रासायनिक उर्वरकों की बढ़ती मांग के बीच केंद्र सरकार इस कोशिश में जुट गई है कि कैसे खाद का घरेलू उत्पादन बढ़ाया जाए. ताकि आयात पर निर्भरता कम हो. अभी हम हर साल करीब 100 लाख मीट्रिक टन यूरिया और 50 लाख मीट्रिक टन डीएपी इंपोर्ट कर रहे हैं. एमओपी यानी म्यूरेट ऑफ पोटाश के मामले में तो हम पूरी तरह से दूसरे देशों पर ही निर्भर हैं. इसे कम करने के लिए मोदी सरकार ने कई बड़े खाद कारखाने शुरू किए हैं. जिससे देश की मौजूदा स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता में प्रति वर्ष 76.2 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि हुई है. यकीन मानिए कि सरकार यह कोशिश नहीं करती तो खाद को लेकर रबी और खरीफ सीजन में आप जो हाहाकार देखते हैं उससे कहीं बहुत खराब स्थिति होती.
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साल 2004-05 के दौरान देश में उर्वरकों (NPK-नाइट्रोजन-N, फास्फोरस-P, पोटेशियम-K) की खपत प्रति हेक्टेयर सिर्फ 94.5 किलो थी, जो 2019-20 में बढ़कर 133.4 किलोग्राम तक पहुंच गई है. यूरिया की मांग ज्यादा बढ़ रही है. इसलिए उसका उत्पादन और आयात करने के लिए दबाव ज्यादा है.
दरअसल, भारत को यूरिया क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने के लिए पहल मनमोहन सिंह सरकार में ही शुरू की गई थी. जिस पर मोदी सरकार ने बहुत तेजी से काम किया. यूरिया क्षेत्र में नए निवेश के लिए सरकार ने 2 जनवरी, 2013 को नई निवेश नीति यानी एनआईपी-2012 का एलान किया था. जिसमें 7 अक्टूबर, 2014 को संशोधन किया गया.
वर्ष | यूरिया | डीएपी | एनपीके | एमओपी |
2017-18 | 298.00 | 98.77 | 98.19 | 33.90 |
2018-19 | 300.04 | 98.40 | 97.68 | 36.81 |
2019-20 | 335.26 | 103.30 | 104.82 | 38.12 |
2020-21 | 350.64 | 107.76 | 108.00 | 35.51 |
बढ़ी मांग | 52.64 | 8.99 | 9.81 | 1.61 |
Source: Ministry of Chemicals and Fertilizers
एनआईपी 2012 के तहत यूरिया बनाने वाली कुल 6 नई यूनिटें बनाई गई हैं. इनमें मैटिक्स फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड (मैटिक्स) की पानागढ़ यूरिया यूनिट, चंबल फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की गडेपान-II यूरिया यूनिट, रामागुंडम फर्टिलाइजर्स एंड केमिकल्स लिमिटेड की रामागुंडम यूरिया यूनिट और हिंदुस्तान उर्वरक एंड रसायन लिमिटेड (HURL) की 3 यूरिया यूनिटें गोरखपुर, सिंदरी और बरौनी शामिल हैं. इनमें से प्रत्येक इकाई की संस्थापित यूरिया उत्पादन क्षमता 12.7 लाख मीट्रिक टन प्रति वर्ष है.
इस प्रकार, इन यूनिटों ने मिलकर देश की मौजूदा स्वदेशी यूरिया उत्पादन क्षमता में प्रति वर्ष 76.2 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि की है. इसके अतिरिक्त, कोयला गैसीकरण मार्ग माध्यम से 12.7 एलएमटी प्रति वर्ष का एक नया ग्रीनफील्ड यूरिया प्लांट स्थापित करके फर्टिलाइजर कारपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (एफसीआईएल) की तलचर यूनिट के पुनरुद्धार के लिए 28 अप्रैल 2021 को एक विशेष नीति नोटिफाई की गई.
उर्वरक | उत्पादन | आयात |
यूरिया | 250.72 | 91.36 |
डीएपी | 42.22 | 54.62 |
एनपीकेएस | 89.67 | 11.70 |
एमओपी | शून्य | 24.60 |
*LMT |
Source: Ministry of Chemicals and Fertilizers
कंपनियों द्वारा सरकार को दी गई सूचना के अनुसार 2022-23 में दिसंबर-2022 तक 62.44 लाख मीट्रिक टन यूरिया का आयात हो चुका है. जबकि डीएपी का 53.18 लाख मीट्रिक टन आयात हुआ है. इसी तरह 16.22 लाख टन एमओपी और 20.86 लाख टन एनपीके का इंपोर्ट हुआ है.
एमएसपी कमेटी के सदस्य और कृषि विशेषज्ञ बिनोद आनंद का कहना है कि किसान भाई स्वायल टेस्टिंंग रिपोर्ट के हिसाब से खाद का इस्तेमाल करें.ऐसा करने से खेती पर लागत कम होगी और पैदावार बढ़ेगी. अंधाधुंध इस्तेमाल से नुकसान होगा और देश पर बोझ बढ़ेगा.
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