अपने खास औषधीय गुणों की वजह से हल्दी की भारतीय मसाला में एक खास पहचान है. इसमें खास एंटीवायरल और एंटी बैक्टीरियल गुण होते हैं. इस वजह से दूध में पिसी हल्दी मिलाकर पीने का प्रचलन है, तो वहीं हल्दी आम लोगों के भोजन का भी अभिन्न हिस्सा है. इन्हीं सब कारणों से हल्दी की डिमांड हमेशा बनी रहती है. वहीं, हल्दी की खेती देशभर में की जाती है. दुनियाभर में हल्दी की जितनी खपत होती है, भारत अकेले उसका 80 प्रतिशत उत्पादन करता है. हल्दी से कई तरह की औषधियां भी तैयार की जाती हैं. वही आजकल हल्दी का इस्तेमाल कई ब्यूटी प्रोडक्ट में भी किया जा रहा है. ऐसे में अगर किसानों को हल्दी से अधिक कमाई चाहिए तो उसे उबालना न भूलें. साथ ही फसल खुदाई के 2-3 दिनों बाद किसानों को कुछ जरूरी काम करने चाहिए, जिसके बारे में हम बता रहे हैं.
हल्दी की अधिक कमाई लेने के लिए उसे उबालना बहुत जरुरी होता है. दरअसल, हल्दी के कंदों को अच्छी तरह धोने के बाद उसे उबाला जाता है. उबालते समय चूने के पानी और सोडियम बाईकार्बोनेट का प्रयोग किया जाता है. उबालने का काम गैल्वेनाइज्ड लोहे की कड़ाहियों में या मिट्टी और तांबे के बर्तन में करना चाहिए. वहीं, हल्दी को लगभग 45-60 मिनट तक उबालना चाहिए, जब तक झाग आना और एक विशेष प्रकार की गंध आना शुरू न हो जाए. साथ ही यह ध्यान रखना चाहिए कि हल्दी की गांठें पूरी तरह से उबल जाएं. उबली हुई गांठों को उंगली और लकड़ी से दबाकर देखना चाहिए. यदि उबली हुई गांठ पूरी तरह से दब जाए तो इसका मतलब है कि उबलने की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है.
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फसल खुदाई के 2-3 दिनों बाद ही हल्दी को उबाल लेना जरूरी होता है. मूल कंद (मदर राइजोम) और साथी कंदों (फिंगर्स) को अलग-अलग उबालना ही सही रहता है. साथ ही अच्छी प्रकार से उबाल लेने से हल्दी की सुखने की प्रक्रिया 10-15 दिन में पूरी हो जाती है, लेकिन अगर आप हल्दी को फसल कटाई के 2-3 दिनों के अंदर नहीं उबालते हैं तो इसे सूखने में 30-35 दिन का समय लगता है.
हल्दी को उबालने के बाद उसे सुखाने के लिए बांस की चटाई या दरी का इस्तेमाल करना चाहिए. 5-7 सेंटीमीटर मोटाई की परत बनाकर हल्दी को धूप में सुखाया जाता है. वहीं, रात के समय इकट्ठा कर लेना चाहिए. धूप में हल्दी को सुखने में 10 से 15 दिनों में समय लगता है. इन सभी कामों को करने से किसानों को मार्केट में हल्दी के बेहतर दाम मिलते हैं.
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