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क्या आप आईपीएम प्रयोगशाला के बारे में जानते हैं? बड़े काम की हैं ये लैब, जानिए सब कुछ

क्या आप आईपीएम प्रयोगशाला के बारे में जानते हैं? बड़े काम की हैं ये लैब, जानिए सब कुछ

खेती में बढ़ते कीटनाशकों के उपयोग और उसके दुष्परिणामों  को देखते हुए  राजस्थान सहित पूरे देश में इन प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है. आईपीएम लैब का मुख्य उद्देश्य किसानों को समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकी और विभिन्न प्रकार के जैव कारकों की जानकारी देना होता है. ताकि किसानों के बीच इनके उपयोग और महत्व का प्रचार हो सके.

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खेती में बढ़ते कीटनाशकों के उपयोग और उसके दुष्परिणामों को रोकने के लिए इन प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है. फोटो साभार- कृषि मंत्रालय खेती में बढ़ते कीटनाशकों के उपयोग और उसके दुष्परिणामों को रोकने के लिए इन प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है. फोटो साभार- कृषि मंत्रालय

अगर आप किसान हैं और आईपीएम प्रयोगशालाओं के बारे में नहीं जानते हैं तो ये खबर आपके लिए ही है. केन्द्र सरकार की ओर से राज्यों में इन प्रयोगशालाओं को शुरू किया गया है. इनका संचालन राज्य सरकारें करती हैं. राजस्थान में भी कई जिलों में इन प्रयोगशालाओं को शुरू किया है. साथ ही कृषि विभाग किसानों को इन प्रयोगशालाओं और इनमें बनने वाले उत्पादों के लिए लगातार जागरूक भी कर रहा है. कृषि विभाग के कामों को जानने से पहले यह जानना बहुत जरूरी है कि आखिर आईपीएम प्रयोगशाला होती क्या है? 

क्या है आईपीएम प्रयोगशाला?

तो खेती में बढ़ते कीटनाशकों के उपयोग और उसके दुष्परिणामों  को देखते हुए  राजस्थान सहित पूरे देश में इन प्रयोगशालाओं की स्थापना की गई है. इनके माध्यम से कीटनाशकों पर किसानों की बढ़ती निर्भरता, वातावरण में हो रहे प्रदूषण, कीटों में इनके प्रति बढ़ रही प्रतिरोधक क्षमता को कम करने के लिए इन आईपीएम प्रयोगशालों को बनाया गया है. 

क्या है आईपीएम लैब का उद्देश्य?

आईपीएम लैब का मुख्य उद्देश्य किसानों को समन्वित कीट प्रबंधन तकनीकी और विभिन्न प्रकार के जैव कारकों की जानकारी देना होता है. ताकि किसानों के बीच इनके उपयोग और महत्व का प्रचार हो सके. साथ ही कीटनाशकों के अत्यधिक उपयोग से बचा जा सके. इसीलिए इन लैब में जैव कारकों यानी ट्राइकोकार्ड, ट्राइकोडर्मा एनपीवी का उत्पादन किया जा रहा है.  इनका उपयोग किसानों को खेत में स्टल लगाकर और अन्य तरीकों से किया जा रहा है. 

राजस्थान में नौ आईपीएम लैब संचालित

प्रदेश में फिलहाल नौ लैब चल रही हैं. ये जयपुर, अजमेर, भरतपुर, बूंदी, चित्तौड़गढ़, बांसवाड़ा, जोधपुर, हनुमानगढ़ और झुंझुनूं में हैं. हाल ही में सरकार ने प्रदेश की इन लैब में बायोएजेन्ट्स उत्पादन के लक्ष्य दिए हैं. इसके अनुसार इन सभी लैब में 12150 ट्राइकोकार्ड का लक्ष्य इस वित्तीय वर्ष के लिए दिया है. वहीं, 18300 किलो ट्राइकोडर्मा, 900 किलो मेटाराइजियम, 4500 एलपीवी का लक्ष्य आवंटित किया गया है.

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लाभांवित किसानों की सूची राजकिसान साथी पोर्टल पर डालनी होगी

कृषि विभाग ने आईपीएम लैब की ओर से किसानों को बेचे गए ट्राइकोडर्मा की सूची राजकिसान साथी पोर्टल पर अपलोड करने के निर्देश भी दिए हैं. इसमें लाभांवित किसान का नाम, पता, योजना, फसल, खेती का क्षेत्र हेक्टेयर में और दिए गए ट्राइकोडर्मा की जानकारी देनी होगी.

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विभाग ने इस संबंध में एक पत्र संबंधित जिलों में भेज दिया है. इसके साथ ही विभाग ने यह भी निर्देश दिए हैं कि ट्राइकोडर्मा और ट्राइकोकार्ड की मांग खरीफ सीजन में 15 जून और रबी सीजन में 30 सितंबर तक भिजवानी होगी. यह मांग संबंधित जिले के संयुक्त निदेशक या अन्य अधिकारी आईपीएम लैब को भिजवाएंगे.