भारत में ड्रैगन फ्रूट की लोकप्रियता बहुत तेजी से बढ़ रही है. पहले सिर्फ कुछ ही किसान इस फल की खेती करते थे. लेकिन अब इसके मुनाफे को देखते हुए अब काफी किसान इसकी खेती में दिलचस्पी ले रहे हैं. देश के कई राज्यों में इसकी खेती लगातार बढ़ रही है. पहले किसानों को इसकी खेती की जानकारी कम थी. लेकिन अब वो बड़े पैमाने पर इसकी खेती कर रहे हैं. हालांकि अभी भी कई किसानों को ड्रैगन फ्रूट की खेती सही जानकारी नहीं मिल पाती है जिसके चलते उनको अच्छा उत्पादन नहीं मिल पता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि कैसे किसान उर्वरकों की सही मात्रा का इस्तेमाल कर ज्यादा उत्पादन और अधिक मुनाफा कमा सकते हैं.
कृषि विशेषज्ञों के अनुसार ड्रैगन फ्रूट की अच्छी बढ़वार के लिए देसी और रासायनिक खाद दोनों का उपयोग महत्वपूर्ण है. रासायनिक खादों का प्रयोग ड्रैगन फल के पौधे लगाने के कम से कम 6 महीने बाद करना चाहिए. गोबर की खाद जनवरी-फरवरी के महीनें में डालें. यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट और म्यूरेट ऑफ पोटाश का प्रयोग तीन बराबर हिस्सों में (फरवरी, मई और अगस्त के अंत में) किया जाना चाहिए. अगर एक साल पुराना पौधा है तो प्रति खंभा गोबर की खाद 5 किलो, यूरिया 15 ग्राम, सिंगल सुपर फॉस्फेट 40 ग्राम और म्यूरेट ऑफ पोटाश 15 ग्राम प्रति खंभा की दर से इस्तेमाल करें. अभी मार्च का महीना चल रहा है, इसलिए किसानों को यूरिया, सिंगल सुपर फॉस्फेट और एमओपी का बराबर हिस्सा यूज में लेना चाहिए.
ड्रैगन फल को आमतौर पर कमलम के नाम से भी जाना जाता है. यह कैकट्स परिवार का बेलनुमा पौधा होता है. इसका उत्पादन विभिन्न प्रकार की मिट्टी में किया जा सकता है. इसके पौधों में जल्द ही फल लग जाता है. इसके ऊपर कीड़े-मकोड़ों और बिमारियों का हमला बहुत ही कम होता है. ड्रैगन फ्रूट में पोषक तत्व भरपूर होने के कारण इसे एक सुपर फ्रूट के रूप में पहचाना जाने लगा है. इस कारण इस फल की बाजार में भी कीमत अच्छी प्राप्त हो रही है. इसके फलों में एंटीऑक्सीडेंट तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं. खासतौर पर लाल गूदे वाले फलों में बीटा कैरोटीन, फिनौल, फ्लेवानॉल आदि प्राकृतिक पौष्टिक तत्व प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होते हैं. ड्रैगन फल में कैल्शियम, जिंक और मैगनीशियम जैसे खनिज एवं विभिन्न विटामिन तथा फाइबर की भी काफी मात्रा होती है.
ड्रैगन फल के पौधे फरवरी-मार्च एवं जुलाई-सितम्बर के महीनों में लगाए जा सकते हैं. इसके पौथों को सीमेंट के मज़बूत खंभे गाड़ के उसके चारों ओर 15-20 सैंटीमीटर ऊंची क्यारी बनाकर लगाया जाना चाहिए. इस विधि से बरसात के मौसम में पौथे ज्यादा नमी या खड़े पानी से सुरक्षित रहते हैं. आमतौर पर इसके पौधे सिंगल पोल प्रणाली में 10 x 10 फुट या 10 x 8 फुट की दूरी पर लगाए जाते हैं. पौधों को खंभों के बिलकुल पास लगाया जाता है ताकि वो आसानी से उस पर चढ़ सकें. खंभों के चारों तरफ पौधे लगाने चाहिए. नये पौधे लगाने से 15 दिन पहले हर एक खंभे के चारों ओर 15-20 किलो गली-सड़ी गोबर की खाद मिट्टी में डालकर अच्छी तरह मिला दें.
आमतौर पर इसके उत्पादन के लिए सिंगल पोल प्रणाली या ट्रैलिस प्रणाली का प्रयोग किया जाता है. ट्रैलिस प्रणाली में पौधों को तारों तक पहुंचाने के लिए बांस की डंडियों की सहायता लें. पौधों को खंभों के साथ-साथ चढ़ाने के लिए इनको लगातार प्लास्टिक की रस्सियों से बांधते रहें और जब पौधे बढ़कर ऊपर लगे चक्र से बाहर आने लग जाएं तब इनकी कटाई करें, ताकि अधिक शाखाएं निकलें.
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