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रासायन‍िक खाद की कमी पूरी करने में जुटी सरकार, वरना और बढ़ता हाहाकार

रासायन‍िक खाद की कमी पूरी करने में जुटी सरकार, वरना और बढ़ता हाहाकार

Fertilizer Production in India: कृष‍ि योग्य जमीन लगातार स‍िमट रही है लेक‍िन रासायन‍िक उर्वरकों की मांग बढ़ रही है. क्योंक‍ि क‍िसान अब अध‍िक पैदावार के ल‍िए ज्यादा खाद का इस्तेमाल करने लगे हैं. चार साल में ही देश में 52.64 लाख टन यूर‍िया और करीब 9 लाख टन डीएपी की मांग बढ़ गई है. ऐसे में अब सरकार उर्वरकों का घरेलू उत्पादन बढ़ाने के ल‍िए नए प्लांट लगा रही है.

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रासायन‍िक खाद का संकट कम करने में जुटी सरकार (Photo-NFL). रासायन‍िक खाद का संकट कम करने में जुटी सरकार (Photo-NFL).

रासायन‍िक उर्वरकों की बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार इस कोश‍िश में जुट गई है क‍ि कैसे खाद का घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाए. ताक‍ि आयात पर न‍िर्भरता कम हो. अभी हम हर साल करीब 100 लाख मीट्रिक टन यूर‍िया और 50 लाख मीट्रिक टन डीएपी इंपोर्ट कर रहे हैं. एमओपी यानी म्यूरेट ऑफ पोटाश के मामले में तो हम पूरी तरह से दूसरे देशों पर ही न‍िर्भर हैं. इसे कम करने के ल‍िए मोदी सरकार ने कई बड़े खाद कारखाने शुरू क‍िए हैं. ज‍िससे देश की मौजूदा स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता में प्रति वर्ष 76.2 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है. यकीन मान‍िए क‍ि सरकार यह कोश‍िश नहीं करती तो खाद को लेकर रबी और खरीफ सीजन में आप जो हाहाकार देखते हैं उससे कहीं बहुत खराब स्थ‍ित‍ि होती. 

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बढ़ती मांग, आत्मन‍िर्भर बनने का दबाव 

साल 2004-05 के दौरान देश में उर्वरकों (NPK-नाइट्रोजन-N, फास्फोरस-P, पोटेशियम-K) की खपत प्रति हेक्टेयर स‍िर्फ 94.5 किलो थी, जो 2019-20 में बढ़कर 133.4 किलोग्राम तक पहुंच गई है. यूर‍िया की मांग ज्यादा बढ़ रही है. इसल‍िए उसका उत्पादन और आयात करने के ल‍िए दबाव ज्यादा है. 

दरअसल, भारत को यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहल मनमोहन स‍िंह सरकार में ही शुरू की गई थी. ज‍िस पर मोदी सरकार ने बहुत तेजी से काम क‍िया. यूरिया क्षेत्र में नए निवेश के ल‍िए सरकार ने 2 जनवरी, 2013 को नई निवेश नीति यानी एनआईपी-2012 का एलान क‍िया था. ज‍िसमें 7 अक्टूबर, 2014 को संशोधन क‍िया गया. 

प‍िछले तीन वर्ष के दौरान खोले गए यूर‍िया प्लांट 

  • मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड, पानागढ़, पश्चिम बंगाल-12.7 LMT
  • रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (आरएफसीएल), रामागुंडम, तेलंगाना-12.7 LMT
  • हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल), गोरखपुर, उत्तर प्रदेश-12.7 LMT
  • हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल), सिंदरी, झारखंड-12.7 LMT
  • हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (एचयूआरएल), बरौनी, बिहार-12.7 LMT

डीएपी/एनपीके उर्वरक प्लांट 

  • मेसर्स मध्य भारत एग्रो प्रोडक्ट बांदा सागर लिमिटेड, मध्य प्रदेश, यूनिट-II-2.40 LMT
  • मेसर्स कृष्णा फास्केम लिमिटेड मेघगर, मध्य प्रदेश-3.30 LMT
उर्वरकों की मांग (LMT)
वर्ष  यूरिया डीएपी एनपीके एमओपी
2017-18 298.00  98.77 98.19 33.90
2018-19 300.04 98.40 97.68 36.81
2019-20 335.26  103.30 104.82 38.12
2020-21 350.64  107.76  108.00 35.51
बढ़ी मांग 52.64 8.99 9.81 1.61

 Source: Ministry of Chemicals and Fertilizers

इन यूर‍िया यून‍िटों की हुई स्थापना 

एनआईपी 2012 के तहत यूर‍िया बनाने वाली कुल 6 नई यून‍िटें बनाई गई हैं. इनमें मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (मैटिक्स) की पानागढ़ यूरिया यून‍िट, चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की गडेपान-II यूरिया यून‍िट, रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की रामागुंडम यूरिया यून‍िट और ह‍िंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (HURL) की 3 यूरिया यून‍िटें गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी शाम‍िल हैं. इनमें से प्रत्येक इकाई की संस्थापित यूरिया उत्पादन क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष है. 

इस प्रकार, इन यून‍िटों ने मिलकर देश की मौजूदा स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता में प्रति वर्ष 76.2 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि की है. इसके अतिरिक्त, कोयला गैसीकरण मार्ग माध्यम से 12.7 एलएमटी प्रति वर्ष का एक नया ग्रीनफील्ड यूरिया प्लांट स्थापित करके फर्ट‍िलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंड‍िया ल‍िम‍िटेड (एफसीआईएल) की तलचर यून‍िट के पुनरुद्धार के लिए 28 अप्रैल 2021 को एक विशेष नीति नोट‍िफाई की गई. 

    उर्वरक उत्पादन और आयात (2021-22) 
उर्वरक  उत्पादन आयात  
यूर‍िया 250.72 91.36
डीएपी 42.22 54.62
एनपीकेएस 89.67 11.70
एमओपी शून्य 24.60
    *LMT

    Source: Ministry of Chemicals and Fertilizers

कंपन‍ियों द्वारा सरकार को दी गई सूचना के अनुसार 2022-23 में द‍िसंबर-2022 तक 62.44 लाख मीट्रिक टन यूर‍िया का आयात हो चुका है. जबक‍ि डीएपी का 53.18 लाख मीट्रिक टन आयात हुआ है. इसी तरह 16.22 लाख टन एमओपी और 20.86 लाख टन एनपीके का इंपोर्ट हुआ है.

एमएसपी कमेटी के सदस्य और कृष‍ि व‍िशेषज्ञ ब‍िनोद आनंद का कहना है क‍ि क‍िसान भाई स्वायल टेस्टि‍ंंग र‍िपोर्ट के ह‍िसाब से खाद का इस्तेमाल करें.ऐसा करने से खेती पर लागत कम होगी और पैदावार बढ़ेगी. अंधाधुंध इस्तेमाल से नुकसान होगा और देश पर बोझ बढ़ेगा. 

खाद का उत्पादन बढ़ाने की नई कोश‍िश

  • सरकार ने स्वदेशी यूरिया उत्पादन को अधिकतम करने के मकसद से 25 मई, 2015 को नई यूरिया नीति (एनयूपी)-2015 शुरू की. सरकार का दावा है क‍ि एनयूपी-2015 की वजह से 2014-15 के दौरान उत्पादन की तुलना में प्रत‍ि वर्ष 20 लाख मीट्रिक टन अधिक यूरिया का उत्पादन हुआ. 
  • इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर कोआपरेटिव (इफको) द्वारा कलोल (गुजरात), फूलपुर (उत्तर प्रदेश) और आंवला (उत्तर प्रदेश) में स्थापित 3 संयंत्रों में नैनो यूरिया की 17 करोड़ बोतलों का उत्पादन भी कर द‍िया गया. 
  • इसके अतिरिक्त, शीरे से प्राप्त पोटाश (पीडीएम), जो 100 फीसदी स्वदेशी रूप से विनिर्मित उर्वरक है, को उर्वरक विभाग द्वारा पोषक तत्व आधारित राजसहायता (एनबीएस) प्रणाली के तहत नोट‍िफाई किया गया है. 
  • उर्वरक विभाग ने राष्ट्रीय केमिकल्स एंड फर्टिलाइजर्स लिमिटेड को अपने स्वयं के संसाधनों से महाराष्ट्र में एक एनपीके प्लांट स्थापित करने के लिए 15 नवंबर 2021 को प्रशासनिक मंजूरी दी है. 

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