यूरिया पर बिहार सरकार का जवाब: अक्टूबर-नवंबर में केंद्र से कम मिली खाद, इसलिए हुई किल्लत

यूरिया पर बिहार सरकार का जवाब: अक्टूबर-नवंबर में केंद्र से कम मिली खाद, इसलिए हुई किल्लत

कृषि सचिव ने कहा, अक्टूबर 2022 में बिहार को 210000 मेट्रिक टन यूरिया की जरूरत थी जबकि 126670 मेट्रिक टन यूरिया ही मिली. इस महीने 60 परसेंट यूरिया की सप्लाई की गई. नवंबर में 250000 मेट्रिक टन की जरूरत थी, लेकिन 150485 मेट्रिक टन मिली. इस महीने भी 60 परसेंट सप्लाई हुई.

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यूरिया पर बिहार सरकार का जवाब: अक्टूबर-नवंबर में केंद्र से कम मिली खाद, इसलिए हुई किल्लतबिहार में यूरिया खाद की कमी देखी जा रही है (फोटो-इफको)

बिहार में यूरिया की कमी (urea shortage) देखी जा रही है. यहां कई जिलों में यूरिया की कमी के चलते किसान परेशान हैं. एक दिन पहले बेगूसराय और सुपौल जिले से खबरें आईं. वहां किसानों ने दुखड़ा रोते हुए बताया कि उन्हें किस कदर यूरिया खाद की कमी से जूझना पड़ रहा है. किसानों की शिकायत थी कि खाद के दुकानदार समय पर यूरिया नहीं देते. अगर देते भी हैं तो नैनो यूरिया खरीदने की शर्त पर यूरिया की बोरी देते हैं. कुछ किसानों की शिकायत ये भी रही कि सरकारी रेट 266 रुपये की बजाय 300 रुपये यूरिया के दाम लिए जा रहे हैं. इस बीच बिहार सरकार के कृषि विभाग ने बुधवार को कहा कि अक्टूबर और नवंबर में केंद्र सरकार से 60 परसेंट ही सप्लाई मिली है जिससे यूरिया की कमी देखी जा रही है.

बिहार में इस मामले पर राजनीति भी तेज हो गई है. भारतीय जनता पार्टी के बिहार अध्यक्ष संजय जायसवाल ने मंगलवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बिहार में केंद्र सरकार द्वारा दी जा रही यूरिया का डाटा जारी किया. इसके एक दिन बाद बुधवार को कृषि विभाग के सचिव एन सरवन कुमार ने प्रेस कॉन्फ़्रेंस कर बताया कि भारत सरकार ने अक्टूबर और नवंबर के महीने में 60 प्रतिशत ही यूरिया की आपूर्ति (urea shortage) की है.

सरवन ने बताया कि दिसंबर में 97 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति की गई थी. वहीं जनवरी में अभी तक 43 प्रतिशत यूरिया की आपूर्ति की गई है. उन्होंने कहा कि अक्टूबर और नवंबर में जो कम आपूर्ति हुई, उसकी वजह से परेशानी का सामना करना पड़ा है, अभी आपूर्ति ठीक है. कृषि विभाग के मुताबिक अक्टूबर से जनवरी तक केंद्र की तरफ से 68 परसेंट यूरिया की सप्लाई की गई है.

कृषि सचिव ने कहा, अक्टूबर 2022 में बिहार को 210000 मेट्रिक टन यूरिया की जरूरत थी जबकि 126670 मेट्रिक टन यूरिया ही मिली. इस महीने 60 परसेंट यूरिया की सप्लाई की गई. नवंबर में 250000 मेट्रिक टन की जरूरत थी, लेकिन 150485 मेट्रिक टन मिली. इस महीने भी 60 परसेंट सप्लाई हुई. दिसंबर में 330000 मेट्रिक टन की जरूरत थी और 319088 मेट्रिक टन यूरिया मिली. इसमें 97 परसेंट की सप्लाई हुई. जनवरी में 240000 मेट्रिक टन की जरूरत दी गई जिसमें अभी तक 103862 मेट्रिक टन खाद मिली है. अभी तक 43 फीसद यूरिया मिली है. बिहार सरकार ने कुल 1030000 मेट्रिक टन यूरिया की मांग की है जिसमें अभी तक 700105 मेट्रिक टन यानी कि मांग के 68 परसेंट तक सप्लाई मिली है.

बिहार में यूरिया की कमी

बिहार के कई जिलों में यूरिया किल्लत (urea shortage in bihar) की खबरें आ रही हैं. बिहार सरकार भले ही लाख दावे कर ले लेकिन बिहार के किसान हैरान हैं, परेशान हैं और अपनी खून पसीने की कमाई से उगाई गई फसल को जिंदा रखने के लिए दर-दर की ठोकरें खाने के लिए मजबूर हैं. किसान यूरिया केंद्रों और दुकानों के चक्कर लगाते लगाते थक गए हैं और अपने आप को कोस रहे हैं कि उन्होंने खेती क्यों की. मोतिहारी के बिस्कोमान भवन से जो तस्वीरें आईं उसमें साफ देखा जा सकता है कि वहां किस प्रकार सन्नाटा पसरा है. एक-दो किसान ही यहां दिखे जो कि मायूस रहे. उन्हें पोटाश और डीएपी तो मिल गया है, लेकिन यूरिया नहीं मिली है.

यह खबर सामने आने के बाद जब गोदाम प्रबंधक से संपर्क किया गया तो उन्होंने साफ शब्दों में कहा कि उनके यहां डीएपी और पोटाश तो है, लेकिन यूरिया नहीं है. पिछले दिसंबर महीने में मात्र 600 बोरा यूरिया मिली थी जिसे किसानों के बीच बांट दिया गया. अभी यूरिया कब और कितने दिनों बाद आएगी कोई नहीं जानता. कृषि जिला अधिकारी से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन वे नहीं मिले. पकड़ीदयाल, मधुबन, अरेराज और चकिया में यूरिया की भारी किल्लत देखी गई. किसान भारी ठंड में यूरिया के लिए मारे-मारे फिर रहे हैं.

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उधर सुपौल से एक दिन पहले खबर मिली कि किसान सुबह 6 बजे से शाम तक खाद दुकानों के बाहर लंबी लाइनों में लगते हैं, उसके बाद भी यूरिया नहीं मिल पाती. किसान मक्का और गेहूं में पटवन कर चुके हैं और अब उन्हें खाद की सख्त जरूरत है. लेकिन किसानों को समय पर खाद नहीं मिल रही है. किसानों की शिकायत है कि 266 रुपये के बदले 300 रुपये लेकर बोरी दी जा रही है. यहां यूरिया की कालाबाजारी की भी शिकायतें मिल रही हैं.

कुछ ऐसी ही घटना बेगूसराय में देखने को मिली जहां किसानों का कहना है कि यूरिया नहीं मिलने से फसलें पीली पड़ रही हैं. फसलों की बर्बादी की नौबत आ गई है. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि सरकार से समय पर यूरिया खाद नहीं मिल रही है. दूसरी ओर बिहार सरकार के कृषि विभाग का कहना है कि अक्टूबर-नवंबर में केंद्र से कम सप्लाई मिली जिसका असर अभी तक देखा जा रहा है. 

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लंपी पर सरकार का जवाब

बिहार में लंपी बीमारी को लेकर कृषि सचिव ने बताया कि बिहार के पशुओं में लंपी रोग के लक्षण मिले हैं और अभी तक दो पशुओं की मौत हुई है. 1200 पशु इस रोग से संक्रमित हैं. सचिव ने कहा कि इससे घबराने की जरूरत नहीं है, सभी पशुओं को फ्री वैक्सीन दी जा रही है और लोगों को जागरूक किया जा रहा है. इससे पशुओं के दूध पर कोई असर नहीं पड़ेगा और दूध भी संक्रमित नहीं होगा. इसलिए डरने की जरूरत नहीं है. इस वायरस की वजह से दूसरे राज्यों में हजारों पशुओं की मौत हो चुकी है.(पटना से सुजीत गुप्ता और मोतिहारी से सचिन पांडेय की रिपोर्ट)

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