जायद सीजन में उड़द की ये 5 किस्म देंगी बंपर पैदावार, केवल 70 दिन में हो जाएंगी तैयार 

जायद सीजन में उड़द की ये 5 किस्म देंगी बंपर पैदावार, केवल 70 दिन में हो जाएंगी तैयार 

जायद सीजन में उड़द दाल की बुवाई फरवरी से मार्च के अंत तक की जाती है. अच्छी पैदावार के लिए बुवाई से पहले अच्छी किस्म का चुनाव बहुत जरूरी है. जबकि, खेत को तैयार करना भी फसल विकास के लिए जरूरी प्रक्रिया का हिस्सा है. 

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जायद सीजन में उड़द की ये 5 किस्म देंगी बंपर पैदावार, केवल 70 दिन में हो जाएंगी तैयार जायद सीजन में उड़द दाल की बुवाई फरवरी से मार्च के अंत तक की जाती है.

रबी सीजन की सभी फसलें लगभग पक चुकी हैं और कई इलाकों में उनकी कटाई में तेज गति से चल रही है. ऐसे में जायद सीजन की फसलों की बुवाई का समय आ गया है. ऐसे में किसानों को दालों की खेती की ओर रुझान बढ़ता दिख रहा है, क्योंकि केंद्र ने सभी दालों की 100 फीसदी खरीद एमएसपी पर करने की घोषणा पहले ही कर दी है. ऐसे में उड़द दाल की खेती किसानों को लाभदायक हो सकती है. किसानों के लिए उड़द की ऐसी 5 किस्में हैं जो रोगों को पनपने नहीं देती हैं और अन्य किस्मों की तुलना में जल्दी तैयार हो जाती हैं.

उत्तर प्रदेश कृषि विभाग की सलाह के अनुसार जायद सीजन में उड़द दाल की बुवाई फरवरी से मार्च के अंत तक की जाती है. नमी वाले इलाकों में किसान अप्रैल में भी देरी से बुवाई कर सकते हैं. अच्छी पैदावार के लिए बुवाई से पहले अच्छी किस्म का चुनाव बहुत जरूरी है. जबकि, खेत को तैयार करना भी फसल के विकास के लिए जरूरी प्रक्रिया का हिस्सा है. 

उड़द की ये किस्में देंगी कम समय में ज्यादा पैदावार 

  1. किसान उड़द की किस्म आजाद उर्द–1 की बुवाई कर सकते हैं. यह किस्म 70-75 दिनों में तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 10 क्विंटल तक की उपज आराम से देती है. इसके साथ ही दालों के लिए खतरनाक रोग पीला मौजेक की रोकथाम में भी यह किस्म सक्षम है. 
  2. उड़द की आजाद उर्द–2 किस्म की बुवाई भी किसान कर सकते हैं. इस किस्म की खासियत ये है कि यह पीला मौजेक को पनपने नहीं देती है. यह 70-75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है और प्रति हेक्टेयर 12 क्विंटल तक की उपज किसान हासिल कर सकते हैं. 
  3. उड़द की आईपीयू-2-43 किस्म की बुवाई किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती है. यह किस्म भी पीला मोजेक रोग की रोकथाम में सक्षम है और 70-75 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. किसान प्रति हेक्टेयर 10 से 12 क्विंटल तक की उपज हासिल कर सकते हैं. 
  4. किसान सुजाता किस्म और माश-479 किस्म की बुवाई भी कर सकते हैं. उड़द की यह दोनों किस्में भी पीला मोजक रोग की रोकथाम में सक्षम हैं और केवल 70 से 75दिनों में तैयार हो जाती है. किसान इन दोनों किस्मों की बुवाई से 10 से 12 क्विंटल उपज आसानी से पा सकते हैं. 

उड़द बुवाई के लिए खेत की तैयारी 

जायद सीजन में उड़द की बुवाई के लिए खेत की मिट्टी को तैयार करना सबसे बड़ा टास्क होता है. क्योंकि, बीज के साथ ही खेत की तैयारी भी फसल के विकास और उत्पादन क्षमता को तय करती है. उड़द की किसी भी किस्म की खेती के लिये दोमट और मटियार मिट्टी उपयुक्त रहती है. किसान सबसे खेत में पलेवा करके देशी हल अथवा कल्टीवेटर से एक दो जुताई करके खेत को तैयार कर लें. हर जुताई के बाद पाटा लगाना जरूरी है,  जिससे मिट्टी में नमी बनी रहे. पावर टिलर या ट्रैक्टर से खेत की तैयारी जल्दी हो जाती है.

उड़द बुवाई का तरीका और बीज मात्रा 

उड़द की बुवाई के लिए बीज की मात्रा सही होना जरूरी है. जायद सीजन में उड़द का पौधा कम बढ़ता है. इसलिए 25-30 किलो ग्राम बीज प्रति हेक्टेयर में बुवाई करनी चाहिए. उड़द की कूंड़ी में करनी चाहिए. कूंड़ से कूंड़ की दूरी 20-25 सेंटीमीटर रखनी चाहिये. किसान ध्यान रखें की बीजों की बुवाई और खाद का इस्तेमाल मिट्टी परीक्षण में बताए गए तरीके से करनी चाहिए.

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