यूपी: वाराणसी जिले में PMFBY के तहत आवेदनों की संख्या बढ़ी, 22457 किसानों ने कराया बीमा

यूपी: वाराणसी जिले में PMFBY के तहत आवेदनों की संख्या बढ़ी, 22457 किसानों ने कराया बीमा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के जरिए किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या किसी भी तरह से फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर दिया जाता है ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके. वहीं वाराणसी जिले में रबी-खरीफ सीजन 2022 में 22457 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपना पंजीकरण कराया है.

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यूपी: वाराणसी जिले में PMFBY के तहत आवेदनों की संख्या बढ़ी, 22457 किसानों ने कराया बीमाफसल बीमा योजना से फायदा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के जरिए किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या किसी भी तरह से फसल के खराब होने की स्थिति में एक व्यापक बीमा कवर दिया जाता है ताकि किसानों की आय को स्थिर करने में मदद मिल सके. वहीं वाराणसी में रबी-खरीफ सीजन 2022 में फसलों को नुकसान से बचाने के लिए 22457 किसानों ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में अपना पंजीकरण कराया था. किसानों ने इसके लिए प्रीमियम के तौर पर 319.48 लाख भी जमा किए, जबकि 2021 में मौसम के जोखिम से फसलों को हुए नुकसान के बाद 965 किसानों को फसल बीमा से 23.38 लाख रुपए का लाभ भी मिल चुका है.  किसानों को मुसीबत में इस योजना से काफी मदद मिली है.

कोरोनाकाल में घट गया था फसल बीमा के लाभार्थियों की संख्या

वाराणसी में फसल बीमा योजना को लेकर किसानों के बीच लगातार जागरूकता कृषि विभाग के द्वारा फैलाई जा रही है जिससे कि किसानों को प्राकृतिक आपदाओं या किसी भी तरह से फसल के खराब होने की स्थिति में मदद किया जा सके. कोरोनाकाल 2020 में जनपद में 17537 लाभार्थी थे, लेकिन इस दौरान गेहूं की फसल को ओला और बारिश के चलते भारी नुकसान हुआ था. मौसम के जोखिम से 3255 किसानों को 191.60 लाख रुपए की क्षतिपूर्ति भी मिली. 2021 में लाभ पाने वाले किसानों की संख्या 11176 रह गई, जबकि इस साल फसल नुकसान के चलते 965 किसानों को 23.38 लाख रुपए का मुआवजा भी मिला. वहीं यह संख्या अब 2022 में बढ़कर 22457 हो गई है.

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क्रॉप कटिंग के आधार पर भी मिलता है फसल बीमा का लाभ

किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के अंतर्गत रबी की फसल में मसूर, जौ, मटर, गेहूं, चना, सरसों के लिए प्रति हेक्टेयर बीमित राशि 1.5 प्रतिशत और आलू के लिए 5 प्रतिशत है. क्रॉप कटिंग के लिए सबसे पहले ग्रामों का चयन होता है. वहीं सभी फसलों के लिए अलग-अलग रेंडम नंबर तय होता है. इसी आधार पर क्रॉप कटिंग होती है. कृषि विभाग के उपनिदेशक के मुताबिक चयनित खेत की फसल पकने पर निश्चित तिथि को 10 ×10 ×10 भुजा वाले समबाहु त्रिभुज बनाकर फसल काटी जाती है. उसकी तौल की जाती है और इस प्रकार ग्राम वार सूची के अनुसार क्राफ्ट कटिंग करके योजना का लाभ तय किया जाता है.

फसल बीमा योजना से मिला सहारा

प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के लाभार्थी वाराणसी के बरथरा कला निवासी सत्येंद्र विक्रम ने बताया कि उन्होंने दो हेक्टेयर में धान की खेती 2021 में की थी जिसमें उनका कुल ₹55000 खर्च आया था लेकिन अचानक से आई बाढ़ के चलते पूरी फसल बर्बाद हो गई. ऐसे में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना के चलते उन्हें ₹70000 बीमा का लाभ मिला जिससे उनके नुकसान की भरपाई हो गई.

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