किसान अपने खेतों में हर सीजन में कई तरह की फसलें उगाते हैं. इनमें गेहूं, धान, जौ, मक्के जैसी फसल लगाते हैं. लेकिन इन फसलों के साथ ही खेत में कई ऐसे पौधे उग आते हैं, जिन्हें खरपतवार (Weeds) कहा जाता है. असल में खरपतवारों को फसलों का दुश्मन माना जाता है. ये खरपतवार फसलों को मिलने वाले पानी, प्रकाश और लगभग 20 फीसदी तक पोषक तत्वों को खा जाते हैं. यानी किसान जो खाद-पानी डालते हैं उसका एक बड़ा हिस्सा यही खरपतवार खा जाते या चूस जाते हैं. ऐसे में किसानों के लिए खरपतवार का नियंत्रण करना जरूरी हो जाता है. आइए जानते हैं किन तरीके से फसलों को खरपतवार से बचाया जा सकता है.
खेती-किसानी में एक बड़ी समस्या खरपतवार है. कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो खरपतवार खेतों से औसतन 20 प्रतिशत तक पोषक तत्व खत्म कर देते हैं. जिसमें, नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटाश शामिल हैं. इससे किसानों को बड़ा आर्थिक नुकसान भी होता है. यूं कहें कि किसानों को दोहरा नुकसान होता है. ऐसा इसलिए क्योंकि खरपतवार एक तो वो पोषक तत्वों को ले लेते हैं और दूसरी बात यह कि उन्हें निकालने के लिए मजदूरों को लगाने और खरपतवार नाशी के छिड़काव पर किसानों को पैसा खर्च करना पड़ता है.
वहीं, आम तौर पर यह देखा गया है कि कीट और रोग लगने पर तो किसान तुरंत ध्यान देते हैं, लेकिन खरपतवारों को कंट्रोल करने की ओर उनका ध्यान नहीं होता है. किसान खरपतवारों को बढ़ने देते हैं जब तक कि वे हाथ से पकड़कर उखाड़ने लायक न हो जाएं.
कृषि वैज्ञानिकों की मानें तो खेतों में उगने वाले खरपतवारों के कारण पैदावार में कमी के साथ-साथ फसल उत्पादों की क्वालिटी पर भी नकारात्मक असर पड़ता है. इसलिए किसानों कि ओर से फसलों से भरपूर उपज लेने के लिए उन्नत बीज, संतुलित उर्वरक और सिंचाई प्रबंधन के साथ ही खरपतवारों का सही समय पर प्रबंधन करना भी बहुत जरूरी है.
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किसान खेती से पहले इस बात का ध्यान रखें कि बुवाई के लिए प्रयोग किया जाने वाला बीज खरपतवार के बीजों से मुक्त होना चाहिए. ऐसे में जिस भी जगह से बीज ले रहे हैं वहां ये बात जरूर पूछें कि क्या बीज खरपतवारों से फ्री है. इसके अलावा अपने खेतों में खरपतवार से बचने के लिए गोबर की खाद या कम्पोस्ट को अच्छी तरह से सड़ाकर ही प्रयोग करें. साथ ही निराई-गुड़ाई को खरपतवार नियंत्रण का सबसे अच्छा तरीका माना जाता है.
फसलों की शुरुआती अवस्था में बुआई के 15-35 दिनों के बीच खरपतवार ज्यादा लगते हैं. इन्हें इसी अवस्था में खेत से निकाल दें. वहीं, बुवाई से पहले खरपतवारों को कंट्रोल करने वाले रसायनों को खेत की अंतिम जुताई के समय छिड़काव कर जमीन में मिला दें. ये खरपतवारों को उगने से रोकता है.
कृषि वैज्ञानिकों कि मानें तो खरपतवारनाशी आधुनिक कृषि विज्ञान की आवश्यकता है. ये एक प्रकार के जहर हैं, इसलिए इनके प्रयोग में विशेष सावधानी रखनी चाहिए, जिस प्रकार ये खरपतवारों और अन्य जीवों के लिए घातक है उसी प्रकार मानव शरीर पर भी इनका गलत प्रभाव पड़ता है. छिड़काव यंत्रों के प्रयोग में सावधानियां बरतें. किसी भी यंत्र को उपयोग में लाने से पहले यह देख लें कि उसके सभी चीजें ठीक हों. इसके अलावा फसल कटने के तुरंत बाद गहरी जुताई कर देनी चाहिए. इस विधि से भी काफी संख्या में खरपतवारों की रोकथाम की जा सकती है.
फसलों की बुवाई हमेशा पंक्तियों में करनी चाहिए, ताकि दो पंक्तियों के बीच में निराई-गुड़ाई और अन्य काम करने में आसानी रहे. इससे खरपतवारों को प्रभावी ढंग से कंट्रोल किया जा सकता है. इसके अलावा फसल चक्र अपनाना भी खरपतवार नियंत्रण की एक विधि है. फसल चक्र में दलहनी फसलों जैसे चना, मसूर और मटर आदि को शामिल करने से खरपतवारों का प्रभाव तो कम होता ही है. इसके साथ ही मिट्टी की उर्वरता भी बढ़ती है. एक ही फसल को लगातार खेत में उगाने से उस फसल के खरपतवारों का प्रकोप बढ़ जाता है.
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