आम के सीजन का इंतजार अब जल्द ही खत्म होने वाला है. कई जगहों पर फरवरी के आखिरी दिनों में आम के पेड़ मंजर से लद गए हैं. लेकिन मौसम में हो रहे लगातार बदलाव और इस महीने हो रही हल्की बारिश से आम के पेड़ों में कई बीमारियों और कीटों के लगने का खतरा मंडराने लगा है. आम पेड़ों के मंजर में प्रमुख तौर पर मधुआ कीट (मैंगो हॉपर), दहिया कीट (मिलीबग) और एंथ्रेक्नोज जैसी कीटों का प्रकोप देखने को मिल रहा है. इन कीटों और रोग से बचाने के लिए किसानों को बिहार कृषि विभाग ने आम के मंजर में तीन छिड़काव करने की सलाह दी है. किसानों को सलाह दी गई है कि तीनों छिड़काव सही समय पर होने चाहिए. इससे मंजर को नुकसान नहीं होगा और अच्छी पैदावार होगी. साथ ही ये भी जानते हैं कि आम को बचाने के लिए किन दवाओं का छिड़काव कर सकते हैं.
आम के पेड़ पर पहला छिड़काव मंजर निकलने के पहले कीटनाशक छिड़काव किया जाता है. इस को छिड़काव ऐसे किया जाता है कि पेड़ की छाल के दरारों में छुपे मथुआ कीट तक पहुंच सके. क्योंकि यह कीट वायुमंडल का तापमान बढ़ने के साथ ही अपनी संख्या में बढ़ोतरी करने लगते हैं. वहीं, आम के मंजरों में मटर के जितना दाना लग जाने पर कीटनाशक के साथ किसी एक फफूंदनाशी को मिलाकर दूसरा छिड़काव करने से मंजर को पाउडरी मिल्ड्यू और एन्थ्रेकनोज जैसे रोगों से बचाया जा सकता है.
साथ ही इसके घोल में अल्फा नेपथाईल एसेटीक एसीड (पीजीआर) मिलाया जाता है. जो मंजर में लगे फलों को गिरने से रोकता है. वहीं, बात करें तीसरे छिड़काव कि तो आम के मंजर में जब टिकोला लग जाए तब उस पर तीसरा छिड़काव किया जाता है. तीसरे छिड़का में कीटनाशक के साथ अल्फा नेपथाईल एसेटीक एसीड के अलावा आवश्यकतानुसार फफूंद नाशी को मिलाकर छिड़काव किया जाता है. जो दहिया कीट लगने से बचाता है.
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मंजर के समय हल्की बूंदा-बांदी हो जाने पर घुलनशील सल्फर या कार्बेन्डाजिम का हेक्साकोनाजोल का छिड़काव करें. दहिया कीट के नियंत्रण के लिए तैयार किए गए घोल में कोई स्टिकर जरूर मिला दें. फल और मंजर को गिरने से बचाने के लिए दूसरे और तीसरे छिड़काव में कीटनाशक के तैयार घोल के साथ अल्फा नेप्थॉल एसिटिक एसिड 4.5 एसएल का चार मिली प्रति 10 लीटर पानी के साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए. इसके अलावा अधिक जानकारी के लिए किसान कॉल सेंटर के टोल फ्री नंबर 18001801551 पर या अपने जिला के सहायक निदेशक, पौधा संरक्षण से संपर्क कर सकते हैं.
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