मानें तो फसल में पानी कम लगता है लेकिन ज्‍यादा मजदूर और कम भाव ने दूसरी फसल लगाने को मजबूर कर दिया है. बीज की कीमत भी कम है. ज्यादा खाद की जरूरत नहीं पड़ती. फसल को बीमारियों से बचाने के लिए कीटनाशक का छिड़काव करना पड़ता है लेकिन कीमतें अच्छे नहीं मिलती हैं. किसान कहते हैं कि धनिया की अच्छी क्वालिटी की फसल का भाव 15 से 16 हजार रुपए प्रति क्विंटल मिलना चाहिए, लेकिन भाव 9 से 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल ही मिल रहा है. 

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