भारत में धान की खेती प्रमुख खेती में से एक है, और यह जलवायु के साथ-साथ पानी की भारी खपत भी करती है. आजकल जल संकट और बढ़ती पानी की कमी के कारण, धान की खेती में जल प्रबंधन को लेकर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है. उचित जल प्रबंधन से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि फसल की पैदावार भी बेहतर होती है. ऐसे में आइए जानते हैं कि धान की खेती में जल प्रबंधन कैसे किया जाए और पानी की बचत के लिए कौन से जरूरी टिप्स अपनाए जा सकते हैं.
धान की खेती में पानी की बहुत आवश्यकता होती है, लेकिन इसका यह मतलब नहीं है कि बेमतलब पानी का इस्तेमाल किया जाए. फसल के विकास के विभिन्न चरणों में पानी की आवश्यकता अलग-अलग होती है. जैसे कि बीज डालने के समय पानी की आवश्यकता अधिक होती है, जबकि बाद में यह कम हो सकती है. इसलिए, पानी की सही आवश्यकता का अनुमान लगाना और उसी अनुसार सिंचाई करना बहुत महत्वपूर्ण है.
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ड्रिप इरिगेशन एक प्रभावी सिंचाई तकनीक है, जो पानी की बचत करने के साथ-साथ फसल की उर्वरक की खपत को भी नियंत्रित करती है. इस प्रणाली में पानी सीधे पौधों की जड़ों तक पहुंचता है, जिससे मिट्टी की वाष्पीकरण दर कम होती है और पानी की बचत होती है. इसके अलावा, यह तकनीक बहुत कम पानी में बेहतर परिणाम देती है, और इसकी शुरुआत थोड़े निवेश के साथ की जा सकती है.
पानी की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आप पॉन्जी (पानी की झीलों से पानी निकालने वाली प्रणाली) या सौर सिंचाई प्रणाली का इस्तेमाल कर सकते हैं. ये दोनों प्रणालि जयांल की बचत करने और सिंचाई के खर्च को कम करने में मदद करती हैं. सौर ऊर्जा का उपयोग करके सिंचाई प्रणाली को चलाना पर्यावरण के लिए भी फायदेमंद है.
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पंक्ति प्रणाली में फसल की पंक्तियों के बीच अधिक जगह छोड़ी जाती है, जिससे मिट्टी में पानी के अवशोषण की क्षमता बढ़ती है. इसके अलावा, यह प्रणाली पानी के संचय को भी बढ़ाती है और खेत में जलवायु परिवर्तन का असर कम करती है. पंक्ति प्रणाली में पौधों के बीच उचित अंतराल रखा जाता है ताकि जल का प्रवाह ठीक से हो सके.
धान की खेती के लिए स्थायी जल स्रोत होना बहुत जरूरी है. यदि आपके पास जलाशय या तालाब हो तो आप बारिश के पानी को संचित कर सकते हैं और उसे भविष्य में सिंचाई के लिए उपयोग कर सकते हैं. यह जल संग्रहण प्रणाली पानी की भारी कमी के समय में बहुत मदद करती है. इसके अलावा, यह तकनीक पर्यावरण के लिए भी लाभकारी होती है.
सिंचाई का समय भी बहुत महत्वपूर्ण होता है. अधिकतर किसान दिन के गर्म समय में सिंचाई करते हैं, जिससे पानी का वाष्पीकरण अधिक होता है और पानी का व्यर्थ खर्च होता है. इसके बजाय, सिंचाई सुबह या शाम के समय करनी चाहिए, जब तापमान कम होता है और पानी का वाष्पीकरण कम होता है.
धान की खेती में जल प्रबंधन आज के समय में अत्यंत महत्वपूर्ण है, खासकर जब पानी की कमी की समस्या बढ़ रही है. सही जल प्रबंधन से न केवल पानी की बचत होती है, बल्कि यह फसल की पैदावार में भी सुधार लाता है. ऊपर बताए गए तरीकों को अपनाकर आप अपनी धान की खेती में पानी की बचत कर सकते हैं और बेहतर परिणाम प्राप्त कर सकते हैं.
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