Kharif Special: हरा सोना है अजोला... जानें इस जैव‍िक खाद से जुड़ी पूरी जानकारी

Kharif Special: हरा सोना है अजोला... जानें इस जैव‍िक खाद से जुड़ी पूरी जानकारी

Kharif Special : अजोला को हरा सोना कहा जाता है. इसका उपयोग कई फसलों में पोषक तत्व के रूप में किया जाता है. अजोला में 3.5 प्रतिशत नाइट्रोजन और विभिन्न प्रकार के कार्बनिक पदार्थ होते हैं. जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं.

Advertisement
Kharif Special: हरा सोना है अजोला... जानें इस जैव‍िक खाद से जुड़ी पूरी जानकारी क‍िसान अजोला की खेती कर मुनाफा भी कमा सकते हैं. (फोटो क‍िसान तक)

अजोला को हरा सोना कहा जाता है. इसका उपयोग कई फसलों में पोषक तत्व के रूप में किया जाता है.अजोला में 3.5 प्रतिशत नाइट्रोजन और विभिन्न प्रकार के कार्बनिक पदार्थ होते हैं, जो मिट्टी की उर्वरता को बढ़ाते हैं.अजोला किसानों के लिए कम लागत पर बेहतर जैविक खाद उपलब्ध कराने की दिशा में यह एक बड़ा कदम है. वहीं इसका उपयोग पशु चारा में किया जाता है. किसान तक में  सीरीज खरीफनामा की इस कड़ी में अजोला पर पूरी रिपोर्ट-

भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (आईएआरआई) पूसा, नई दिल्ली में माइक्रोबायोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ सुनील पब्बी ने किसान तक से बातचीत में कहा कि अजोला, नीले हरे शैवाल की तरह तेजी से बढ़ने वाला एक हरा पौष्टिक जलीय फर्न है, जो तालाबों, झीलों और ठहरे हुए पानी में तैरते वातावरण से नाइट्रोजन लेकर उसे स्थिर करता है.अजोला का उपयोग हरी खाद के रूप में और धान की फसल में दोहरी फसल के रूप में किया जाता है. इसके प्रयोग से फसल में प्रति एकड़ 15 से 25 किलोग्राम नाइट्रोजन का स्थिरीकरण होता है.अजोला बायो फर्टिलाइजर की सबसे खास बात यह है कि यह मिट्टी में तुरंत सड़ जाता है और पौधों को नाइट्रोजन प्रदान करता है.

कैसे करें अजोला की नर्सरी तैयार ?

किसान तक के बातचीत में डॉ.पब्बी ने कहा कि अजोला की नर्सरी की खेती के लिए पिट विधि, टैंक विधि अपनाकर अजोला का उत्पादन किया जा सकता है. अजोला उगाने वाली जगह समतल होनी चाहिए ताकि पूरे क्षेत्र में पानी की गहराई एक समान हो. इसके बाद 10 किलो छानी मिट्टी और दो लीटर गोबर की घोल डालकर पानी भरना चाहिए. पानी की गहराई 20-25 सेमी होनी चाहिए.अजोला कल्चर प्रति वर्ग मीटर एक किलो डालकर पानी को धीरे-धीरे हिलाने के बाद पानी पर समान रूप से फैलाया जाता है.

ये भी पढ़ें- Kharif Special: रासायनि‍क खाद नहीं ब्लू ग्रीन एलगी है उपाय, जानें इसके फायदे और कीमत

एक सप्ताह के भीतर अजोला पूरी क्यारी में और एक मोटी चादर की तरह फैल जाता है . पानी हमेशा 20-25  सेमी भरा होनै चाहिए. इससे प्रतिदिन लगभग 2 किलो ताजा अजोला का उत्पादन किया जा सकता है.

अजोला उत्पादन तकनीक

किसान तक से बातचीत में डॉ सुनील पब्बी ने कहा इसके बाद खेतों में 20 x 2o मीटर के क्यारी  बनाकर प्रत्येक क्यारी में 8 से 10 किलो ताजा अजोला डाला जाता है.अजोला में 100 ग्राम सुपर फास्फेट का प्रयोग दो से पांच दिन में चार से पांच दिन के अंतराल पर करना चाहिए. इसके बाद एक हफ्ते के बाद 100 ग्राम फ्यूराडान मिलाया जाता है. एक क्यारी से 15 दिनों में 100 किलो से 150 किलो ताजा अजोला का उत्पादन किया जा सकता है. तो वहीं एक क्यारी से 15 दिन में 100 किलो से 150 किलो  ताजा अजोला निकाला जा सकता है.

अजोला का करें प्रयोग, यूरिया की होगी बचत

किसान तक से बातचीत में डॉ सुनील पब्बी ने कहा क‍ि अजोला को धान रोपाई के पहले खेतों में हरी खाद तरह डाला जा सकता है. इसके लिए धान की रोपाई के एक दिन पहले अजोला 400 किलो प्रति एकड़ की दर से खेत में मिलाकर जुताई कर मिट्टी में मिला देना चाहिए. उन्होंने कहा दोहरी फसल के रूप में अजोला को धान के साथ उगाया जाता है. इस विधि में 200 किलो ग्राम अजोला प्रति एकड़ के हिसाब से धान की खेत डाला जाता है.अजोला 15 से 20 दिन में पूरे खेत को ढक लेता है. अजोला को हरी खाद रूप इस्तेमाल किया जाता है.

ये भी पढ़ें-Wrestlers Protest: रेसलर्स के साथ क‍िसान संगठन, समर्थन या मुद्दों से भटकाव...

इससे 25 किलो नाइट्रोजन प्रति एकड़ की प्राप्त होता है. यानि 50 से 55 किलो यूरिया की बचत होती है और अगर अजोला हरी खाद और दोहरी खेती की इस्तेमाल किया जाता है तो 40 से 45 किलो नाइट्रोजन प्राप्त होता है यानि 90 से 100 किलों यूरिया की बचत होगी.

एचडीपीई तकनीक से उत्पादन 

उन्होंने कहा क‍ि क‍िसान एचडीपीई तकनीक से अजोला का उत्पादन कर उसे अपने खेतों में इस्तेमाल कर सकते हैंं. एचडीपीई बेड जिसकी लम्बाई 12 फीट व चौडाई 6 फीट ऊचाई 1 फीट है. वह  बाजार में 6 हजार रुपये में खरीदने पर आसानी से मिल जाती हैं, जिससे को भी किसान इसको खरीदकर अजोला का उत्पादन कर सकता है और 3 महीने के उत्पादन से एचडीपीई बेड में खर्च हुई लागत को आसानी से कमा कर निकाल सकता है. अजोला उत्पादन कर रहे जयपुर जिला के धानोता गांव के किसान गजानन्द अग्रवाल ने किसान तक से बातचीत में कहा कि मौसम के हिसाब से अजोला उत्पादन कर सकते हैं. जाड़े के मौसम में थोड़ा ढकने की जरूरत होती है और गर्मी में पानी का वाष्पीकरण ज्यादा होता है, इसलिए इस बात का खयाल रखना चाहिए. उनका कहना है की अजोला की बेड़ में पानी का लेवल हमेशा 3 से 4 इंच बना रहना चा‍ह‍िए.

आय का साधन बन सकता है अजोला

गंजानन्द ने किसान तक में बातचीत में कहा की  कोई भी किसान अजोला की खेती को अपना व्यापार भी बना सकता है. वह अजोला का उत्पादन कर इसे अन्य किसानों को भी बेच सकते हैं. इससे क‍िसानों की आय बढेगी. उन्होंने बताया क‍ि वह वर्तमान में  व्यवसायिक स्तर अजोला का उत्पादन कर रहे हैं, जिससे उन्हें  महीने  30 हजार रुपये से लेकर  50 हजार रुपये तक आमदनी हो रही है.

अजोला के लिए यहां करें संपर्क 

IARI ने अजोला कल्चर विकसित किया है. वर्तमान में अजोला का कल्चर माइक्रोबायोलॉजी विभाग, पूसा में उपलब्ध है. इसे यहां से खरीदा जा सकता है. वहीं ताजा अजोला कई किसानों और कृषि संस्थानों द्वारा उत्पादित किया जाता है, जहां से संपर्क कर इसे खरीदकर  खेतों में प्रयोग  और उत्पादित किया जा सकता है. अजोला कल्चर की कीमत 100 किलो और ताजा अजोला की कीमत 5 से 6 रुपये किलो है.

POST A COMMENT